पंजाब सरकार ने भी माना ‘जेलें सुधार घर की भूमिका नहीं निभा रहीं’

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2020 03:35 AM

jails are not playing the role of a reform house

हमारी जेलें वर्षों से घोर कुप्रबंधन की शिकार हैं और क्रियात्मक रूप से अपराधी तत्वों द्वारा अवैध गतिविधियां चलाने का सरकारी हैडक्वार्टर और ‘सुधार घर’ की बजाय ‘बिगाड़ घर’ बन कर रह गई हैं। एक ओर कैदियों ने जेलों में नशे व अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं लाने...

हमारी जेलें वर्षों से घोर कुप्रबंधन की शिकार हैं और क्रियात्मक रूप से अपराधी तत्वों द्वारा अवैध गतिविधियां चलाने का सरकारी हैडक्वार्टर और ‘सुधार घर’ की बजाय ‘बिगाड़ घर’ बन कर रह गई हैं। एक ओर कैदियों ने जेलों में नशे व अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं लाने और अपना धंधा चलाने के तरीके ढूंढ निकाले हैं तो दूसरी ओर कथित रूप से कई जेल कर्मियों पर कैदियों के उत्पीडऩ और उनसे भारी-भरकम रकम के बदले में उन्हें विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाने के आरोप लग रहे हैं। 
हाल ही में पटियाला केंद्रीय जेल में बंद एक कैदी ने जेल के 15 कर्मचारियों और कुछ वरिष्ठï अधिकारियों पर उसे पीटने और पैसों की मांग करने का आरोप लगाया तथा उसने अपने शरीर पर चोटों के निशान दिखाते हुए कहा कि मांग पूरी न करने पर उसे छोटी कोठरी में बंद करने की धमकी दी गई है। 

इस बीच 4 मार्च को ही पंजाब विधानसभा में ‘पंजाब जेल विकास बोर्ड विधेयक 2020’, जिसे बाद में पारित कर दिया गया, पर बहस में बोलते हुए ‘लोक इंसाफ पार्टी’ के सिमरजीत सिंह बैंस ने आरोप लगाया कि ‘‘वर्षों से जेलें एक जागीर के रूप में काम कर रही हैं। इनमें एड्स और गंदगी की भरमार बड़ी समस्या है और जेलों के अस्पतालों की भी बुरी हालत है।’’‘‘कैदियों को डाक्टरी सुविधाएं नहीं मिलतीं। जेल में एक इंजैक्शन लगाने वाली सिरिंज 500 रुपए में मिल जाती है और कई कैदी मिल कर उसका इस्तेमाल करते हैं जिससे अनेक कैदी एड्स के शिकार हो जाते हैं।’’‘‘जेलों में पैसे देकर मोबाइल फोन भी आसानी से हासिल किए जा सकते हैं। जेल की कैंटीनों में खाद्य वस्तुएं भी एम.आर.पी. से कहीं अधिक दामों पर बेची जाती हैं और कैदियों को दिया जाने वाला भोजन घटिया होता है।’’

‘आम आदमी पार्टी’ की विधायक सर्बजीत कौर ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की भीड़ का उल्लेख किया और कहा कि ‘‘जेलों से कैदी और भी पक्के अपराधी बन कर निकलते हैं।’’बहस का जवाब देते हुए जेल मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा का यह स्वीकार कर लेना काफी नहीं है कि अनेक समस्याओं से ग्रस्त पंजाब की जेलें ‘सुधार घरों’ की भूमिका नहीं निभा रही हैं तथा वहां मिलीभगत से काम हो रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि जेलों में बंद कैदियों को बनती सुविधाएं देने के साथ-साथ समान रूप से जेल स्टाफ और कैदियों की मिलीभगत के कारण आई बुराइयों को दूर किया जाए। इसके साथ ही कैदियों द्वारा जेल अधिकारियों पर लगाए जाने वाले विभिन्न आरोपों की त्वरित जांच करके दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाना भी जरूरी है तभी राज्यों की जेलों का सुधार संभव होगा।—विजय कुमार 

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