‘अवैध नशा मुक्ति केंद्र’ ‘इलाज के नाम पर दे रहे यातनाएं’

Edited By Updated: 27 Apr, 2025 04:24 AM

illegal de addiction centres  torturing in the name of treatment

भारत में पिछले कुछ दशकों के दौरान विशेष रूप से युवाओं में नशे की लत में भारी वृद्धि होने के कारण उनके इलाज के लिए ‘नशा मुक्ति केंद्रों’ की स्थापना की आवश्यकता बढ़ी है। इसका अनुचित लाभ उठाते हुए समाज विरोधी तत्वों ने ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्र’ खोल कर...

भारत में पिछले कुछ दशकों के दौरान विशेष रूप से युवाओं में नशे की लत में भारी वृद्धि होने के कारण उनके इलाज के लिए ‘नशा मुक्ति केंद्रों’ की स्थापना की आवश्यकता बढ़ी है। इसका अनुचित लाभ उठाते हुए समाज विरोधी तत्वों ने ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्र’ खोल कर पीड़ितों का इलाज करने की बजाय उन्हें नशीली दवाएं आदि देकर ठगना शुरू कर रखा है और उनसे भारी-भरकम रकमें वसूल की जाती हैं। ऐसे ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्रों’ में नशे की तलब होने पर जब नशेड़ी तड़पते हैं तो उनसे मारपीट तक की जाती है। कई बार उन्हें बांध कर भी रखा जाता है और दवा के नाम पर नशा दे दिया जाता है। ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्रों’ में इलाज के लिए लाए गए नशेडिय़ों के उत्पीडऩ के दो महीनों के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :

* 25 फरवरी को ‘डबवाली’ (हरियाणा) के गांव ‘लोहगढ़’ में बिना मंजूरी और बिना डाक्टर के अवैध रूप से चलाए जा रहे एक नशा मुक्ति केंद्र पर छापा मार कर वहां नशा मुक्ति के नाम पर बंधक बनाकर रखे गए 30 युवकों को मुक्त करवाया गया। इनमें से 25 युवक पंजाब से संबंधित थे। 
* 20 मार्च को ‘बिजनौर’ (उत्तर प्रदेश) में एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती ‘फैसल’ नामक नशेड़ी द्वारा रात के समय चीखने-चिल्लाने और शोर मचाने पर कपड़ा ठूंस कर उसका मुंह बंद करके मारपीट करने के बाद गमछे से गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी गई। 
* 27 मार्च को अधिकारियों ने बठिंडा (पंजाब) के गांव ‘बुलाढ़ेवाला’ में चल रहे एक ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्र’ में छापेमारी करके 38 मरीजों को मुक्त करवाया। नशे के आदी मरीजों के साथ नशा मुक्ति केंद्र के संचालकों के बाऊंसर मारपीट करते थे और नींद न आने पर उन्हें नशे की गोलियां दी जाती थीं।
* 4 अप्रैल को ‘फरीदकोट’ (पंजाब) में स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक कोठी में चलाए जा रहे अवैध नशा मुक्ति केंद्र से छुड़वाकर 21 मरीजों को सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया गया। 
यहां मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार करने की शिकायतें भी मिली थीं तथा यहां दाखिल रोगियों को भागने से रोकने के लिए कोठी की दीवारों पर ‘फैंसिंग तारें’ भी लगाई गई थीं। 
* 4 अप्रैल को ही अधिकारियों ने ‘बठिंडा’ (पंजाब) के गांव ‘गुमटी कलां’ में एक अवैध नशा मुक्ति केंद्र का पर्दाफाश करके वहां से 10 मरीजों को मुक्त करवाया। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी इस सैंटर पर छापा मार कर उसे बंद करवाया गया था परंतु संचालक ने इसे फिर से खोल कर मरीज दाखिल करने का काम शुरू कर दिया था। 

* 10 अप्रैल को पलवल (हरियाणा) में ‘बामणीखेड़ा’ के निकट अवैध रूप से चल रहे एक नशा मुक्ति केंद्र का अधिकारियों ने भंडाफोड़ किया जहां 2 छोटे-छोटे कमरों में एक नाबालिग सहित 42 मरीजों को बंद रखा गया था। वहां कोई चिकित्सक या मनोचिकित्सक नहीं था।
* और अब 25 अप्रैल को जालंधर (पंजाब) के गांव ‘समराय’ में अधिकारियों ने एक ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्र’ में रखे गए 103 मरीजों को छुड़वाकर इस केंद्र को चलाने वाले 5 संचालकों को गिरफ्तार किया है।
इस अभियान के दौरान 57 पैकेट ‘अल्पराजोलम’ टैबलेट और 100 पैकेट ‘पैनाडोल’ सहित 2005 नशीली गोलियां जब्त की गईं। यहां 25 लोगों के रहने की जगह पर 125 मरीजों को रखा गया था।
उल्लेखनीय है कि इस महीने के शुरू में भी जालंधर प्रशासन ने ‘जमशेर’ स्थित एक अवैध नशा मुक्ति केंद्र से 34 युवकों को मुक्त करवाया था।

जानकारों के अनुसार भारत में केवल 4000-4500 मनोचिकित्सक ही हैं और वे सभी नशा मुक्ति उपचार से जुड़े हुए भी नहीं हैं, जिससे स्पष्टï है कि देश में नशा पीड़ितों के उपचार के लिए विशेषज्ञों की कमी है तथा  9 वर्ष की छोटी आयु के बच्चे भी अब नशे की लत के शिकार हो रहे हैं। अत: जहां देश में सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में सुविधाएं बढ़ाने की आवश्यकता है, वहीं अवैध नशा मुक्ति केंद्र चला कर लोगों को लूटने और नशा पीड़ितों के जीवन से खिलवाड़ करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की आवश्यकता है। साथ ही पीड़ितों के परिवारों को चाहिए कि वे रोगियों को ‘अवैध नशा मुक्ति केंद्रों’ में इलाज के लिए लेकर न जाएं या उन्हें स्वयं भी न जाने दें और उन्हें वैध एवं सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में ही दाखिल करवाएं ताकि वे ठीक हों सकें।—विजय कुमार 

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