‘रिश्वतखोर पुलिस कर्मचारी’ बन रहे विभाग की बदनामी का कारण!

Edited By Updated: 12 Nov, 2025 04:20 AM

bribery police personnel are becoming the reason for the department s infamy

हालांकि पुलिस विभाग के कर्मचारियों से अनुशासित तथा रिश्वतखोरी जैसी बुराइयों से दूर रहने की उम्मीद की जाती है, परन्तु देश में चंद पुलिस कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने ही विभाग की बदनामी का कारण बन रहे हैं, जिसकी पिछले लगभग 4 महीनों की घटनाएं...

हालांकि पुलिस विभाग के कर्मचारियों से अनुशासित तथा रिश्वतखोरी जैसी बुराइयों से दूर रहने की उम्मीद की जाती है, परन्तु देश में चंद पुलिस कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने ही विभाग की बदनामी का कारण बन रहे हैं, जिसकी पिछले लगभग 4 महीनों की घटनाएं निम्न में दर्ज हैं :

* 4 जुलाई, 2025 को ‘मथुरा’ (उत्तर प्रदेश) के ‘गोविंद नगर’ थाने में तैनात एक कांस्टेबल ‘शुभम चौहान’ को अपने इलाके में ‘संजू’ नामक एक ई-रिक्शा चालक को रिक्शा चलाने की ‘अनुमति’ देने के बदले में उससे 20,000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
* 17 अक्तूबर को ‘वाराणसी’ (उत्तर प्रदेश) के एक महिला थाने की इंचार्ज ‘सुमित्रा देवी’ तथा कांस्टेबल ‘अर्चना राय’ को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की टीम ने एक मामले को दबाने के बदले में शिकायतकत्र्ता से 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
* 3 नवम्बर को ‘पुणे’ (महाराष्ट्र) के ‘पिम्परी-चिंवाड’ में ‘भ्रष्टïाचार निरोधक ब्यूरो’ के अधिकारियों ने अपने ही विभाग में तैनात सब इंस्पैक्टर ‘प्रमोद चिंतामणि’ को आॢथक अपराध के केस में आरोपी एक वकील से 2 करोड़ रुपए रिश्वत मांगने तथा पहली किस्त के रूप में 45.5 लाख रुपए लेने के आरोप में गिरफ्तार किया।

* 4 नवम्बर को ‘सवाई माधोपुर’ (राजस्थान) के ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ में डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस ‘भैरू लाल मीणा’  को शिकायतकत्र्ता से 80,000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में उसी के विभाग के उच्चाधिकारियों ने गिरफ्तार किया। 
उल्लेखनीय है कि ‘भैरू लाल मीणा’ अपनी गिरफ्तारी से सिर्फ एक घंटा पहले एक समारोह में ईमानदारी से कमाई करने पर भाषण देकर आया था।
* 7 नवम्बर को ‘मऊ’ (उत्तर प्रदेश) के ‘हलधरपुर’ में ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ के अधिकारियों ने दारोगा ‘अजय सिंह’ को जूस का बूथ चलाने वाले ‘बबलू चौहान’ नामक व्यक्ति से भूमि विवाद के केस में उसका नाम निकालने के बदले में 20,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
* 8 नवम्बर को ‘कानपुर’ (उत्तर प्रदेश) में आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 100 करोड़ रुपए की सम्पत्ति बनाने के आरोपों में घिरे उत्तर प्रदेश के निलंबित डी.सी.पी. ‘ऋषिकांत शुक्ला’ की गिरफ्तारी के लिए अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया। 
* 9 नवम्बर को ‘हिसार’ (हरियाणा) पुलिस ने एक सब-इंस्पैक्टर ‘जगदीश चंद्र’ और एक असिस्टैंट सब-इंस्पैक्टर ‘विजय कुमार’ को एक स्थानीय व्यापारी को झूठे केस में फंसा कर उससे 2.30 लाख रुपए की जब्री वसूली करने के आरोप में गिरफ्तार किया। 

* और अब 10 नवम्बर को ‘दिल्ली’ पुलिस के एक असिस्टैंट सब इंस्पैक्टर ‘पाटिल कुमार’ को एक संपत्ति की सत्यापन रिपोर्ट देने के लिए 2.4 लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।  
* 10 नवम्बर को ही ‘अहमदाबाद’ (गुजरात) में ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ के अधिकारियों ने ‘किशोर’ नामक एक कांस्टेबल को शिकायतकत्र्ता से सीट बैल्ट न बांधने के आरोप में 1000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया।

पहले भी पुलिस के चंद कर्मचारी अपनी ऐसी हरकतों के कारण कानून के शिकंजे में फंस चुके हैं। पुलिस कर्मचारियों का इस प्रकार का गलत आचरण सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी खतरा सिद्ध हो सकता है। अत: ऐसा करने वाले पुलिस कर्मियों को कठोर और शिक्षाप्रद दंड देने की आवश्यकता है, ताकि दूसरों को भी इससे सबक मिले और वे रिश्वत लेने की बात तो दूर रही, इसके नाम से भी डरने लगें।—विजय कुमार 

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