क्या एक नई हरित क्रांति शुरु करने का समय आ गया

Edited By Updated: 01 Dec, 2025 04:18 AM

is it time to start a new green revolution

रबी (सर्दियों) की फसलों गेहूं, सरसों, चना, आलू आदि के बेहतर झाड़ के लिए यूरिया और डी.ए.पी. (डाई अमोनिया फास्फेट)  खादों की जरूरत होती है लेकिन इन दोनों ही खादों की कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है और उनमें भारी रोष व्याप्त है।  पंजाब और...

रबी (सर्दियों) की फसलों गेहूं, सरसों, चना, आलू आदि के बेहतर झाड़ के लिए यूरिया और डी.ए.पी. (डाई अमोनिया फास्फेट)  खादों की जरूरत होती है लेकिन इन दोनों ही खादों की कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है और उनमें भारी रोष व्याप्त है। 
पंजाब और हरियाणा से लेकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश आदि राज्यों के किसान इस समय डी.ए.पी. खाद की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं। डी.ए.पी. दूसरी सर्वाधिक खपत वाली खाद है जिसके लिए कुछ स्थानों पर किसानों को 2-2 दिन लाइन में लगना पड़ रहा है तथा कुछ राज्यों में तो पुलिस के पहरे में इसके वितरण के समाचार हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब देश में उक्त खादों की कमी महसूस हो रही है। खरीफ का सीजन हो या रबी का, हर बार किसानों को उक्त खादों को प्राप्त करने के लिए भारी कशमकश करनी पड़ती है। यदि किसान को खाद मिल भी जाए तो भी उसे जितनी चाहिए उतनी नहीं मिलती और मजबूरन किसानों को काला बाजार में महंगे दामों पर खाद लेनी पड़ती है। कई राज्यों में किसानों ने 1350 वाले 50 किलो डी.ए.पी. के कट्टïे को ब्लैक में खरीदने के लिए 2-2 हजार रुपए चुकाए हैं।

इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी कि देश के लिए अन्न उगाने वाले अन्नदाता को समय पर खाद नहीं मिल पाती। पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी किसानों को उक्त खादें प्राप्त करने के लिए मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है। 
-11 नवम्बर को देवरिया (उत्तर प्रदेश) में  किसानों ने खाद वितरण में धांधली के विरुद्ध प्रदर्शन किया। किसानों ने ‘साधन सहकारी समिति’ के सचिव पर और वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया कि उन्हें उक्त समिति से खाद न मिलने के कारण ब्लैक में महंगे भाव पर खाद खरीदनी पड़ रही है। 

-20 नवम्बर को ‘धार’ (मध्य प्रदेश) जिले के ‘राजगढ़’ में यूरिया खाद की कमी से परेशान किसानों ने चक्का जाम कर दिया। 
-22 नवम्बर को ‘अमृतसर’ (पंजाब) में विभिन्न किसान संगठनों ने ‘मुख्य कृषि अधिकारी’ के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करके खाद की सप्लाई और इसकी बिक्री से जुड़ी गड़बड़ी को तुरंत रोकने की मांग उठाई।
-25 नवम्बर को उज्जैन (मध्य प्रदेश) में किसानों ने यूरिया खाद की कमी और वितरण में देरी का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया जिसके परिणामस्वरूप उज्जैन-आगर (मालवा) हाईवे पर घंटों ट्रैफिक जाम रहा। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि प्रतिदिन खाद के लिए लगभग 300 किसानों को टोकन दिए जाते हैं परंतु 70-80 को ही खाद मिल पाती है। 
-27 नवम्बर को गुना (मध्य प्रदेश) के कुशेपुर गांव की किसान महिला भूरी बाई की खाद के लिए 2 दिनों तक लाइन में खड़ी रहने के परिणामस्वरूप भूख और थकान तथा ठंड के कारण तबीयत बिगड़ जाने से मौत हो गई।
अनेक स्थानों पर कर्मचारियों द्वारा खाद वितरण में पारदॢशता का अभाव और धांधली की शिकायतें भी मिल रही हैं। आरोप है कि कई जगह कर्मचारियों द्वारा किसानों को भगा दिया जाता है और कभी-कभी उनके दस्तावेज भी फाड़ कर फैंक दिए जाते हैं।

आज़ादी के बाद जब भारत के पास अपने लाखों लोगों को खिलाने के लिए कुछ नहीं था, तब 1960 में कृषि विज्ञानी और आनुवंशिकीविद् एम.एस.स्वामीनाथन के नेतृत्व तथा लाल बहादुर शास्त्री के समर्थन और बढ़ावा से आई हरित क्रांति ने भारत को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया  बल्कि इसे गेहूं और चावल का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर भी बनाया। फर्टिलाइजर सैक्टर ने नाइट्रोजन,फॉस्फेट और पोटाश जैसे जरूरी पोषक तत्वों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करके भारत की कृषि पैदावार को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। भारत अपनी लगभग 95 प्रतिशत विशेष खाद चीन से आयात करता है। 2023 के बीच से चीन ने विशेष  खाद के निर्यात पर रोक लगाने के साथ-साथ एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है। हालांकि भारत ने साऊथ अफ्रीका,चिली, मोरक्को से दूसरे सप्लाई सोर्स हासिल कर लिए हैं  लेकिन यह काफी नहीं है। शायद अब इस पर फिर से सोचने और एक नई हरित क्रांति शुरू करने का समय आ गया है। 

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