Edited By ,Updated: 21 Nov, 2025 05:03 AM

कुछ समय पूर्व ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ द्वारा मुस्लिम महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि पति के एक से अधिक विवाह होने पर उसकी पत्नी की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इस अध्ययन में 289 महिलाओं में से 84 प्रतिशत ने माना...
कुछ समय पूर्व ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ द्वारा मुस्लिम महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि पति के एक से अधिक विवाह होने पर उसकी पत्नी की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इस अध्ययन में 289 महिलाओं में से 84 प्रतिशत ने माना कि बहु विवाह पर प्रतिबंध लगाना तथा इसे गैर कानूनी घोषित किया जाना चाहिए। इस अध्ययन के अनुसार पत्नी को लगता है कि पति ने दूसरी महिला से विवाह करके उसके स्वाभिमान को चोट पहुंचाई है।
इसी के दृष्टिगत ‘असम’ के मुख्यमंत्री ‘हिमंत बिस्वा सरमा’ ने 9 नवम्बर को कहा कि इस बुराई पर रोक लगाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने ‘असम बहु विवाह निषेध विधेयक’ को स्वीकृति दे दी है। इसे 25 नवम्बर, 2025 को शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को कानूनी रूप से तलाक दिए बिना किसी अन्य महिला से विवाह करेगा, तो उसके धर्म की परवाह किए बिना उसे 7 वर्ष या उससे अधिक कैद की सजा का प्रावधान होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी कह सकता है कि उसका धर्म इसकी इजाजत देता है लेकिन हमारी सरकार कभी बहु विवाह की इजाजत नहीं देगी। हम हर कीमत पर इस राज्य में महिलाओं की गरिमा की रक्षा करेंगे तथा हमने पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाने का भी फैसला किया है। सरकार जरूरी मामलों में आर्थिक मदद करेगी ताकि किसी भी महिला को जिंदगी में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।’’ बहु विवाह की हानियों को देखते हुए असम सरकार का उक्त फैसला सही है। इसे जितनी जल्दी दूसरे राज्यों में लागू किया जाएगा, महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सम्मान के लिए उतना ही अच्छा होगा।-विजय कुमार