सस्ती विषैली शराब से हो रही मौतें और उजड़ रहे परिवार

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2019 03:27 AM

deaths from cheap toxic alcohol and destitute family

आज समूचे देश में शराब और अन्य नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब के इस्तेमाल से बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशों का घुन खोखला कर रहा है। आमतौर...

आज समूचे देश में शराब और अन्य नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब के इस्तेमाल से बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशों का घुन खोखला कर रहा है। आमतौर पर लोगों को शराब से नशे की लत लगती है और जब वे आर्थिक  तंगी के कारण शराब नहीं खरीद पाते तो अन्य सस्ते नशों और नकली शराब का इस्तेमाल शुरू करके अपना जीवन तबाह कर बैठते हैं। 

इसके बावजूद सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे शासक नेतागण तो शराब को नशा ही नहीं मानते और इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को वे खोना नहीं चाहते। नेता चाहे कुछ भी कहें, यह अटल सत्य है कि शराब एक नशा और जहर है तथा इसके सेवन से लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, अनीमिया, गठिया, स्नायु रोग, मोटापा, दिल की बीमारी आदि के अलावा महिलाओं में गर्भपात, गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव तथा विभिन्न विकारों से पीड़ित बच्चों के जन्म जैसी समस्याएं होती हैं। शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पराधीनता के युग में यह घोषणा की थी कि यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी उनके हाथ में आ जाए तो वह शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर देंगे। 

नकली शराब बनाने के लिए विभिन्न हानिकारक कैमिकल्स के अलावा छिपकली, सांप जैसे विषैले जंतुओं और दर्द निवारक काली मरहम जैसी वस्तुओं का भी इस्तेमाल किया जाता है। शराब पीने के भयावह दुष्परिणाम एक बार फिर हाल ही में सामने आए जब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम और आंध्र प्रदेश में मात्र फरवरी महीने में ही 300 के लगभग लोगों की विषैली शराब पीने से मौत हो गई। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब पीने से कम से कम 109 लोग मारे गए जबकि असम में लगभग 157 लोगों की मृत्यु हुई। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में कैमिकल युक्त विषैली शराब पीने से 7 लोगों की मृत्यु हो गई, अनेक लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए तथा बहुसंख्य लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी। 

इन मौतों के परिणामस्वरूप किसी ने अपना पिता खोया, किसी ने भाई तो किसी ने बेटा। अनेक परिवारों ने अपना एकमात्र कमाने वाला भी खो दिया और असंख्य परिवारों के जीवन में अंधकार छा गया। हमेशा की तरह दुर्घटना घट जाने के बाद संबंधित राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न स्थानों पर छापेमारी और अनेक लोगों को गिरफ्तार करके बड़ी मात्रा में नकली शराब जब्त की गई। उक्त मौतों के पीछे शराब में ‘मिथाइल अल्कोहल’ या ‘मेथानोल’ नामक विषैला कैमिकल होने का संदेह है जो भारत में शराब से होने वाली मौतों का बड़ा कारण माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार मिथाइल अल्कोहल अत्यंत खतरनाक होता है और इसका असर दिमाग, आंखों और लिवर पर पड़ता है। इससे व्यक्ति या तो अंधा हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है और इसके लिए मिथाइल अल्कोहल की थोड़ी सी मात्रा ही काफी होती है। मिथाइल अल्कोहल मुख्य रूप से पेंट और प्लाईवुड इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है। 

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में की गई छापेमारी के दौरान जब्त की गई शराब में चूहे मार दवाई मिलाने का संदेह भी व्यक्त किया जा रहा है। विशाखापट्टïनम में शराब से हुई मौतों के लिए शराब बनाने में इस्तेमाल किए गए विषैले कैमिकलों को जिम्मेदार माना जा रहा है। उक्त घटनाओं के लिए जहां सस्ती विषैली शराब बनाकर बेचने वाले मौत के व्यापारी जिम्मेदार हैं वहीं संबंधित राज्यों का प्रशासन भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं जो अवैध शराब के धंधे पर रोक लगाने में विफल सिद्ध हो रहा है। अत: जहां जहरीली शराब के व्यापारियों पर नकेल कसने और उन्हें कठोरतम दंड देने की आवश्यकता है वहीं विषैली शराब से होने वाली मौतें रोकने के लिए प्रशासन की जिम्मेदारी तय करने की भी जरूरत है और जहां कहीं भी जहरीली शराब पीने से मौतें हों, वहां के स्थानीय प्रशासन के विरुद्ध भी कार्रवाई की जानी चाहिए।—विजय कुमार 

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