दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए सड़कों के गड्ढे भरते हैं बिल्होरे

Edited By ,Updated: 06 Feb, 2016 12:43 AM

to save the lives of others fill the pit road bilhore

दादा राव बिल्होरे को सड़क में जहां भी गड्ढा दिखाई देता है, वहीं उनके कदम रुक जाते हैं और वह इसे इमारतों के मलबे और टूटी-फूटी ईंटों तथा मिट्टी प्रयुक्त करते हुए अपने हाथों से भर देते हैं।

(गीतांजलि दास): दादा राव बिल्होरे को सड़क में जहां भी गड्ढा दिखाई देता है, वहीं उनके कदम रुक जाते हैं और वह इसे इमारतों के मलबे और टूटी-फूटी ईंटों तथा मिट्टी प्रयुक्त करते हुए अपने हाथों से भर देते हैं। यह मलबा उन्होंने विशेष रूप से इसी काम के लिए इकठ्ठा किया होता है। गड्ढे को भरने के बाद वह इस पर अच्छी तरह कूदते हैं ताकि यह सड़क के बराबर हो जाए। एक गड्ढा जैसे ही अच्छी तरह भर जाता है वह अगले गड्ढे की तलाश में चल पड़ते हैं क्योंकि उनका मानना है कि गड्ढे वाहन चालकों, खास तौर पर दोपहिया वाहन चालकों के लिए बहुत मुश्किलें पैदा करते हैं। 

 
ऐसा करने वाले बिल्होरे किसी मानसिक रोग का शिकार नहीं, बल्कि ‘सड़क के सीने पर बने ये छेद’ भरकर वह अपने 16 वर्षीय बेटे प्रकाश को श्रद्धांजलि अॢपत करते हैं, जो नगरपालिका अधिकारियों और जोगेश्वरी-विखरौली ङ्क्षलक रोड की खुदाई करने वाली एक प्राइवेट कम्पनी  की लापरवाही की भेंट चढ़ गया था क्योंकि इस कम्पनी ने सड़क की खुदाई करने के बाद गड्ढे को भरने की जरूरत नहीं समझी थी। 
 
गत वर्ष 28 जुलाई को प्रकाश मुम्बई के भांडुप इलाके में स्थित नवजीवन एजुकेशन सोसाइटी के पॉलीटैक्निक कालेज में दाखिले के दस्तावेज जमा करवा कर अपने चचेरे भाई राम की बाइक पर पीछे बैठकर घर लौट रहा था, जब उनकी बाइक एक गड्ढे में जा गिरी, जो बारिश के कारण पानी से भरा हुआ था। दोनों भाई बहुत जोर से उछले और गिर पड़े लेकिन प्रकाश सिर के बल नीचे गिरा और अस्पताल जाते हुए रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। 
 
46 वर्षीय बिल्होरे का कहना है, ‘‘मेरा बेटा कभी यह न चाहता कि ऐसा हादसा किसी अन्य के साथ हो। वह बहुत अच्छा, लायक और चुस्त लड़का था, जिसकी रग-रग में भरपूर जीवन जीने की तमन्ना थी। मैं उसकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए तो अपना संघर्ष जारी रखे हुए हूं, लेकिन इसी बीच मैं यह नहीं चाहता कि कोई अन्य इस प्रकार के हादसे का शिकार हो। मैं सड़कों और गलियों को अधिक सुरक्षित बनाना चाहता हूं।’’ हर महीने वह दर्जनों गड्ढे भरते हैं और इस प्रकार अनगिनत लोगों की जिन्दगी बचाते हैं। 
 
बिल्होरे जीवन-यापन के लिए मुम्बई के मरोल इलाके के विजय नगर क्षेत्र में सब्जी बेचते हैं। दिन-रात परिश्रम करके वह सड़क किनारे फड़ी लगाने से ऊपर उठते-उठते अब एक पॉश कालोनी के सामने खुद के स्टाल के मालिक बन गए हैं और अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाया है। प्रकाश से परिवार को ढेर सारी उम्मीदें थीं।   

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