पुलिस की हिरासत से अपराधियों की फरारी और अदालत परिसरों में गोलीबारी

Edited By Pardeep,Updated: 09 May, 2018 03:04 AM

fugitives of criminals from police custody and firing at court premises

केंद्र और राज्य सरकारों के दावों के बावजूद देश में अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है और अपराधी तत्वों के हौसले इस कदर बढ़ चुके हैं कि न सिर्फ वे पुलिस की हिरासत से भागने में सफल हो रहे हैं बल्कि अपने साथियों को छुड़वाने या प्रतिद्वंद्वी गिरोह के...

केंद्र और राज्य सरकारों के दावों के बावजूद देश में अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है और अपराधी तत्वों के हौसले इस कदर बढ़ चुके हैं कि न सिर्फ वे पुलिस की हिरासत से भागने में सफल हो रहे हैं बल्कि अपने साथियों को छुड़वाने या प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों का काम तमाम करने के लिए अदालत परिसरों तक में गोलीबारी और खून-खराबा कर रहे हैं: 

17 जनवरी, 2018 को राजस्थान में सादूलपुर के न्यायालय परिसर में चंद हथियारबंद व्यक्ति एक हिस्ट्री शीटर अजय जैतपुरा की हत्या और 2 अन्य को घायल कर फरार हो गए। 06 फरवरी को श्रीनगर में महाराजा हरि सिंह अस्पताल में आतंकवादियों ने हमला कर दिया। वे वहां उपचार के लिए भर्ती एक पाकिस्तानी आतंकवादी को छुड़ा कर ले गए और इस हमले में 2 पुलिस कर्मी शहीद हो गए। 18 फरवरी को पुलिस वालों की आंखों में मिर्च झोंक कर दिल्ली के एक अस्पताल में चैकअप करवाने आए कैदी को उसके साथी छुड़ा कर ले गए। 

04 अप्रैल को बिहार के हाजीपुर नगर थाना क्षेत्र के कचहरी रोड पर कैदी को अदालत में पेशी भुगतवा कर ले जा रहे हवलदार की अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी और अपने साथी कैदी को छुड़ा ले गए। 25 अप्रैल को गुवाहाटी में ‘कामाख्या दायमारी’ उर्फ ‘कावाना सोंग’ नामक आतंकवादी राष्ट्रीय जांच एजैंसी की अदालत में पेश किए जाने के कुछ ही समय बाद पुलिस हिरासत से फरार हो गया। और अब 7 मई को हरियाणा में भिवानी जिले के सिवानी न्यायालय परिसर में 3 बदमाशों ने गोली चला दी जिससे भागीरथ लाल नामक पुलिस हैड कांस्टेबल की मृत्यु हो गई। पुलिस के अनुसार हमलावर वहां हत्या के एक केस के सिलसिले में पेशी के लिए लाए गए प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों सुनील उर्फ कालिया तथा जयकुमार उर्फ भदरिया की हत्या करने आए थे। 

जब सुनील सहित कुछ विचाराधीन कैदियों को वापस पुलिस की गाड़ी में बिठाने के लिए ले जाया जा रहा था तब प्रतिद्वंद्वी गिरोह के 3 हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं। 2 गोलियां हैड कांस्टेबल भागीरथ लाल के सिर में लगीं और घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई जबकि ए.एस.आई. गौरी शंकरानंद तथा 2 विचाराधीन कैदी सुनील व जय कुमार उर्फ भदरिया छर्रे लगने से घायल हो गए। पुलिस तथा वहां मौजूद लोगों ने 2 कथित हमलावरों को पकड़ लिया जबकि तीसरा भागने में सफल हो गया। 

पुलिस प्रवक्ता नसीब सिंह के अनुसार यह गोलीबारी गैंग प्रतिद्वंद्विता का परिणाम है तथा मीठी गिरोह के लोग प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सुनील का काम तमाम करने के लिए आए थे जिसने 2015 में अपने एक साथी कपिल के साथ मिल कर मीठी गांव के विजेंद्र तथा 2 अन्य की राजस्थान में हत्या की थी। कपिल की बाद में विजेंद्र के भाइयों द्वारा कथित तौर से हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हैड कांस्टेबल भागीरथ लाल के परिवार को 30 लाख रुपए सहायता देने की घोषणा की है तथा उनके परिवार के एक सदस्य को ‘विशेष अनुकंपा योजना’ के अंतर्गत नौकरी की पेशकश भी की जाएगी। 

देश में काफी समय से बलात्कारों, राजनीतिज्ञों व अन्य लोगों की हत्याओं और अन्य अपराधों के कारण खराब हो रहे वातावरण के अलावा जेलों से न्यायालय परिसरों में गोलीबारी व पुलिस की हिरासत से अपराधियों की फरारी के लगातार बढ़ रहे मामलों से स्पष्टï है कि अपराधियों के हौसले कितने बढ़ चुके हैं और हमारी सुरक्षा व्यवस्था उनके समक्ष किस प्रकार असहाय होकर रह गई है। यही नहीं, अब तो अदालतों में जजों पर भी हमले होने शुरू हो गए हैं। गत वर्ष अगस्त मास में नई दिल्ली के साकेत न्यायालय परिसर में एक सैशन जज द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए उन पर पीड़ित पक्ष के एक व्यक्ति ने जूता तक फैंक कर दे मारा था। यह हमारे सुरक्षा प्रबंधन में घर कर गई त्रुटियों का स्पष्टï संकेत है जिन्हें तत्काल दूर कर सुरक्षा प्रणाली को चाक-चौबंद करने की जरूरत है। ऐसा न किया गया तो अपराधियों के हौसले और बढ़ेंगे तथा हमारी न्याय प्रणाली प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी।—विजय कुमार 

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