देश के विभिन्न भागों में अग्निकांडों से हो रही जान-माल की भारी क्षति

Edited By ,Updated: 18 May, 2022 04:39 AM

huge loss of life and property due to fire in different parts of the country

राजधानी दिल्ली में गत 13 मई रात को मुंडका इलाके में सी.सी.टी.वी. बनाने वाली एक फैक्टरी की चार मंजिला इमारत में भीषण अग्निकांड ने एक बार फिर देश में समय-समय पर होने वाले अग्निकांडों में जानमाल की भारी क्षति की ओर ध्यान दिलाया है। इस अग्निकांड में 27...

राजधानी दिल्ली में गत 13 मई रात को मुंडका इलाके में सी.सी.टी.वी. बनाने वाली एक फैक्टरी की चार मंजिला इमारत में भीषण अग्निकांड ने एक बार फिर देश में समय-समय पर होने वाले अग्निकांडों में जानमाल की भारी क्षति की ओर ध्यान दिलाया है। इस अग्निकांड में 27 लोगों की मौत हो गई तथा 29 लोग अभी भी लापता हैं, जिनके जीवित बचने की बहुत कम संभावना व्यक्त की जा रही है। 

शुरुआती जांच के अनुमानों के अनुसार इस इमारत के रख-रखाव और सुरक्षा नियमों के पालन आदि से संबंधित अनेक त्रुटियां सामने आई हैं। जिस समय यह दुर्घटना हुई, उस क्षेत्र के लाइसैंसिंग अधिकारी का पद खाली पड़ा था और दुर्घटना के तुरन्त बाद कथित रूप से आनन-फानन में अधिकारियों द्वारा एक लाइसैंसिंग इंस्पैक्टर की नियुक्ति की गई जिसका काम यह देखना होता है कि उसके इलाके में स्थित व्यापारिक प्रतिष्ठानों के पास लाइसैंस है या नहीं। यह भी पता चला है कि इस इमारत के मालिक को 2016 में ‘सैल्फ एसैसमैंट स्कीम’ के अंतर्गत फैक्टरी का लाइसैंस दिया गया था परंतु इमारत में निर्धारित मापदंडों का पालन न किए जाने के कारण लाइसैंस रद्द कर दिया गया था। 

फिर 2019 में इसके ग्राऊंड फ्लोर पर एक शराब का ठेका खोला गया, जिसे अवैध निर्माण कानून के अंतर्गत सील कर दिया गया था, परन्तु बाद में ठेके के मालिक के जुर्माना अदा कर देने के बाद इसकी सील खोल दी गई थी। बहरहाल जहां इस घटना के मृतकों की शिनाख्त के लिए डी.एन.ए. जांच जारी है वहीं पुलिस ने दुर्घटना वाले स्थान पर लगा डी.वी.आर. (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) कब्जे में लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद आग लगने के कारणों का पता चल पाएगा। इस बीच उपराज्यपाल अनिल बैजल ने घटना की मैजिस्ट्रेटी जांच की स्वीकृति दे दी है। 

उक्त घटना के बाद 14 मई को नरेला की एक प्लास्टिक फैक्टरी में आग लग गई जबकि 16 मई को 2 और अग्निकांड हो गए। संसद भवन के निकट सैंट्रल विस्टा प्रोजैक्ट के वर्करों के लिए बनाई हुई अस्थायी झुग्गियों में आग लगने के अलावा नरेला औद्योगिक क्षेत्र में एक जूते बनाने वाली फैक्टरी में भीषण आग लग जाने से सम्पत्ति की भारी हानि हुई जबकि इनसे पहले भी कई भीषण अग्निकांडों में दिल्ली में भारी प्राण हानि हो चुकी है। 13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59, 21 जनवरी, 2018 को बवाना की पटाखा फैक्टरी अग्निकांड में 17 तथा 13 फरवरी, 2019 को करोल बाग  के एक होटल में हुए अग्निकांड में 17 लोगों की जान चली गई थी। इनके अलावा अन्य अग्निकांडों का तो कोई हिसाब ही नहीं है। ज्यादातर मामलों में शार्ट सर्किट होने, गैस सिलैंडर फटने या लीक करने, ज्वलनशील पदार्थों के निकट लापरवाही से आग जलाने आदि कारणों से अग्निकांड होते हैं। 

आम शिकायत यह भी है कि दमकल विभाग के अग्निशमन वाहन घटनास्थल पर समय पर नहीं पहुंच पाते और पहुंच भी जाएं तो उनके पास आग बुझाने का आवश्यक सामान नहीं होता। अधिकांश दमकल केन्द्रों को संकरी गलियों में जाने में सक्षम वाहनों, मल्टीपर्पज अग्निशमन वाहनों, अधिक ऊंचाई तक जाने वाली सीढिय़ों, अग्निशमन में सक्षम उपकरणों से युक्त मोटरसाइकिलों, हाई पावर क्रेनों, रिकवरी वैनों आदि के भारी अभाव का सामना करना पड़ रहा है और अधिकांश अग्निशमन वाहन अब पुराने भी हो गए हैं। अत: जब तक संबंधित विभागों को पूरे प्रशिक्षण व अत्याधुनिक अग्निशमन उपकरणों से लैस करके अग्निकांडों का मुकाबला और प्राणहानि न्यूनतम करने की रणनीति नहीं बनाई जाती तब तक ऐसे अग्निकांडों से होने वाले नुक्सान को कदापि नहीं रोका जा सकता। 

इसके साथ ही यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि कई इमारतों में अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटींग्विशर) आदि तो लगा रखे हैं परंतु न ही इमारत में रहने वालों को इनके इस्तेमाल करने के तरीके की जानकारी होती है और न ही इस बात का ध्यान रखा जाता है कि आपातकाल में इस्तेमाल के लिए वे सही ढंग से काम भी कर रहे हैं या नहीं। अत: जहां लाइसैंसिंग अधिकारियों को इमारतों में आग से बचाव के प्रबंधों की समय-समय पर जांच करनी चाहिए वहीं इमारतों में लगे अग्निशमन यंत्र भी सही हालत में होने चाहिएं। यही नहीं, इमारत में रहने वाले लोगों को इनके इस्तेमाल का प्रशिक्षण देना भी जरूरी है। ऐसा यकीनी बना देने से काफी प्राणहानि टाली जा सकती है।—विजय कुमार

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