‘मौत के कारखाने’ बनती जा रहीं चंद ‘पटाखा फैक्टरियां’

Edited By ,Updated: 20 Feb, 2024 05:21 AM

a few  firecracker factories  are becoming  factories of death

भारत में आग तीन सबसे बड़े खतरों में से एक है तथा सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने के कारण समय-समय पर पटाखा फैक्टरियों में आग लगने के परिणामस्वरूप होने वाले धमाकों से बड़ी संख्या में जान-माल की हानि होती रहती है।

भारत में आग तीन सबसे बड़े खतरों में से एक है तथा सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने के कारण समय-समय पर पटाखा फैक्टरियों में आग लगने के परिणामस्वरूप होने वाले धमाकों से बड़ी संख्या में जान-माल की हानि होती रहती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में पटाखा फैक्टरियों में अग्निकांडों और विस्फोटों के कारण 64 लोग तथा 2022 में 60 लोग मारे गए और यह सिलसिला अभी भी जारी है, जिसके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :  

  • 27 अगस्त, 2023 को उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल) जिले के ‘दत्तापुकुर’ थाना क्षेत्र के एक गांव में एक पटाखा फैक्टरी में आग लगने से हुए जबरदस्त विस्फोट के परिणामस्वरूप 7 लोग मारे गए। 
  • 9 अक्तूबर, 2023 को मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) जिले के ‘एगरा’ में पटाखा बनाने की अवैध फैक्टरी में विस्फोट और आग लगने से 9 लोगों की मौत तथा दर्जनों घायल हो गए। यह विस्फोट इतना जबरदस्त था कि जिस रिहायशी इमारत में अवैध फैक्टरी थी वह पूरी तरह से ढह गई।
  • 9 अक्तूबर, 2023 को ही ‘अरियालुर’ (तमिलनाडु) जिले के विरागलुर गांव में एक पटाखा फैक्टरी में विस्फोट के साथ आग लगने से 9 लोगों की जान चली गई और 5 लोग बुरी तरह झुलस गए। 
  • 17 अक्तूबर, 2023 को विरुधुनगर (तमिलनाडु) जिले के ‘रंगापलयम’ तथा ‘किचन्याकानपट्टी’ में 2 अलग-अलग पटाखा फैक्टरियों में विस्फोट के कारण आग लगने से 11 लोगों की जान चली गई। 
  • 10 जनवरी, 2024 को सिरसा (हरियाणा) के डबवाली में एक मकान के अंदर चलाई जा रही अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट के बाद आग लग जाने के कारण एक मजदूर की जान चली गई और उसके बाद इलाज के दौरान 2 और मजदूरों की मौत हो गई।  
  • 25 जनवरी, 2024 को ‘विरुधुनगर’ (तमिलनाडु) में ‘वचकारापट्टी गांव में एक पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से एक नाबालिग सहित 2 मजदूरों की मृत्यु हो गई और 4 कमरे जल कर पूरी तरह राख हो गए।
  • 29 जनवरी, 2024 को ‘बेलतांगडी’ (कर्नाटक) के ‘कुक्केडी’ गांव में एक पटाखा फैक्टरी में आग लग जाने से 3 लोगों की जान चली गई तथा अनेक गंभीर रूप से झुलस गए।
  • 7 फरवरी, 2024 को ‘हरदा’ (मध्य प्रदेश) की एक पटाखा फैक्टरी में लगी आग और उसके बाद उसमें हुए विस्फोट की वजह से 11 लोग लाशों के ढेर में बदल गए तथा 174 लोग घायल हो गए ।
    विस्फोट के कारण दूर-दूर के मकानों की खिड़कियों के कांच टूटकर गिरे। विस्फोट की आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई दी और फैक्टरी के आसपास खड़ी गाडिय़ों के भी परखच्चे उड़े। 
  • 12 फरवरी, 2024 को कोच्चि (केरल) के पास ‘त्रिपुनिथुरा’ में एक आवासीय क्षेत्र में स्थित अवैध पटाखा गोदाम में हुए भीषण विस्फोट में 2 लोगों की मौत तथा 13 अन्य झुलस गए। पटाखों और बारूद के विस्फोट के कारण आसपास के 25 से अधिक मकान और कुछ दुकानें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं।
  • और अब 17 फरवरी को विरुधुनगर (तमिलनाडु) में एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में 4 महिला कर्मचारियों सहित 10 लोगों की जान चली गई। 

स्पष्ट है कि अवैध पटाखों का निर्माण एवं भंडारण करने वाले लोगों ने अतीत की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा और लोगों के जान-माल की सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं।

इस मामले में संबंधित अधिकारी भी समान रूप से जिम्मेदार हैं जिन्हें अपने क्षेत्रों में चलने वाले मौत के कारखानों का पता ही नहीं चलता। लिहाजा इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि कीमती जानमाल का नुक्सान न हो। -विजय कुमार 

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