पश्चिम बंगाल की चुनावी ‘हलचल’ ‘तृणमूल में नाराजगी’ और ‘भाजपा में मारामारी’

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2021 05:01 AM

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‘तृणमूल’ कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी 34 वर्षों का वामपंथी शासन समाप्त कर 22 मई, 2011 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं और दो बार बंगाल की सत्ता पर कब्जा बनाए रखने में सफल रहीं परंतु अब उन्हें तीसरी बार जीतने से रोक कर अप

‘तृणमूल’ कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी 34 वर्षों का वामपंथी शासन समाप्त कर 22 मई, 2011 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं और दो बार बंगाल की सत्ता पर कब्जा बनाए रखने में सफल रहीं परंतु अब उन्हें तीसरी बार जीतने से रोक कर अपनी सरकार बनाने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। 

भाजपा के अपने विरुद्ध अभियान के अलावा ममता बनर्जी को सत्ता विरोधी लहर, पार्टी में लगातार बढ़ रहे असंतोष तथा अपने नेताओं के पलायन की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। ममता के विश्वस्त साथी ही उन पर अपनी बात न सुनने तथा पार्टी में चाटुकारों और अयोग्यों के बोलबाले का आरोप लगा रहे हैं। ममता का दायां हाथ कहलाने वाले पूर्व मंत्री ‘शुभेंदु अधिकारी’ सहित दर्जनों नेता भाजपा में चले गए हैं जिनमें ‘साऊथ बंगाल स्टेट ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन’ के अध्यक्ष ‘दीप्तांगशु चौधरी’, बैरकपुर से विधायक ‘शीलभद्र दत्त’, मिदनापुर से विधायक ‘बनाश्री मैती’ आदि शामिल हैं। 

यही नहीं, ममता सरकार में खेल मंत्री लक्ष्मी रत्न शुक्ला के बाद अब वन मंत्री राजीव बनर्जी ने भी मंत्री पद से त्यागपत्र देकर धमाका कर दिया है तथा उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। और तो और, ममता के भाई काॢतक बनर्जी भी उनसे बागी हो रहे हैं। जहां तृणमूल कांग्रेस में नाराजगी और असंतोष व्याप्त है तो दूसरी ओर भाजपा में भी बड़े पैमाने पर तृणमूल कांग्रेस के लोगों को शामिल करने के विरुद्ध बगावत और मारामारी शुरू हो गई है। 

21 जनवरी को आसनसोल में पार्टी कार्यालय में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और राष्ट्रीय सचिव अरविंद मैनन की मौजूदगी में पुराने और नए कार्यकत्र्ताओं में मारामारी हो गई। स्वयं बाबुल सुप्रियो ने स्वीकार किया कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं में ‘नोक-झोंक’ हुई है तथा दूसरे लोगों का कहना है कि मुद्दा तृणमूल कांग्रेस से आए हुए लोगों का ही था। इसी दिन बर्दवान में तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों को पार्टी में शामिल करने के विरुद्ध भाजपा कार्यकत्र्ताओं ने दफ्तर में घुस कर जिला अध्यक्ष संदीप नंदी के विरुद्ध नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर नंदी के समर्थक छत पर चढ़ कर उन पर पत्थर बरसाने लगे। फिर दूसरे गुट ने भी पत्थरबाजी शुरू कर दी जिससे कई भाजपा कार्यकत्र्ता घायल हो गए। 

संदीप नंदी के विरोधियों ने एक टैम्पो तथा कई मोटरसाइकिलों को आग लगा दी तथा पुलिस से भी उलझ पड़े। इस सिलसिले में 7 भाजपा वर्करों को गिरफ्तार किया गया। नंदी का विरोध करने वालों का कहना था कि उन लोगों ने पार्टी के लिए खून-पसीना एक किया है लेकिन अब वह तृणमूल कांग्रेस से आए हुए लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं। जिस दफ्तर में हंगामा हुआ उसका उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने 2 सप्ताह पूर्व ही किया था। उधर बंगाल के हुगली जिले में ‘फुरफुरा शरीफ’ दरगाह के प्रभावशाली ‘मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी’ ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक नया राजनीतिक दल ‘इंडियन सैकुलर फ्रंट’ बनाने की घोषणा कर दी है जो विधानसभा की सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। 

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार ‘असदुद्दीन ओवैसी’ के बाद मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के चुनाव मैदान में उतरने से मुस्लिम वोट बंटेगा परंतु तृणमूल नेताओं का कहना है कि इससे उनकी चुनाव संभावनाओं पर प्रभाव नहीं पड़ेगा तथा तृणमूल कांग्रेस इस बार भी विजय प्राप्त करेगी। राज्य में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने वाम दलों के साथ गठबंधन कर लिया है हालांकि दोनों में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है और सीटों की संख्या पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। अब जबकि पश्चिम बंगाल के चुनावों में लगभग तीन महीने का समय ही बचा है, भाजपा के वरिष्ठï नेताओं के लिए पार्टी की अंदरुनी लड़ाई चिंता का विषय बन गई है और पार्टी नेताओं को भाजपा का ‘टी.एम.सी. करण’ होने से पार्टी का अनुशासन बिगडऩे की आशंका है। 

एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि ‘‘यदि भाजपा टी.एम.सी. (तृणमूल कांग्रेस) के लोगों से भर जाएगी तो यह उसकी बी टीम जैसी दिखने लगेगी और टी.एम.सी. को खारिज करने के इच्छुक मतदाता भाजपा को वोट देने से पहले 2 बार सोचेंगे।’’ हालांकि प्रदेश भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने बिना सी.एम. फेस चुनाव लडऩे की बात कही है परंतु राज्य में चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही मुख्यमंत्री के लिए भी रस्साकशी शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष ‘दिलीप घोष’ को पहले ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा था परंतु अब त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के पूर्व राज्यपाल ‘तथागत राय’ के प्रदेश राजनीति में लौट कर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जता देने से भाजपा में एक और गुट उभर आया है। 

जहां गृह मंत्री अमित शाह ने इन चुनावों में भाजपा के लिए 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है वहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि भाजपा इन चुनावों में दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी और यदि उनका दावा गलत हुुआ तो वह ट्विटर छोड़ देंगे।अब तक सामने आए घटनाक्रम के अनुसार फिलहाल पूरी तरह भ्रामक स्थिति बनी हुई है। भाजपा तथा तृणमूल कांग्रेस में भविष्य में होने वाले धमाके ही तय करेंगे कि बाजी इस बार किसके हाथ लगने वाली है। यह जानने के लिए हमें कुछ समय और प्रतीक्षा करनी होगी।—विजय कुमार 

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