जेलों से ‘कैदी बार-बार क्यों भाग रहे हैं’

Edited By ,Updated: 02 Apr, 2015 12:32 AM

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देश भर की जेलें घोर अव्यवस्था की शिकार हैं। जेलों से कैदियों के भागने और जेलों के अंदर हर तरह के अपराध होने की घटनाएं आम हैं। यहां तक कि हाई सिक्योरिटी जेलें भी इस समस्या से मुक्त नहींं।

देश भर की जेलें घोर अव्यवस्था की शिकार हैं। जेलों से कैदियों के भागने और जेलों के अंदर हर तरह के अपराध होने की घटनाएं आम हैं। यहां तक कि हाई सिक्योरिटी जेलें भी इस समस्या से मुक्त नहींं। 

पश्चिमी दिल्ली स्थित अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तिहाड़ जेल से चाल्र्स शोभराज द्वारा जेल के अधिकारियों को नशीली मिठाई खिला कर फरार होने तथा बहुचर्चित निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के एक अभियुक्त राम सिंह की जेल के अंदर रहस्यमय मृत्यु ने जेलों में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्र चिन्ह लगा दिए हैं। अधिकारियों के अनुसार राम सिंह ने आत्महत्या की जबकि जेल के अंदर के अनेक लोगों का कहना है कि उसकी हत्या की गई।
 
सजायाफ्ता बंदियों के रिश्तेदारों द्वारा बाहर से उन्हें पॉलीथीन के लिफाफों में लपेट कर प्रतिबंधित वस्तुएं जैसे तम्बाकू, नशीली गोलियां, मोबाइल फोन आदि फैंक कर पहुंचाने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। 
 
जेल के अंदर से ही अपराधी गिरोहों द्वारा जब्री वसूली का धंधा भी चलाया जा रहा है। यदि तिहाड़ जेल का यह हाल है तो आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि देश की अन्य जेलों का हाल कैसा होगा। 
 
अनेक जेलों में बंद कैदी इंटरनैट व मोबाइल सुविधाओं का लाभ उठाने के अलावा फेसबुक पर भी सक्रिय हैं। इसी वर्ष 16 मार्च को रोपड़ जेल में बंद 3 कैदियों की एक साथ मुस्कराते हुए फोटो फेसबुक पर देखी गई। जेलों में नशा व प्रतिबंधित वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हैं। पेशेवर अपराधी कैदियों द्वारा अन्य कैदियों से दुव्र्यवहार, सजा भुगत रहे कैदी गिरोहों में मारपीट और रहस्यमय परिस्थितियों में कैदियों की मौत आम बात है। जेलों या पुलिस की हवालात से कैदी पुलिस वालों को झांसा देकर भाग रहे हैं। 
 
पंजाब में पुलिस को प्रतिदिन सैंकड़ों विचाराधीन कैदियों को अदालतों में सुनवाई के लिए लाना-ले जाना पड़ता है और यह यकीनी बनाना होता है कि वे भाग न जाएं परन्तु हथकडिय़ों व जेल वाहनों के अभाव के कारण  उन्हें पकड़ कर जेलों से अदालतों तक लाने-ले जाने तथा अपराधियों को पकडऩे में पुलिस को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
 
पंजाब पुलिस के पास उपलब्ध सुरक्षा उपकरण या तो जंगाले हुए हैं या फिर वे खराब हैं। पंजाब सरकार को अनेक स्मरण पत्र भेजने के बावजूद राज्य के पुलिस विभाग को ये चीजें उपलब्ध नहीं करवाई गईं। अकेले होशियारपुर  पुलिस को  ही 500 हथकडिय़ों की आवश्यकता है और अन्य जिलों ने भी अधिक हथकडिय़ों की मांग कर रखी है।
 
कई बार तो कैदियों अथवा गिरफ्तारशुदा व्यक्तियों को प्राइवेट छोटे ट्रकों, आटो रिक्शा और यहां तक कि दोपहिया वाहनों तक पर बिठा कर अदालतों में लाया जाता है। हथकड़ी लगा व्यक्ति दोपहिया वाहन के चालक तथा उसके साथी पुलिस कर्मी के बीच सैंडविच बना बैठा होता है।  
पुलिस थानों में हथकडिय़ों और कैदी वाहनों की कमी के अलावा जेलों में सुरक्षा कर्मचारियों और सुरक्षा प्रबंधों के अभाव, सुरक्षा कर्मचारियों की अपराधियों से मिली भगत, जेलों में क्षमता से कहीं अधिक कैदियों को रखना और राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में कोई प्रभावशाली पग न उठाना  गंभीर चिंता का मामला है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री आर.एम. लोढा के अनुसार, ‘‘यह दुखद है कि हमारी जेलों में सजायाफ्ता कैदियों की तुलना में विचाराधीन कैदियों की संख्या अधिक है। लगभग सभी केन्द्रीय जेलों में 50 प्रतिशत से अधिक विचाराधीन कैदी हैं और जिला जेलों में इनकी संख्या 72 प्रतिशत से अधिक है।’’ 
 
स्पष्ट है कि जेलों में क्षमता से अधिक भीड़, पुलिस के पास हथकडिय़ों और अन्य सामान की कमी जैसी समस्याओं और जेल अधिकारियों, पुलिस  कर्मचारियों तथा कैदियों की सांठगांठ को जब तक समाप्त नहीं किया जाएगा तब तक जेलों में हत्याएं होती रहेंगी, विभिन्न गिरोहों के बीच खूनी संघर्ष होते रहेंगे और जेलों में नशे व अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की सप्लाई भी होती रहेगी चाहे वे पंजाब की जेलें हों या किसी अन्य राज्य की।

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