वास्तुशास्त्री कहते हैं,रोग और शोक से बचने के लिए रखें कुछ बातों का ध्यान

Edited By ,Updated: 23 Apr, 2016 03:50 PM

vastu

वास्तु शास्त्र मानव मात्र को यह बताता है कि गृह निर्माण में किन दोषों के कारण रोगों की उत्पत्ति संभव है। यदि इन दोषों से बचकर हम अपने घर का निर्माण कराएं तो हम निरोगी रह सकते हैं।

वास्तु शास्त्र मानव मात्र को यह बताता है कि गृह निर्माण में किन दोषों के कारण रोगों की उत्पत्ति संभव है। यदि इन दोषों से बचकर हम अपने घर का निर्माण कराएं तो हम निरोगी रह सकते हैं।

 
भूमि परीक्षण : गृह निर्माण के लिए शास्त्र सम्मत भूमि कैसी हो इसकी परीक्षा करने के लिए भूमि के बीचों-बीच एक लम्बा, एक हाथ चौड़ा और एक ही हाथ गहरा गड्ढा खोदें। गड्ढे से निकाली हुई सारी मिट्टी फिर से इसमें भरें। गड्ढे भरने के बाद यदि कुछ मिट्टी शेष रह जाती है तो यह भूमि श्रेष्ठ मानें। यदि मिट्टी गड्ढे के बराबर निकलती है तो मध्यम और यदि गड्ढा नहीं भर पाता और मिट्टी खत्म हो जाती है तो भूमि को अधम मानें। इस बात का ध्यान भी रखें कि भूमि पर यदि चूहों  के बिल, बांबी, भूमि ऊबड़-खाबड़ या फटी हो, गड्ढे वाली या टीलेदार हो तो ऐसी भूमि रहने योग्य नहीं मानी जाती।
 
 
भूमि की सतह : पूर्व, उत्तर व ईशान कोण में नीची भूमि सभी तरह से शुभ मानी जाती है। आग्नेय, दक्षिण, नैर्ऋत्य, पश्चिम, वायव्य और मध्य में नीची भूमि रोगों को देने वाली होती है।
 
 
गृहारम्भ : आरोग्य और धनधान्य के लिए वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन के महीने में गृह निर्माण का कार्य शुरू करें।
 
 
गृह आकार : चौकोर या आयताकार मकान सबसे अच्छा माना जाता है। आयताकार मकान में चौड़ाई के दोगुना से अधिक लम्बाई नहीं हो। मकान को किसी एक दिशा में आगे न बढ़ाएं। यदि बढ़ाना ही हो तो सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ाएं। घर यदि वायव्य दिशा में आगे बढ़ाया जाए तो मृत्यु भय, उत्तर में बढ़ाने पर रोगों  में वृद्धि और दक्षिण में बढ़ाने पर जय होती है।
 
 
निर्माण सामग्री : ग्रह निर्माण में काम आने वाली ईंट, लकड़ी, लोहा, पत्थर सब कुछ नया ही लगाना चाहिए। दूसरे मकान से काम में ली गई निर्माण सामग्री लगाने से गृह स्वामी का नाश होता है।
 
 
घर के द्वार : जिस दिशा में घर का दरवाजा बनाना हो उस ओर मकान की लम्बाई को बराबर नौ भागों में बांट कर पांच भाग दाएं और तीन भाग बाएं छोड़कर शेष भाग में द्वार बनाएं। दायां और बायां भाग उसको मानें जो घर से बाहर निकलते समय हो। पूर्व और उत्तर दिशा में बना द्वार सुख-समृद्धिदायक और दक्षिण में बना द्वार स्त्रियों के लिए अशुभ है।
 
 
यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि द्वार वेध भी होते हैं। घर के दरवाजे के सामने पेड़, कुआं, खंभा या बावड़ी होना अशुभ है।  हां, यदि घर की ऊंचाई से दोगुना जमीन छोड़कर वेध हो तो उसका दोष नहीं होता है।
 
 
घर में कमरों की स्थिति : घर में यदि एक कमरा पश्चिम में व एक कमरा उत्तर में हो तो यह गृह स्वामी के लिए अच्छा नहीं है। शास्त्रानुसार बाथरूम पूर्व में, किचन आग्नेय में, स्लीपिंग  रूम दक्षिण में, बड़े भाई या पिता का कमरा नैर्ऋत्य में, शौचालय नैर्ऋत्य, वायव्य या दक्षिण नैर्ऋत्य में, डाइनिंग रूम पश्चिम में, पूजा घर उत्तर या ईशान में और धन संग्रह यानी तिजोरी उत्तर में रखनी चाहिए। 
 
 
यहां यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि नगरों और महानगरों में हाऊसिंग बोर्ड, हाऊसिंग सोसायटियों या बिल्डरों द्वारा बनाए गए मकान अधिकांश लोग खरीदते हैं। ऐसी स्थिति में वास्तु शास्त्र के सभी नियम शत-प्रतिशत मिल जाएं यह असंभव तो नहीं लेकिन कठिन जरूर है। ऐसे में कोशिश यह होनी चाहिए कि वास्तु सम्मत अधिक से अधिक नियम आप अपनी सुविधानुसार अपना लें। शहरों में जमीन खरीद पाना वैसे ही बहुत महंगा है। ऐसे में भ्रमित या चिंतित न हों। आदर्श दिनचर्या अपनाएं और अपने ईष्ट देव की आराधना करें।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!