उज्जैन में हैं गणपति बप्पा, मंदिर में आने से मिलती है चिंताअों से मुक्ति

Edited By ,Updated: 24 Dec, 2016 04:19 PM

cintaman ganesh  mandir

उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमीटर दूर जवास्या ग्राम में स्थित है। यहां प्रतिदिन बहुत से श्रद्धालु भगवान गणेश का आशीर्वाद

उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमीटर दूर जवास्या ग्राम में स्थित है। यहां प्रतिदिन बहुत से श्रद्धालु भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं। चिंतामण एक प्राचीन हिंदू शब्द है जिसका अर्थ है ’चिंता से राहत’। इस मंदिर में आने से भक्त अपनी चिंताअों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। 

 

इस मंदिर के गर्भगृह में जाते ही गौरीपुत्र गणेश की तीन प्रतिमाएं हैं। श्री गणेश तीन रुपों में विराजमान हैं। सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा वाले श्री चिंतामण गणेश हैं, उनके पास में श्री इच्छामण गणेश (बीच में) और तीसरे हैं श्री सिद्धि विनायक। मान्यतानुसार गणेश जी चिंतामण स्वरुप भक्तों की चिंताअों से मुक्ति दिलाते हैं अौर सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करता है। इस मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं। गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले ऊपर चिंतामण गणेश का एक श्लोक भी लिखा हुआ है- 

कल्याणानां निधये विधये  संकल्पस्य कर्मजातस्य।
निधिपतये गणपतये चिन्तामण्ये नमस्कुर्म:। 

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिंतामण गणेश प्रतिमा रामायण काल के समय माता सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक है। जब भगवान श्रीराम सीता और लक्ष्मण सहित अवंतिका खंड के महाकाल वन में पहुंचे तो उन्होंने षट् विनायकों की स्थापना की ताकि उनकी यात्रा विघ्न रहित हो। इस मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है। श्री चिंतामण गणेश मंदिर परमारकालीन है और इसका पुनर्निर्माण होल्कर रियासत की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। मान्यतानुसार लंका से वापिस आते समय श्री राम, सीता एवं लक्ष्मण जी यहां ठहरे थे। यहा मंदिर के सामने एक बावड़ी है जिसकी गहराई 80 फुट है। इसे लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है।

 

कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी और प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं। चैत्र मास के हर बुधवार यहां मेला भी लगता है और सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। मनोकामना पूर्ति के उपरांत श्रद्धालु यहा पैदल चलकर आते हैं। प्रात: श्री गणेश जी का श्रृंगार सिंदूर और वर्क से किया जाता है। पर्व और उत्सव के समय श्री गणेश जी का श्रृंगार दो बार किया जाता है।
 

माना जाता है कि श्रद्धालु यहां अपनी श्रद्धा भक्ति से मन्नत के लिए धागा बांधते हैं और उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। मंदिर में मन्नत मांगने के लिए दूध, दहीं, चावल और नारियल में से किसी एक वस्तु को चढ़ाया जाता है और इच्छापूर्ति के बाद उस वस्तु का यहां दान करने का विधान है। कोई भी शुभ कार्य जैसे नया व्यवसाय, विवाह, इत्यादि का काम आरंभ करने से पहले इस मंदिर में पूजन-अर्चना करके कार्य निर्विघ्न संपन्न होने का आशीर्वाद लिया जाता है। 

 

मंदिर तक पहुंचने के मार्ग
इस मंदिर से 60 किलोमीटर दूर इंदौर हवाई अड्डा है। यहां श्रद्धालु रेल, बस और टैक्सियों द्वारा भी पहुंच सकते है। चिंतामण गणेश मंदिर आने के लिए मीटर गेज ट्रेन भी दिन में तीन बार उपलब्ध होती है। रुकने के लिए होटल और धर्मशालाएं भी आसानी से मिल जाते हैं।

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