‘नई स्वर्ण जमा योजना’ ‘सरकार का एक अच्छा पग’

Edited By ,Updated: 22 May, 2015 12:32 AM

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भारत विश्व के गरीब देशों में से एक है परंतु इसके बावजूद विश्व के सर्वाधिक धनी देशों में से माने जाने वाले अमरीका के फैडरल बैंक के पास जितना सोना है,

भारत विश्व के गरीब देशों में से एक है परंतु इसके बावजूद विश्व के सर्वाधिक धनी देशों में से माने जाने वाले अमरीका के फैडरल बैंक के पास जितना सोना है, उससे लगभग दुगना सोना भारतीयों के पास आभूषणों, सिक्कों और सोने की सिल्लियों के रूप में मौजूद है जो निजी हाथों में होने के अलावा मंदिरों तथा अन्य धर्म स्थानों के पास पड़ा हुआ है। 

इसकी मात्रा 20 हजार टन से भी अधिक है जिसका मूल्य वर्तमान दर के अनुसार 60 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक है। सरकार खनिज तेल के आयात के बाद सर्वाधिक विदेशी मुद्रा सोने के आयात पर ही खर्च करती है। 
 
भारत विश्व में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है तथा प्रतिवर्ष 800 से 1000 टन तक सोना आयात करता है। भारतीय महिलाओं का स्वर्ण आभूषणों के प्रति लगाव जग जाहिर है परंतु घरों में तालों में बंद सोना देश के विकास में कोई योगदान नहीं देता। यही सोना यदि देश के बुनियादी ढांचे के विकास में प्रयोग किया जाए तो देश की कायापलट हो सकती है। 
 
इसी बात को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक की ‘कैश रिजर्व रेशो’ (सी.आर.आर.) तथा ‘स्टैचूटरी लिक्विडिटी रेशो’ (एस.एल.आर.) के अंतर्गत अब भारत सरकार द्वारा रिजर्व बैंक की अनिवार्य लिक्विडिटी संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए एक स्वर्ण डिपाजिट योजना आरंभ करने का प्रस्ताव है।
 
इस योजना से सरकार और सोना जमा करवाने वाले दोनों ही पक्षों को लाभ होगा। इसका उद्देश्य निष्क्रिय पड़े सोने को ‘कैश रिजर्व रेशो’ (सी.आर.आर.) तथा ‘स्टैचूटरी लिक्विडिटी रेशो’ (एस.एल.आर.) प्रयोग में लाना तथा ग्राहकों को सोने पर ब्याज रूपी आमदनी का अवसर देना है। 
 
इस योजना के अंतर्गत एकल या संयुक्त रूप में व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.), विभिन्न ट्रस्ट और कम्पनियां सोना जमा करवा सकती हैं। इसकी न्यूनतम मात्रा 30 ग्राम रखी गई है। इसके अंतर्गत केवल स्वर्ण आभूषण, सिक्के इत्यादि खुदरा रूप में स्वीकार किए जाएंगे।
 
ग्राहकों को अपने आवेदन पत्र के साथ परिचय पत्र, निवास प्रमाणपत्र और जमा कराए जाने वाले सोने का विवरण देना होगा जिसे स्वीकार करते समय संबंधित बैंक विधिवत रसीद देगा और भारत सरकार की मिंट (टकसाल) द्वारा सोने की जांच एवं पिघलाने के बाद बुलियन शाखा मुम्बई द्वारा स्वर्ण जमा प्रमाण पत्र 999 शुद्धता के लिए दिया जाएगा।
 
यह प्रमाणपत्र सोना जमा करवाने के 90 दिनों बाद जमाकत्र्ता को भेजा जाएगा। जमा अवधि की समाप्ति पर ग्राहक सोने अथवा उसके बराबर आंकी गई रकम के रूप में भुगतान प्राप्त कर सकेगा और चाहे तो जमा अवधि की समाप्ति के बाद इसका नवीकरण भी करवा सकता है। इस पर जमाकत्र्ता को ब्याज में आयकर, सम्पत्तिकर और पूंजीगत कर लाभ में छूट दी जाएगी। 
 
योजना के अंतर्गत बैंकों द्वारा ‘स्वर्ण बचत खाता’ खोलने के बाद 30/60 दिनों के बाद ब्याज देय होगा। ब्याज दर का निर्णय संबंधित बैंकों पर छोड़ा गया है और इसका मूल्यांकन सोने के मूल्य के अनुसार किया जाएगा। यदि कोई ग्राहक 100 ग्राम सोना जमा करवाता है और उसे 1 प्रतिशत ब्याज मिलता है तब परिपक्वता पर उसे एक सौ एक ग्राम सोने का क्रैडिट दिया जाएगा। 
कोई भी व्यक्ति अथवा संस्थाएं मान्यता प्राप्त केंद्रों से अपने सोने का मूल्यांकन करवाकर न्यूनतम एक वर्ष की अवधि के लिए बैंकों में स्वर्ण बचत खाता खोल सकती हैं। वित्त मंत्रालय ने 2 जून तक इसके प्रारूप पर संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं। शुरू में इसे चुने हुए शहरों में ही लागू किया जाएगा।
 
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक शोध विभाग ने इस प्रस्तावित योजना को गेम चेंजर बताया है। इससे न केवल देश का राजकोषीय घाटा काबू में आएगा बल्कि जमा दर में वृद्धि होने पर देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा तथा सरकार अपने राजकोषीय घाटे से बेहतर ढंग से निपट सकेगी। कुल मिलाकर यह एक अच्छी योजना है जो आम लोगों और सरकार दोनों के लिए ही समान रूप से लाभदायक सिद्ध हो सकेगी।  
 

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