विश्व में 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में

Edited By Updated: 03 Nov, 2025 05:26 AM

21 out of the 30 most polluted cities in the world are in india

वायु प्रदूषण भारत में पर्यावरण सम्बन्धी गम्भीर समस्या है। विश्व के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में हैं।

वायु प्रदूषण भारत में पर्यावरण सम्बन्धी गम्भीर समस्या है। विश्व के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में हैं। औद्योगिक अवशेष एवं उद्योगों तथा वाहनों से उठने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, थर्मल पावर पर निर्भरता, कूड़ा जलाना, ईंधन के लिए गोबर और लकड़ी का इस्तेमाल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। प्रदूषण में 17 प्रतिशत योगदान पराली जलाने का है। 

दीवाली पर तीन दिनों तक पटाखे चलते रहने के कारण इतने दिनों के बाद भी दिल्ली में प्रदूषण ज्यों का त्यों है। बड़ी संख्या में बच्चे खांसी तथा सांस की अन्य तकलीफों का शिकार हैं। नर्सरी में पढऩे वाले छोटे-छोटे बच्चे भी प्रदूषण से पीड़ित हैं। बच्चों में वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों का विकास कम होता है और उनमें अस्थमा के मामले भी अधिक देखे जाते हैं जो इस क्षेत्र में लगभग एक तिहाई तथा देश के अन्य हिस्सों में 5 या 10 प्रतिशत है। वायु प्रदूषण का हमारे फेफड़ों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह से प्रभाव पड़ता है और इससे केवल फेफड़े ही नहीं बल्कि हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे, आंतों सहित शरीर की समूची प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है।  2023 में लाखों मरीजों पर शिकागो में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कारण भारतीयों की औसत आयु 5.3 प्रतिशत और दिल्ली वासियों की औसत आयु 11.9 प्रतिशत कम हो जाएगी। 

लगता है कि लोगों को अपनी सेहत की भी चिंता नहीं है। कोर्ट ने ग्रीन पटाखे ही चलाने को कह तो दिया था परंतु इसकी निगरानी कौन करता कि जो चलाए जा रहे हैं, वे ग्रीन पटाखे हैं भी या नहीं।  हालांकि इस वर्ष अभी वर्षा में खेतों के डूब जाने और पराली के गीली हो जाने के कारण पराली नहीं जली, फिर भी दिल्ली में पिछले दिनों प्रदूषण का स्तर 373 तक पहुंच गया जो पिछले तीन वर्षों में सर्वाधिïक तथा वायु के सुरक्षित स्तर से कई गुणा अधिक है। वैसे इस बार दीवाली जल्दी आ गई थी। दीवाली जब नवम्बर में आती है तो हवा रुक जाने के कारण धुएं से होने वाला प्रदूषण और अधिक होता है। सबसे बड़ी बात इस प्रदूषण में यह है कि यह बच्चों की सेहत पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। इस पृष्ठभूमि में या तो अब दशहरा और दीवाली की छुट्टिïयां जो इन पर्वों से पहले दी जाती थीं, अब ये छुट्टिïयां दीवाली के बाद देनी शुरू कर दी जाएं ताकि कम से कम यह महीना तो निकल जाए।

या फिर ऐसा भी किया जा सकता है कि दीवाली के बाद कुछ दिनों के लिए ‘वर्क फ्राम होम’ की तर्ज पर बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन कर दी जाए क्योंकि बच्चों को बीमार करके पढ़ाने का कोई मतलब नहीं। हालांकि सरकार ने दिल्ली में जगह-जगह पानी का छिड़काव करने के उपकरण लगाए हैं और कुछ स्थानों पर छिड़काव के लिए ट्रक भी भेजे जा रहे हैं परंतु यह काफी नहीं है। बार-बार यह बात कही जाती है कि ‘क्लाऊड सीडिंग’ करने से वर्षा हो जाएगी और हाल ही में  दिल्ली सरकार ने 2 बार ऐसा करने की कोशिश भी की परंतु बादलों में नमी न होने के कारण वर्षा नहीं हो सकी। कृत्रिम वर्षा करवाने के लिए ‘सिल्वर आयोडाइड’ का उपयोग किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि यह कैमिकल युक्त पानी हमारे पीने के पानी के रूप में हमारे शरीर और हमारी धरती में समा कर कई तरह की समस्याएं पैदा करेगा और हमारी त्वचा पर भी इसका असर पड़ेगा। ‘क्लाऊड सीङ्क्षडग’ एक तरीका अवश्य है परंतु वायु प्रदूषण से निपटने का यह कोई कारगर तरीका नहीं है। सबसे आसान तरीका तो यही है कि समस्या को पैदा होने ही न दिया जाए ताकि समाधान खोजनेे की नौबत ही न आए। पहले दीवाली पर पटाखे नहीं चलाए जाते थे। यह प्रथा तो 14वीं शताब्दी में भारत में शुरू हुई है। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है प्रदूषण से बचने के लिए दीवाली आने से पहले अनेक सुझाव और जानकारियां दी जाती हैं परंतु दीवाली के बाद कहीं भी कोई लेख, कोई चर्चा इस बारे में नहीं होती कि कितना प्रदूषण हो गया है। इसी स्थिति को देखते हुए वरिष्ठï ‘पल्मोनोलाजिस्ट’ डा. गोपी चंद खिलनानी ने पुरानी बीमारियों से पीड़ित सभी लोगों को सलाह दी है कि यदि संभव हो तो दिसम्बर के मध्य या अंत तक दिल्ली से दूर ही रहें। 

Related Story

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!