उदास है मन का मौसम

Edited By Riya bawa,Updated: 04 Jul, 2020 12:41 PM

hindi poem udass hai mann ka mosum

क्या कहूँ आज सभी से उदास है मन का मौसम चारों तरफ कोहराम मचा है...

क्या कहूँ आज सभी से
उदास है मन का मौसम
चारों तरफ कोहराम मचा है
साबुत यंहा कौन बचा है
कितने घरों के दीये मिटे
और कितनी बहनों का सुहाग उजड़ गया
क्या कहूँ आज सभी से
उदास है मन का मौसम

इस वायरस ने रिश्तों का गणित बदल डाला
जो कल जान छिड़कते थे
आज लाश पहचानने से इंकार करते है
जो सोचते थे पुत्र ही मुखाग्नि देगा
वे लावारिस बनाकर फ़ूके जाते हैं
इन खून के रिश्तों का व्यापार यूँह निरस्त हुआ है
जो मर मिटने की कसमे खाते थे
आज बात बात पर मुंह बिचकाते हैं
क्या कहूँ आज सभी से

उदास है मन का मौसम

रास्ते वीरान हो गए
सड़कें गुमनामी में खो गयी
सभी नटखट, नादान, शैतान बच्चे चुप कर दिए गए
उनकी चहलकद्मी उजाड़खाने में कैद होकर खत्म हो चली
बड़े बूढ़े भी डरे डरे से नज़र आते हैं
नयी नवेली दुल्हन भी बात बात पर झल्ला जाती हैं
क्या कहूँ आज सभी से
उदास है मन का मौसम

पेड़- पौधे, खेत खलिहान खुश नज़र आते हैं
हर तरफ हरियाली , सुकून दे जाते है
नदियाँ फिर से मुस्कराने लगी है
पक्षी फिर से चहचहचहाने लगे हैं
तुमसे मनोबल और साहस लेकर फिर से चले पड़ेगें हमदम
लड़े है, लड़ेगे उदास मौसम के खिलाफ
बगावत की है, करेगें साथियों
बस क्या कहूँ आज सभी से
उदास है मन का मौसम

(आँचल यादव)

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