चुनावी मौसम में सभी दलों के नेताओं द्वारा ‘दल-बदल हुआ तेज’

Edited By ,Updated: 20 Mar, 2024 05:06 AM

defection has increased  by leaders of all parties in the election season

चंद वर्षों से देश की सभी राजनीतिक पार्टियों में दल-बदली का रुझान जारी है लेकिन चुनावों के दिनों में तो इसमें और भी तेजी आ गई है। अब जबकि लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं दल-बदली और जोरों पर है :

चंद वर्षों से देश की सभी राजनीतिक पार्टियों में दल-बदली का रुझान जारी है लेकिन चुनावों के दिनों में तो इसमें और भी तेजी आ गई है। अब जबकि लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं दल-बदली और जोरों पर है : 

* 15 मार्च को ‘बीजू जनता दल’ (बीजद) से त्यागपत्र देकर प्रसिद्ध ओडिय़ा अभिनेता अरिंदम राय भाजपा में चले गए। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने दरकिनार कर दिया है।’’
* 15 मार्च को ही बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) से तृणमूल कांग्रेस के सांसद अर्जुन सिंह ने पार्टी से इस बार टिकट न मिलने पर यह कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया कि ‘‘राज्य में तृणमूल कांग्रेस पुलिस और गुंडों के बल पर सत्ता में है। यह गुंडों की मदद से सत्ता में रहना चाहती है।’’ 

* 15 मार्च को ही अपना टिकट काटे जाने से नाराज असम के बारपेटा से कांग्रेस के सांसद अब्दुल खालिक ने पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा तथा प्रदेश प्रभारी महासचिव जितेंद्र सिंह के रवैये ने राज्य में पार्टी की संभावनाएं समाप्त कर दी हैं। यहां जनता के मुद्दे पीछे छूट गए हैं।’’ 
* 16 मार्च को मध्य प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पर नाराजगी व्यक्त करते हुए यह कह कर पार्टी से त्यागपत्र दे दिया कि ‘‘भाजपा में भ्रष्ट लोगों को संरक्षण मिल रहा है तथा यह राजनीतिक व्यापारियों का अड्डा बन गई है।’’ 

* 16 मार्च को ही तेलंगाना प्रदेश ‘बहुजन समाज पार्टी’ (बसपा) के प्रदेशाध्यक्ष आर.एस. प्रवीण कुमार ने अध्यक्ष पद तथा पार्टी की सदस्यता दोनों से त्यागपत्र देकर भारत राष्टï्र समिति (बी.आर.एस.) से नाता जोड़ते हुए कहा, ‘‘बी.आर.एस. के साथ गठबंधन समाप्त करने के लिए मायावती ने मुझ पर दबाव डाला था जो मुझे पसंद नहीं आया और मैंने बी.आर.एस. में शामिल होने के लिए बसपा ही छोड़ दी।’’ 

* 17 मार्च को चेवेल्ला (आंध्र प्रदेश ) से ‘भारत राष्ट्र समिति’ (बी.आर.एस.) के सांसद जी. रंजीत रैड्डी ने पार्टी से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर दी तथा कहा, ‘‘राज्य में मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के कारण मुझे वैकल्पिक रास्ता अपनाने का निर्णय लेना पड़ा।’’ वह गत वर्ष ‘तेलुगू देशम पार्टी’ से त्यागपत्र देकर बी.आर.एस. में शामिल हुए थे।  
* 17 मार्च को ही कर्नाटक के पूर्व उप-मुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा ने भाजपा नेतृत्व द्वारा उनके बेटे के.ई. कंतेश को लोकसभा चुनावों के लिए टिकट न देने से नाराज होकर शिमोगा से आगामी लोकसभा चुनाव निर्दलीय लडऩे की घोषणा करते हुए आरोप लगाया कि प्रदेश भाजपाध्यक्ष येद्दियुरप्पा उनके बेटे के.ई. कंतेश को पार्टी टिकट मिलने में रोड़ा अटका रहे हैं। 
* 18 मार्च को ही कर्नाटक के बेंगलुरू उत्तर से दोबारा चुनाव लडऩे के लिए टिकट नहीं दिए जाने पर नाराज भाजपा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने कहा, ‘‘ऐसा कहने के लिए अब कुछ नहीं बचा है कि भाजपा कर्नाटक के अन्य दलों से हट कर है।’’ 

* 18 मार्च को ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता सईद जफर भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जितने वर्ष भी कांग्रेस में रहा कांग्रेस ने कभी भी मुझे मेरी योग्यता के अनुरूप पद नहीं दिया।’’ 
* और अब 19 मार्च को झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी तथा स्व. दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन पार्टी से त्यागपत्र  देकर भाजपा में शामिल हो गईं। सीता सोरेन ने आरोप लगाया कि उनके पति के निधन के बाद पार्टी ने उन्हें और उनके परिवार को पर्याप्त सहयोग नहीं दिया तथा वह पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रही थीं। 
 * 19 मार्च को ही केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के गठबंधन सहयोगी पशुपति कुमार पारस ने बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर बातचीत में शामिल न करके उनकी ‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी’ के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। 

* 19 मार्च को ही जद-यू (नीतीश कुमार की पार्टी) के राष्ट्रीय महासचिव अली अशरफ फातमी ने भी सीट बंटवारे की घोषणा में नाराजगी के कारण  पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने जद-यू द्वारा राजद (लालू यादव की पार्टी) से गठबंधन तोडऩे पर भी नाराजगी जाहिर की है। उक्त नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि मूल पार्टी के नेतृत्व द्वारा अपने सदस्यों की उपेक्षा, उनकी बात न सुनने आदि के कारण राजनीतिक दलों में लोकतंत्र का क्षरण होने से दल-बदल को बढ़ावा मिल रहा है।—विजय कुमार   

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!