देश में बड़े पैमाने पर ‘विस्फोटकों की चोरी’ ‘सुरक्षा के लिए भारी खतरा’

Edited By ,Updated: 28 Mar, 2015 01:38 AM

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आज जबकि भारत को भीतरी और बाहरी दोनों ओर से भारी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, देश में विस्फोटकों के गोदामों से इनकी बड़े पैमाने पर चोरी से यह खतरा और बढ़ गया है।

आज जबकि भारत को भीतरी और बाहरी दोनों ओर से भारी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, देश में विस्फोटकों के गोदामों से इनकी बड़े पैमाने पर चोरी से यह खतरा और बढ़ गया है।

एक ताजा रहस्योद्घाटन के अनुसार वर्ष 2010 से 2013 के बीच सुरक्षा में लापरवाही के चलते देश में विस्फोटकों के गोदामों से 15 लाख किलो ‘औद्योगिक विस्फोटकों’ की चोरी हो चुकी है। 
 
इनमें 8.5 लाख किलोग्राम विस्फोटकों का नाइट्रेट मिश्रण, 5 लाख डैटोनेटर, 1.3 लाख छोटे हथियारों/वार राकेटों के कारतूस तथा 30,000 सेफ्टी फ्यूज/कारतूस शामिल हैं जो माओवादी गुरिल्लों, अवैध खनिकों तथा अन्य समाज विरोधी तत्वों के हाथों में पहुंच चुके हैं।
 
महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व डायरैक्टर जनरल राहुल गोपाल का कहना है कि विस्फोटकों की इस मात्रा से देश की राजधानी दिल्ली जैसे पांच मैट्रोपोलिटन शहरों को नेस्तनाबूद किया जा सकता है। इन विस्फोटकों का काफी हिस्सा  विश्व की सबसे बड़ी खनन कम्पनी तथा भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड (सी.आई.एल.) तथा इसकी 7 सहायक कम्पनियों के गोदामों से चुराया गया है।
 
देश के 6 राज्यों में सी.आई.एल. के 125 विस्फोटक सामग्री के गोदाम हैं जहां विस्फोटकों के भंडारण और लाने-ले जाने में नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। सी.आई.एल. देश में इस्तेमाल होने वाले 1500 करोड़ रुपए के कुल विस्फोटकों के 35 प्रतिशत भाग की खपत करती है।
 
23 दिसम्बर, 2014 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पारथी भाई घेमर भाई ने भी संसद में स्वीकार किया था कि माओवादियों तथा वामपंथी चरमपंथी गिरोहों द्वारा विभिन्न उद्योगों और खानों से चुराए गए विस्फोटक सुरक्षा बलों के विरुद्ध इस्तेमाल किए जाते हैं। 
 
विभिन्न सरकारी एजैंसियों में तालमेल के अभाव तथा पैट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी आर्गेनाइजेशन (पी.ई.एस.ओ.) में स्टाफ की भारी कमी के कारण अपराधियों और आतंकवादियों की इन विस्फोटकों तक पहुंच बहुत आसान है। वर्ष 2013-14 में पी.ई.एस.ओ. द्वारा विस्फोटकों के भंडारण के लिए लाइसैंसशुदा 2,54,488 परिसरों में से केवल 12.96 प्रतिशत परिसरों का ही निरीक्षण किया गया। 
 
पत्रकारों का एक दल झारखंड व उड़ीसा में स्थित सी.आई.एल. के परिसरों में गया तो वहां से ये लोग बड़ी आसानी से इसके गोदामों तक पहुंच गए। पत्रकारों ने देखा कि झारखंड के धनबाद जिले में निरसा स्थित सी.आई.एल. के विस्फोटक भंडार में 11000 किलो जिलेटिन की छड़ें और 40,000 डैटोनेटर बिना किसी निगरानी के पड़े थे।
 
एक पत्रकार तो बिना रोक-टोक के विस्फोटक भंडार के अंदर भी चला गया और उससे किसी ने कोई पूछताछ ही नहीं की। वहां एकमात्र महिला गार्ड तैनात थी जिसे उसके पति की एक खान दुर्घटना में मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गई थी। उसने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वह अकेली ही यहां विस्फोटकों के गोदामों की निगरानी करती है।
 
उड़ीसा के झारसुगड़ा जिले के बेलपहाड़ स्थित विस्फोटक भंडार में भी कोई गार्ड नजर नहीं आया। ट्रकों में बिना गार्ड के ही टनों विस्फोटक ले जाया जाता है जबकि नियमानुसार सभी विस्फोटकों वाली गाड़ी में अनिवार्यत: ड्राइवर के साथ 2 सशस्त्र सिक्योरिटी गार्ड भी होने चाहिएं। इस बारे सी.आई.एल. के एक पूर्व कर्मचारी ने कहा कि यह ऐसा कोई अकेला मामला नहीं है। 
 
यदि सी.आई.एल. द्वारा विस्फोटकों की निगरानी में इतनी लापरवाही बरती जाती है तो अन्य उपक्रमों द्वारा कितनी लापरवाही बरती जाती होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। किसी भी ट्रक के साथ गार्ड नहीं जाता जिस कारण विस्फोटकों से भरे इन ट्रकों को कहीं भी रोक कर लूटा जा सकता है या गोदामों से विस्फोटकों को चुराया जा सकता है।
 
यह सिलसिला काफी लम्बे समय से ऐसे ही चल रहा है और यदि यह इसी प्रकार जारी रहा तो कहना मुश्किल होगा कि इन लूटे हुए या चुराए हुए विस्फोटकों से देश के किसी हिस्से में कब क्या हो जाए! 

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