भाजपा के ‘गले की हड्डी’ बना ‘व्यापमं भर्ती घोटाला’

Edited By ,Updated: 23 Jul, 2015 11:58 PM

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वर्षों से चल रहे मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले का पर्दाफाश 7 जुलाई, 2013 को हुआ था जब इंदौर में पी.एम.टी. (Pre Medical Test) में कुछ छात्र फर्जी नाम से परीक्षा देते पकड़े गए।

वर्षों से चल रहे मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले का पर्दाफाश 7 जुलाई, 2013 को हुआ था जब इंदौर में पी.एम.टी. (Pre Medical Test) में कुछ छात्र फर्जी नाम से परीक्षा देते पकड़े गए। 

उनसे पूछताछ में सबसे पहले डा. जगदीश सागर का नाम सामने आया। उसने विभिन्न परीक्षाओं में भर्ती के महाघोटालों का खुलासा किया जिसमें मंत्री से लेकर व्यापमं के उच्चाधिकारियों, कालेजों के प्र्रिंसीपलों व दलालों का नैटवर्क शामिल था। लाखों रुपए रिश्वत लेकर जाली तरीके से नौकरियां बांटने के इस धंधे का महत्वपूर्ण अड्डा भी ‘व्यापमं’ का मुख्य कार्यालय ही था। 
 
अगस्त 2013 में इस घोटाले की जांच एस.टी.एफ. (Special Task Force) को सौंप दी गई और फिर इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश से अप्रैल, 2014 में एस.आई.टी. (Special Investigation Team) बनाई जिसकी देखरेख में एस.टी.एफ. जांच कर रही थी। इसने इस महाघोटाले में कुल 55 मामले दर्ज किए थे जिसमें 2100 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, 491 आरोपी अभी भी फरार हैं। 
 
इस जांच के दौरान 48 लोगों की मौत हो चुकी है और एस.टी.एफ.1200 आरोपियों के चालान पेश कर चुकी है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव का नाम भी घोटाले के आरोपियों में शामिल है।
 
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की गिरफ्तारी में जगदीश सागर का ही मुख्य हाथ है। विपक्ष इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से त्यागपत्र की मांग कर रहा है ।
 
परीक्षाओं में असली उम्मीदवार की जगह नकली छात्र बिठा दिए जाते थे, या उत्तर पुस्तिका खाली छोड़ दी जाती जिसे बाद में भरा जाता या प्राप्तांक बाद में बढ़ा दिए जाते या छात्रों की जगह डाक्टरों से पेपर लिखवाए जाते। 
 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस घोटाले की सी.बी.आई. जांच से लगातार इंकार के बाद सुप्रीमकोर्ट ने 9 जुलाई, 2015 को सी.बी.आई. को इसकी जांच सौंपी और इसने 13 जुलाई को जांच शुरू कर दी जो अब तक 14 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है। उसने 52 लोगों को आरोपी बनाया है तथा 15 लोगों की मौत को भी जांच में शामिल किया गया है। 
 
इस घोटाले के शिकार लोगों, ‘व्हिसल ब्लोअर’ (मामला उठाने वाले) तथा उनके परिजनों का जीना हराम हो गया है। ग्वालियर के नारायण सिंह भदौरिया के डाक्टर बेटे रमेंद्र ने इस वर्ष 8 जनवरी को आत्महत्या कर ली व 4 दिन बाद ही रमेंद्र की मां ने भी तेजाब पीकर जीवन लीला समाप्त कर ली। मजदूरी करके रमेंद्र को पढ़ाने वाले भदौरिया ने सिसकते हुए कहा, ‘‘वह तो भाजपा की पूजा करती थी पर इस घोटाले ने मां-बेटे दोनों की जान ले ली।’’  
 
एक क्लर्क विनोद कुमार पांडे का दावा है कि उसके पास व्यापमं के माध्यम से 2009 से 2013 के बीच तृतीय श्रेणी के 250 अध्यापकों की भर्ती बारे दस्तावेजों की तीन अलमारियां भरी हैं। वह पुलिस व इस घोटाले में शामिल लोगों से जान बचाने के लिए छिपता फिर रहा है जिन्होंने उसे धमकी दी है कि यदि उसने ये दस्तावेज अधिकारियों को सौंपे तो वे उसे मार डालेंगे। 
 
एक अन्य ‘व्हिसल ब्लोअर’ आशीष चतुर्वेदी के पिता ओम प्रकाश का कहना है कि इस घोटाले का पर्दाफाश करने के बाद से परिवार की सारी खुशियां छिन गई हैं और अब तक आशीष पर 14 बार हमला हो चुका है। 
 
ऐसा ही एक मामला सरकारी डाक्टर आनंद राय का है। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा के विरुद्ध सी.बी.आई. में शिकायत दर्ज करवाने के कुछ ही दिनों बाद उनका तबादला इंदौर से धार हो गया। उनकी डाक्टर पत्नी गौरी को भी मî के सिविल अस्पताल से उठाकर उज्जैन के सिविल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।  
 
इस घोटाले में शक के दायरे में चल रहे आयुवज्ञान के 5 छात्रों ने राष्टपति से कहा है कि ‘‘मुकद्दमेबाजी का खर्च बर्दाश्त करना हमारे वश से बाहर है। या तो हमारे साथ न्याय किया जाए या मरने की अनुमति दे दी जाए।’’
 
कुल मिलाकर ललित मोदी प्रकरण के साथ-साथ व्यापमं घोटाला भाजपा के गले की हड्डी बन गया है और सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे तथा शिवराज सिंह चौहान के त्यागपत्र की मांग को लेकर कांग्रेस तथा कुछ अन्य दलों के आक्रामक रुख के कारण आज संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन भी पूरी तरह हंगामे की भेंट चढ़ गया। 

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