किसान आंदोलन के दूसरे दिन भी जनजीवन अस्त-व्यस्त, किसानों व सुरक्षा बलों में झड़पें जारी

Edited By ,Updated: 15 Feb, 2024 04:21 AM

life remains disrupted on second day of farmer movement

किसान आंदोलन के दूसरे दिन 14 फरवरी को भी शंभू बार्डर तथा दिल्ली को जाने वाले अन्य मार्गों पर किसान डटे रहे।

किसान आंदोलन के दूसरे दिन 14 फरवरी को भी शंभू बार्डर तथा दिल्ली को जाने वाले अन्य मार्गों पर किसान डटे रहे। किसानों के दिल्ली कूच से पहले सुबह 8 बजे शंभू बार्डर पर उनमें और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई तथा माहौल तनावपूर्ण बन गया। अन्य स्थानों पर भी सुरक्षा बलों और आंदोलनकारी किसानों के बीच झड़पें जारी रहीं। जैसे ही आंदोलनकारी किसान आगे बढऩे की कोशिश करते, सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैस छोडऩे के अलावा लाठीचार्ज, रबड़ की गोलियों से फायरिंग, ड्रोन एक्शन, पानी की बौछारें आदि छोड़ी जाती रहीं, जबकि कुछ स्थानों पर किसानों ने सुरक्षा कर्मियों पर पथराव भी किया।

हालात की नजाकत को देखते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने भी अपनी सीमाएं सील करके पुलिस बल तैनात कर शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। मोहाली में भी धारा 144 लगा दी गई है। पिछले आंदोलन की कमियों से सबक लेकर इस बार किसान 800 ट्रालियां, पानी के 80 टैंकर और राशन लेकर 180 दिनों तक आंदोलन जारी रखने की तैयारी के साथ आए हैं। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सरकार किसानों से बातचीत तथा उनकी मांगों पर विचार करने के लिए एक ‘हाई पावर कमेटी’ बनाने को तैयार है जो इस बारे समयबद्ध फैसला करेगी, परन्तु किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा है कि सरकार पहले हमारा हक दे तभी बात होगी।

इस तरह के माहौल में जहां मामला तूल पकड़ता जा रहा है, वहीं देश के कारोबारियों की संस्था कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (‘कैट’) ने कहा है, ‘‘यदि किसानों का आंदोलन इसी तरह चलता रहा तो अकेले व्यापार जगत को लगभग 50,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।’’’ ‘कैट’ के अनुसार ‘‘किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में आने वाले अथवा दिल्ली से बाहर जाने वाले माल की सुचारू आवाजाही यकीनी बनाने के लिए सरकार को आवश्यक व्यवस्था करनी चाहिए और आंदोलनकारी किसानों की भी जिम्मेदारी है कि वे इस बात को यकीनी बनाएं।’’

किसानों के आंदोलन के कारण जहां र्ईंधन व अन्य अनिवार्य वस्तुओं की कमी हो जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है, वहीं पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल और दिल्ली के लोगों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है तथा यात्रा करने वालों और विवाह-शादियों वाले लोगों को आवागमन में  परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बसंत पंचमी के आसपास का समय विवाह-शादियों के लिए शुभ माना जाता है और इन दिनों पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में इस सप्ताह लगभग 2000 शादियां तय हैं, जिन पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।

पंजाब में विमानन कंपनियों ने दिल्ली के लिए किराया कई गुणा बढ़ा दिया है। बसों की भी कमी हो गई है तथा निजी ट्रांसपोर्ट और टैक्सी वालों ने भी दिल्ली से पंजाब के किराए बढ़ा दिए हैं। होटल वालों ने भी किराए बढ़ा दिए हैं। चंडीगढ़ से 13 फरवरी को पंजाब रोडवेज की एक भी बस दिल्ली नहीं गई। पंजाब से दिल्ली आने-जाने वाली सभी रेलगाडिय़ां फुल हो चुकी हैं। सीटें न मिलने से यात्री परेशान हैं।

इसी बीच किसानों ने 15 फरवरी को 12 से शाम 4 बजे तक पंजाब में जेठूके, सुनाम, राजपुरा, मानसा, मोगा, मलोट तथा फतेहगढ़ चूडिय़ां रेल ट्रैक जाम करने की घोषणा कर दी है, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाएगी। आंदोलन लम्बा ङ्क्षखचने के साथ-साथ हालात खराब होते चले जाएंगे तथा यह दूसरे राज्यों में भी फैलने लगेगा। यह इसी से स्पष्ट है कि 13 फरवरी को तिरुचिरापल्ली में किसान नेता पी. अयाकन्नू के नेतृत्व में आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में किसानों ने अद्र्धनग्न होकर सड़क जाम करके प्रदर्शन किया।

इस बीच केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं में 15 फरवरी को तीसरे दौर की बैठक होने के भी समाचार हैं। अत: जितनी जल्दी इस समस्या का हल निकाला जा सके, उतना ही अच्छा होगा तथा आंदोलन के परिणामस्वरूप हो रहे अनावश्यक खर्च और नुकसान पर रोक भी लग सकेगी। -विजय कुमार

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