एक रहस्यमय बीमारी ‘कोरोना’ बन गई है महामारी

Edited By ,Updated: 23 Aug, 2020 02:17 AM

a mysterious disease  corona  has become an epidemic

सारी दुनिया के लिए कोरोना महामारी एक अबूझ पहेली बन कर रह गई है। हालांकि देश-विदेश की सरकारें समय-समय पर इसके प्रकोप में कमी आने का दिलासा देती रहती हैं परंतु वास्तविकता कुछ और ही होती है। दुनिया में...

सारी दुनिया के लिए कोरोना महामारी एक अबूझ पहेली बन कर रह गई है। हालांकि देश-विदेश की सरकारें समय-समय पर इसके प्रकोप में कमी आने का दिलासा देती रहती हैं परंतु वास्तविकता कुछ और ही होती है। दुनिया में सबसे अधिक तेजी से कोरोना के केस भारत में बढऩे के कारण यहां कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तीस लाख के निकट पहुंच गया है तथा अब तक लगभग 56,000 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद राज्य सरकारें समय-समय पर कोरोना के मामलों में कमी आने की बात कह कर लगाए गए सुरक्षा प्रतिबंधों में ढील देती रहती हैं। 

* 17 मई को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘राज्य में काफी हद तक हालात पर काबू पा लिया गया है तथा मरीजों की संख्या घटी है।’’ 
* 01 अगस्त को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा, ‘‘दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं और स्थिति नियंत्रण में है।’’ 
परंतु उक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि स्थिति इसके विपरीत है और यह किसी तरह काबू आती दिखाई नहीं दे रही है। यही कारण है कि अब विभिन्न राज्यों में कोरोना से बचाव के लिए नए सिरे से प्रतिबंध लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। 

* पंजाब में 21 अगस्त से लागू कफ्र्यू का दायरा बढ़ाते हुए 22 अगस्त से 31 अगस्त तक नए लॉकडाऊन आदेशों के अंतर्गत धारा-144 लगाने के साथ-साथ अनेक प्रतिबंध लगा दिए गए हैं।
* हरियाणा में भी शनिवार और रविवार को सभी दफ्तर और दुकानें पहले की तरह बंद रखने का आदेश दिया गया है तथा 
* बिहार में भी कोरोना महामारी के दृष्टिगत राज्य में लॉकडाऊन की अवधि बढ़ाकर 6 सितम्बर तक कर दी गई है। 

वास्तव में कोरोना महामारी के बढऩे के लिए काफी सीमा तक लोग ही जिम्मेदार हैं, जो कोरोना से बचाव के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने, भीड़ जमा न करने तथा चेहरे पर अनिवार्य रूप से मास्क लगाने के आदेशों का पालन न करके अपनी और दूसरे लोगों की जान खतरे में डालने के अलावा इस समस्या से निपटने के सरकार के प्रयासों को आघात पहुंचा रहे हैं। 

पंजाब तो एक उदाहरण मात्र है, अन्य राज्यों में भी स्थिति इससे भिन्न नहीं है। लिहाजा यदि लोग अभी भी समय की नजाकत को न समझते हुए सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का सख्तीपूर्वक पालन करना शुरू नहीं करेंगे तो शायद निकट भविष्य में इस अभिशाप से मुक्ति पाना बहुत कठिन हो जाएगा।—विजय कुमार 

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