चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का एजैंडा : पड़ोसी देशों की संस्कृतियों का अपमान

Edited By ,Updated: 04 Mar, 2022 06:58 AM

agenda of the cpc insulting the cultures of neighboring countries

चीन सांस्कृतिक हीनभावना से ग्रसित देश है, जो खुद की संस्कृति को दुनिया की सबसे महान संस्कृति के तौर पर देखता और दिखाता है, लेकिन अपने पड़ोसी देशों की संस्कृतियों की निंदा करता है। चीन यह भी दिखाने की कोशिश करता है कि उसके प

चीन सांस्कृतिक हीनभावना से ग्रसित देश है, जो खुद की संस्कृति को दुनिया की सबसे महान संस्कृति के तौर पर देखता और दिखाता है, लेकिन अपने पड़ोसी देशों की संस्कृतियों की निंदा करता है। चीन यह भी दिखाने की कोशिश करता है कि उसके पड़ोसी देशों की संस्कृतियों का जन्म दरअसल चीन में ही हुआ था और समय के साथ वे पड़ोसी देशों में पहुंचीं, फिर वहां पर उनका प्रचार-प्रसार होने लगा। 

चीन में जापानी इलैक्ट्रॉनिक सामान और बच्चों की कॉमिक्स बहुत नाम कमा रही हैं और युवा चीनियों की पसंद हैं, लेकिन अगर कोई महिला जापानी किमोनो पहन ले तो उसके लिए खतरा हो सकता है। अभी इसी वर्ष 17 फरवरी को दक्षिणी चीन के युन्नान प्रांत के ताली शहर के एक पार्क में एक चीनी महिला जापानी किमोनो पहनकर घूम रही थी, तभी अचानक पार्क के सुरक्षा कर्मियों ने उसे पार्क से निकल जाने को कहा। इस दौरान दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोंक भी हुई।

एक अलग घटना में, 13 दिसम्बर, 2021 को नैशनल मैमोरियल दिवस पर हाएनिंग शहर की नानचिंग स्ट्रीट पर एक महिला जापानी किमोनो पहन कर जा रही थी, जिसका सबसे पहले संज्ञान हाएनिंग पुलिस ने लिया और जापानी किमोनो पहनने के लिए उसे बहुत बुरा-भला कहा। बाद में उस महिला की तस्वीर को चीन के मशहूर सोशल मीडिया सीना वेईबो पर अपलोड कर लोगों ने उसे ट्रोल कर खरी-खोटी सुनाई और अपशब्द कहे। चीनियों के बीच जापान और जापानियों के खिलाफ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जानबूझ कर नफरत भर रही है, हालांकि इसके पीछे ऐतिहासिक कारण भी मौजूद हैं। 

कम्युनिस्ट पार्टी ने वर्ष 2014 में एक दिन अचानक नानचिंग दिवस मनाने का फैसला किया। वर्ष 1937 में नानचिंग शहर में जापानी सेना ने 3 लाख चीनियों का नरसंहार किया था। कम्युनिस्ट पार्टी ने यह दिवस मनाने का फैसला सिर्फ इसलिए किया, ताकि चीन के नागरिकों में जबरदस्ती पार्टी के प्रति लगाव जगाया जाए और राष्ट्रीयता के नाम पर अपनी जनता को पार्टी की विचारधारा मानने पर मजबूर किया जाए। सच्चाई यह है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने जापानी आक्रमण को धन्यवाद दिया था और इसके ऐतिहासिक साक्ष्य भी मौजूद हैं। असल में जापानी आक्रमण का सामना उस समय कुओमिनतांग पार्टी की सेना ने किया था और इसमें उसके बहुत से सैनिक मारे गए थे। 

चीनी अखबार एप्पल डेली के पूर्व संपादक छंग मिंगरेन के अनुसार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के आधिकारिक प्रकाशन के अंतर्गत ‘माओ त्से तुंग के विचार जिंदाबाद’, जिसे वर्ष 1969 में लिखा गया था, में माओ ने अपने एक भाषण में जापानी सेना का चीन पर विजय पाने के लिए 6 बार धन्यवाद दिया। यह घटना सितम्बर 1972 की है, जब जापानी प्रधानमंत्री काकुई तानाका की चीन की यात्रा के दौरान तानाका ने माओ से कहा था कि जापानी आक्रमण के दौरान चीनी जनता को बहुत कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। इस पर माओ ने कहा कि जापान के चीन पर आक्रमण के बिना, कम्युनिस्ट पार्टी की कोई जीत नहीं होती, आज की जीत की तो बात ही छोड़ दें। 

सिर्फ जापान ही नहीं, बल्कि दक्षिण कोरिया भी कई कारणों से चीन से नाराज चल रहा है। वर्ष 2022 के 4 फरवरी को बीजिंग शीतकालीन ओलिम्पिक खेलों के उद्घाटनी समारोह में एक महिला ने कोरियाई पारंपरिक पोशाक पहनी हुई थी, जिसे चीन ने अपनी 55 अल्पसंख्यक जातियों में से एक की पोशाक बताया। दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक मंत्री ह्वांग ही ने चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे हमारी पारंपरिक पोशाक के माध्यम से चीन हमें एक स्वाधीन देश मानने से इंकार कर रहा है। इस घटना के बाद चीन और दक्षिण कोरिया की सांझा निर्माण वाली फिल्मों की शूटिंग टाल दी गई, ऐसी कई फिल्मों की कास्टिंग बदल दी गई, फि़ल्में सिनेमाघरों से हटा ली गईं। दक्षिण कोरिया की टी.वी. सीरीज को चीन की वैबसाइटों से हटा लिया गया। इसके अलावा चीन में कोरियाई कलाकारों के स्टेज प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी गई। चीन की इस हरकत का असर दक्षिण कोरिया में भी दिखा वहां पर कुछ लोगों ने हाथों में पोस्टर लेकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन किया। 

इसी तरह सितम्बर 2020 में उत्तरी चीन के अंदरूनी मंगोलिया स्वायत्त प्रांत में मंगोल मूल के लोग अपने बच्चों को स्कूलों में मंगोलियाई भाषा पढ़ाते हैं। लेकिन अब चीन की नई शिक्षा नीति के तहत अल्पसंख्यकों के स्कूलों में भी प्राथमिक और मिडल लैवल में पढ़ाने का माध्यम मंगोलियाई भाषा की जगह चीनी मंडारिन भाषा होगी। इसे लेकर कई मंगोलियाई अभिभावकों ने चीनी स्कूलों से अपने बच्चों का नाम कटवा कर मंगोल भाषा में गाना गाकर विरोध दर्ज करवाया था। उत्तरी चीन में इस समय मंगोल मूल के 42 लाख लोग रहते हैं। फिल्मों में भी कम्युनिस्ट पार्टी का वर्चस्व जारी है। ऐतिहासिक फिल्मों के नाम पर ऐसी फिल्में बनाई जाती हैं, जिसमें युद्धभूमि में चीनी सैनिकों के हाथों अमरीकी सेना की पराजय दिखाई जाती है, जो काल्पनिकता से ज्यादा कुछ भी नहीं है। जैसे युद्ध दृश्य चीनी फिल्मों में दिखाए जाते हैं, वैसे वास्तविकता में कभी हुए ही नहीं थे। 

जिस तरह कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने सरकारी दस्तावेजों में जापानी इतिहास के साथ छेड़छाड़ की है वैसे ही अब फिल्मों के माध्यम से अमरीका के इतिहास को बदलने की खोखली कोशिश हो रही है। चीनी लोगों में विजेता के भाव भरने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा समय-समय पर प्रचार माध्यमों से झूठे बिगुल बजाए जाते हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ने सांस्कृतिक संरक्षण के नाम पर चीन में जो भी बदलाव किए हैं, उनके पीछे कोई तर्क नहीं, सिर्फ थोपा गया खोखला राष्ट्रवाद है, जिसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने बाकी प्रोपेगैंडा में कितनी सफल हो पाती है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!