अमरीका तथा अन्य देशों में भारतीयों पर हमलों में लगातार हो रही वृद्धि

Edited By ,Updated: 07 Mar, 2017 10:31 PM

continued increase in attacks on indians in america and other countries

2015 के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1.56 करोड़ भारतीय पढ़ाई, रोजगार व अन्य कारणों से .....

2015 के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1.56 करोड़ भारतीय पढ़ाई, रोजगार व अन्य कारणों से खाड़ी के देशों के अलावा अमरीका, इंगलैंड, कनाडा, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस आदि देशों में रह रहे हैं। कारोबार के लिहाज से ही नहीं बल्कि शिक्षा के लिहाज से भी अमरीका भारतीयों का पसंदीदा देश बन चुका है तथा पढ़ाई और रोजगार के सिलसिले में वहां जाने वाले भारतीयों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 

हालांकि विदेशों में रहने वाले भारतीयों का रिकार्ड काफी अच्छा है परन्तु इसके बावजूद समय-समय पर भारतीय वहां उन देशों में नस्ली हमलों का शिकार होते आ रहे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं- 

28 अक्तूबर 2016 को आस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में भारतीय मूल के एक बस ड्राइवर मनमीत अलीशेर को जिंदा जला दिया गया। 12 फरवरी रात को अमरीका के कैलीफोर्निया में वामशी चंद्र रैडडी नामक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। फरवरी 2017 के प्रथम सप्ताह में जमैका के किंग्स्टन में लुटेरों ने राकेश तलरेजा की हत्या कर दी और उसके घर से सब कुछ लूट लिया। 22 फरवरी को अमरीका में कन्सास में श्रीनिवास कुचिभोटला की हत्या तथा एक अन्य युवक को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया। 23 फरवरी को न्यूयार्क में एकता देसाई नामक भारतीय युवती से ट्रेन में अफ्रीकी-अमरीकी व्यक्ति ने नस्ली दुव्र्यवहार किया और उसे अशोभनीय नामों से पुकारने के अलावा चिल्ला कर कहा ‘यहां से निकल जाओ’। 

4 मार्च को दक्षिण अमरीका की लैंकेस्टर काऊंटी में एक स्टोर के मालिक हरनीश पटेल की उसके घर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई। 5 मार्च को न्यूयार्क में एक नकाबपोश ने दीप राय सिंह को ‘अपने देश वापस जाओ’ बोलते हुए गोली मार कर घायल कर दिया। इसी दिन न्यूजीलैंड में भी एक भारतीय नरेन्द्र वीर सिंह के नस्ली घृणा का शिकार होने का मामला भी प्रकाश में आया। उसे गालियां दी गईं, धमकाया गया और पंजाबी लोगों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की गई। 

उपरोक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रम्प के अमरीका का राष्टपति पद संभालने के बाद वहां प्रवासियों पर हमलों के रुझान में खतरनाक हद तक वृद्धि हो रही है जिसकी पहले ही आशंका व्यक्त की जा रही थी। हालांकि ट्रम्प ने श्रीनिवास की हत्या की निंदा की है पर इसके बाद भी वहां भारतीयों पर हमलों से स्पष्ट है कि यह औपचारिकता ही है क्योंकि उन्होंने अपराधियों से सख्ती से निपटने जैसी कोई बात नहीं कही। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीयों पर हमलों की निंदा करते हुए अमरीका प्रशासन से इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाने की मांग की है। 

हालांकि भारत के विदेश सचिव जय शंकर ने कन्सास कांड को अपनी तरह की अकेली घटना के तौर पर देखने की बात कही है परंतु लगातार ऐसी घटनाएं होने के कारण यह मामला कूटनीतिक स्तर पर उठाने के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बारे में सीधे-सीधे डोनाल्ड ट्रम्प व अन्य देशों के शासन प्रमुखों से बात करनी चाहिए। अमरीका की ‘माइग्रैंट वर्कर्स एसोसिशन’ के सदस्य अनु कालोटी के अनुसार, ‘‘अब ऐसी नस्लवादी घटनाएं पहले से कहीं अधिक हो रही हैं। यह भारतीयों के लिए चिंता का विषय है और ट्रम्प के राष्टपति बनने के बाद समाज अधिक असहनशील हो गया है।’’ 

भारतीयों के उस देश के सर्वाधिक अमीर और प्रवासी शिक्षित समुदाय होने के बावजूद वहां के तौर-तरीकों और जीवनशैली के अनुसार स्वयं को न ढालने के परिणामस्वरूप उनके प्रति स्थानीय लोगों के मन में ईष्र्या और विद्वेष की भावना भी इस तरह के ‘घृणा हमलों’ का एक कारण हो सकती है। लिहाजा प्रवासी भारतीयों को अपनी सुरक्षा के प्रति अधिक सतर्क होना होगा। भारत में शिक्षा और रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने और हमारे विश्वविद्यालयों का स्तर पाश्चात्य शिक्षा संस्थानों के समकक्ष करने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा व रोजगार के लिए विदेशों पर हमारी निर्भरता कम हो।                                —विजय कुमार

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