‘देश में स्कूली बस दुर्घटनाओं में हो रही’ ‘बच्चों की दर्दनाक मौतें’

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2024 05:12 AM

children are dying tragically in school bus accidents

देश में सड़क दुर्घटनाओं की बाढ़-सी आई हुई है। एक ओर बसों, कारों, ट्रकों और दोपहिया वाहनों आदि की दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं, तो दूसरी ओर स्कूली बसों के चालकों द्वारा भी मोबाइल पर बात करते हुए या नशे की हालत में तेज रफ्तार से...

देश में सड़क दुर्घटनाओं की बाढ़-सी आई हुई है। एक ओर बसों, कारों, ट्रकों और दोपहिया वाहनों आदि की दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं, तो दूसरी ओर स्कूली बसों के चालकों द्वारा भी मोबाइल पर बात करते हुए या नशे की हालत में तेज रफ्तार से वाहन चलाने से मासूम बच्चों की जान जोखिम में पड़ रही है, जो इसी वर्ष हुई निम्न स्कूली बस दुर्घटनाओं से स्पष्ट है :

  • 5 जनवरी, 2024 को भोपाल में एक स्कूली बस चालक की लापरवाही से बस के बेकाबू होकर खाई में जा गिरने से 12 बच्चे घायल हो गए।
  • 11 जनवरी को सुमेरपुर (पाली, राजस्थान) में एक स्कूली बस और ट्रक की टक्कर के परिणामस्वरूप 11 बच्चे घायल हो गए।
  • 18 जनवरी को सरिता विहार, दिल्ली में एक तेज रफ्तार स्कूली बस ने सड़क पर अपनी मां के साथ जा रही एक बच्ची को कुचल दिया।
  • 18 जनवरी, 2024 को ही सागर (मध्य प्रदेश) में एक तेज रफ्तार स्कूली बस के नशे में धुत्त चालक ने बस एक पेड़ से टकरा दी, जिससे 14 बच्चों को गंभीर चोटें आईं। 
  • 23 फरवरी को कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के बंजार में एक स्कूली बस खाई में जा गिरी, जिससे 7 बच्चे घायल हो गए।
  • 2 अप्रैल को बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) में पिकनिक मनाकर लौट रहे बच्चों की तेज रफ्तार स्कूली बस बेकाबू होकर पलट जाने के परिणामस्वरूप बस के कंडक्टर तथा 3 बच्चों की मृत्यु तथा 38 अन्य घायल हो गए।
  • 11 अप्रैल को सुबह लगभग 9 बजे हरियाणा में कनीना के जी.एल. पब्लिक स्कूल की बस के ‘उन्हाणी’ के समीप एक दुर्घटना का शिकार हो जाने से 2 सगे भाइयों सहित 6 बच्चों की दर्दनाक मृत्यु तथा 37 अन्य घायल हो गए, जिनमें से कई बच्चों की हालत गंभीर बताई जाती है। 

एक छात्र के अनुसार शराब के नशे में बस के ड्राइवर ने 120 किलोमीटर की तेज रफ्तार से बस चलाते हुए एक अन्य वाहन को ओवरटेक करने के चक्कर में बस को एक पेड़ से टकरा दिया। दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि बच्चे बस की खिड़कियों के रास्ते छिटक कर बाहर जा गिरे। खून से लथपथ बच्चों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें दूर-दूर तक सुनाई दे रही थीं। ईद की छुट्टी होने के बावजूद स्कूल में छुट्टïी नहीं की गई थी। पता चला है कि बस का फिटनैस प्रमाण पत्र 6 वर्ष पहले 2018 में ही समाप्त हो चुका था और इसके बिना ही बस चलाई जा रही थी। इस तरह स्कूलों की टूटी एवं खटारा बसें छात्रों के जीवन से खिलवाड़ कर रही हैं, जिससे बसों की ‘पासिंग’ को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। 

बताया जाता है कि इस घटना से पहले ड्राइवर ने खेड़ी गांव के निकट एक बाइक सवार को टक्कर मार कर घायल कर दिया था। राज्य की शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने कहा है कि बस के ड्राइवर, स्कूल के प्रिंसीपल और संचालक पर एफ.आई.आर. दर्ज की जाएगी। इस तरह की घटनाओं को देखते हुए स्कूली बसों के सुरक्षित परिचालन के लिए कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। सभी स्कूली बसों में फस्र्ट-एड बॉक्स रखना और एमरजैंसी नंबर प्रदॢशत करना अनिवार्य होना चाहिए।

स्कूली बसों में स्पीड गवर्नर लगाना, फिटनैस सर्टीफिकेट का नियमित नवीकरण, पुरानी और खटारा बसों के स्थान पर अच्छी हालत वाली बस का ही इस्तेमाल यकीनी बनाने के अलावा वाहन चालकों की आयु एवं स्वास्थ्य संबंधी पड़ताल करना भी आवश्यक है। स्कूलों के प्रबंधक नशा करने वालों को वाहन चालक और उनके सहायक न रखें। कुछ स्कूलों के प्रबंधक अपनी बसों के चालकों संबंधी शिकायतों और उनके द्वारा की गई दुर्घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेते और न ही उनके विरुद्ध प्रभावशाली कार्रवाई करते हैं। ऐसा आचरण करने वाले स्कूल प्रबंधकों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। -विजय कुमार

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