क्या भारत में भी सैन्य सेवा अनिवार्य हो?

Edited By Pardeep,Updated: 02 Jul, 2018 03:28 AM

is service in india also mandatory

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मार्कोन ने सर्वप्रथम चुनाव प्रचार के दौरान नैशनल सर्विस का विचार सामने रखा था जो अब योजनाबंदी के चरण पर पहुंच गया है। उनका देश नैशनल सर्विस को पुन: शुरू करने जा रहा है जिसमें सांस्कृतिक मूल्यों पर केंद्रित एक महीने की...

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मार्कोन ने सर्वप्रथम चुनाव प्रचार के दौरान नैशनल सर्विस का विचार सामने रखा था जो अब योजनाबंदी के चरण पर पहुंच गया है। उनका देश नैशनल सर्विस को पुन: शुरू करने जा रहा है जिसमें सांस्कृतिक मूल्यों पर केंद्रित एक महीने की सेवा के अलावा तीन महीने की स्वयंसेवा होगी जहां बच्चों को रक्षा तथा सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसका लक्ष्य युवाओं में अनुशासन तथा समाज के लिए कुछ करने की भावना भरना है। 

एक देश जो महिलाओं तथा पुरुषों दोनों के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा पर गर्व कर सकता है वह है इसराईल। वहां पुरुष 3 तथा महिलाएं 2 वर्ष के लिए सेना को अपनी सेवाएं देती हैं। यह नियम देश तथा विदेश में रहने वाले सभी इसराईली नागरिकों पर लागू होता है। हालांकि, स्वास्थ्य के आधार पर, नए आप्रवासियों, कुछ धार्मिक समूहों को इससे छूट दी जाती है और खिलाडिय़ों के लिए इसकी अवधि घटाई जा सकती है। विश्व में अन्य ऐसे देशों की भी एक लम्बी सूची है जहां सैन्य सेवा तथा अनिवार्य सैन्य भर्ती लागू है। जैसे कि- 

तुर्की : 20 साल से अधिक उम्र वाले सभी पुरुषों को 6 से 15 महीने तक अनिवार्य सैन्य सेवा करनी होती है।
ग्रीस : 19 साल से अधिक आयु के केवल पुरुष 9 महीने के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा करते हैं। 
साइप्रस : 18 साल की उम्र से साइप्रियोट मूल सहित सभी पुरुषों को सैन्य सेवा पूरी करनी होती है। 
ईरान : 18 साल से अधिक आयु के पुरुषों का 24 महीनों के लिए सैन्य सेवा करना अनिवार्य है। 
क्यूबा : 17 तथा फिर से 28 की उम्र में पुरुषों को कुल मिला कर दो वर्ष के लिए सेना में काम करना होता है। 

तो क्या भारत के युवाओं में बढ़ती हिंसक प्रवृति का हल भी यही तो नहीं है? अनुशासन के अभाव में हमारे युवा बेहद कम उम्र में ही नियम तोडऩा सीख रहे हैं। नशे में ड्राइविंग करना, सड़कों पर लोगों की हत्या या तेज रफ्तार का आनंद लेने के चक्कर में जान गंवा देना युवाओं में अनुशासहीनता के केवल कुछेक उदाहरण हैं। लाइनों में लगते वक्त या बस, ट्रेन या विमान में बुजुर्गों का सम्मान करने जैसी मूल परम्पराएं तक आज के युवाओं में कम देखने को मिल रही हैं। 

पूरे विश्व में भारत में युवाओं की सबसे अधिक संख्या है जिन्हें हम स्कूल-कॉलेज में कानून तथा नागरिकों के आदर की ट्रेनिंग नहीं दे रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सैन्य सेवा पुरुषों तथा महिलाओं दोनों के लिए अनिवार्य की जानी चाहिए। उनकी दलील है कि देश को दो साल की सेवा देना कोई बड़ी बात नहीं है। बदले में देश को अनुशासित तथा मर्यादित नागरिक मिलते हैं। इसराईल में तो प्रत्येक 10 वर्ष के बाद ट्रेनिंग दोहराई जाती है। इस मुद्दे पर एक और नजरिया है कि कुछ देश अनिवार्य सैन्य सेवा को खत्म कर रहे हैं। जैसा कि ऑस्ट्रिया ने 2013 में किया था। स्विट्जरलैंड भी सैन्य सेवा पर तीन बार जनमत संग्रह करवा चुका है क्योंकि वह उसे खत्म करना चाहता है तो क्या इससे यह अभिप्राय: लिया जाए कि इसका कोई लाभ नहीं? 

ब्राजील जैसे देशों में स्वास्थ्य आधार पर सैन्य सेवा से छूट मिलती है जिसका खूब दुरुपयोग होता है। अक्सर धनी युवाओं को राजनीतिक दबाव में वापस भेज दिया जाता है। चूंकि सिपाहियों को कुछ वेतन, भोजन, रिहायश दी जाती है अत: निर्धन ब्राजीलियाई लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत भी है। दक्षिण कोरिया में शारीरिक रूप से सक्षम सभी पुरुषों को 21 महीने की सेवा देनी होती है। ओलिम्पिक्स अथवा एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों को इससे छूट है। उत्तर कोरिया में भी ऐसा ही है परंतु वहां पुरुषों के लिए 11 तथा महिलाओं के लिए 7 वर्ष की सैन्य सेवा अनिवार्य है जिसे बढ़ाया भी जा सकता है। इरिट्रिया में भी सरकार सेवा काल को बढ़ा सकती है। 

हालांकि, इस तरह सरकार करियर बनाने वाले युवाओं के सालों का नुक्सान करके रोजगार के अवसर सीमित कर सकती है। इस मामले में शायद अमेरिका की व्यवस्था सर्वोत्तम है जहां युवा अपनी इच्छा से दो साल के लिए सेना में सेवा कर सकते हैं जिसके बाद उनकी उच्च शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवा नि:शुल्क होती है। भारत के मामले में कुछ लोगों को लगता है कि यह सैन्य संसाधनों की बर्बादी होगी क्योंकि हमारा देश बहुत विशाल है। इसमें भी भ्रष्टाचार दाखिल हो सकता है। तो क्या इसका हल भारत के लिए कुछ और होगा?

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