‘अस्पतालों में अग्निकांडों से’ हो रही जान-माल की क्षति!

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 05:12 AM

loss of life and property due to fire in hospitals

विश्व भर में विभिन्न कारणों से अग्निकांडों में होने वाली प्रत्येक पांच मौतों में से एक मौत भारत में होती है और भारतीय अस्पतालों में समय-समय पर होने वाले अग्निकांडों के परिणामस्वरूप जान-माल की भारी क्षति हो रही है जिसके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं:

विश्व भर में विभिन्न कारणों से अग्निकांडों में होने वाली प्रत्येक पांच मौतों में से एक मौत भारत में होती है और भारतीय अस्पतालों में समय-समय पर होने वाले अग्निकांडों के परिणामस्वरूप जान-माल की भारी क्षति हो रही है जिसके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं:

* 25 मई, 2024 को दिल्ली के विवेक विहार स्थित बच्चों के अस्पताल में लगी आग के कारण 7 नवजात शिशुओं की झुलस जाने से मौत हो गई। इनमें से 6 बच्चों की आयु मात्र 15 दिन तथा एक बच्चे की आयु 25 दिन थी। 
पुलिस के अनुसार इस अस्पताल का लाइसैंस भी ‘एक्सपायर’ हो चुका था तथा इमारत में आग बुझाने वाले उपकरणों की भी व्यवस्था नहीं थी। अस्पताल में ‘फायर अलार्म’ तथा बाहर निकलने के लिए ‘एमरजैंसी द्वार’ भी नहीं था।
* 16 नवम्बर, 2024 को ‘झांसंी’ (उत्तर प्रदेश) स्थित ‘महारानी लक्ष्मी बाई मैडिकल कालेज एंड हास्पिटल’ में  नवजात बच्चों के आई.सी.यू. में शार्ट सर्किट से हुए भीषण अग्निकांड में 10 शिशुओं की मौत हो गई।
* 9 दिसम्बर, 2024 को ‘डिंडीगुल’ (तमिलनाडु) स्थित ‘सिटी हास्पिटल’ में आग लग जाने के कारण 6 लोगों की जान चली गई। 

* 15 अप्रैल, 2025 रात को ‘लखनऊ’ (उत्तर प्रदेश) स्थित ‘लोकबंधु अस्पताल’ में अचानक आग लग जाने के परिणामस्वरूप वहां उपचाराधीन एक रोगी की झुलसने से मौत हो गई। 
* 9 अगस्त, 2025 को ‘दिल्ली’ के आनंद विहार स्थित ‘कास्मोस सुपर स्पैशिलिटी हास्पिटल’ में लगी आग के परिणामस्वरूप अस्पताल के एक कर्मचारी की मौत हो गई तथा कई अन्य बेहोश हो गए।
* 22 सितम्बर, 2025 को ‘अमृतसर’ (पंजाब) के ‘जलियांवाला बाग मैमोरियल सिविल अस्पताल’ के ब्लड बैंक के निकट बने स्टोर में फ्रिज का कम्प्रैसर ‘ओवर हीट’ होकर फट जाने से आग लग गई। इसकी बगल में ही बच्चों का वार्ड स्थित होने के कारण स्टाफ ने शीशे तोड़ कर बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जिससे कोई अप्रिय घटना होने से टल गई। 
* 4 अक्तूबर, 2025 को ‘हाथरस’ (उत्तर प्रदेश) स्थित ‘बागला जिला अस्पताल’ के ए.सी. में लगी आग जल्दी ही अस्पताल के दूसरे हिस्सों में फैल गई। इससे अस्पताल में उपचाराधीन रोगियों की देखभाल करने वालों का सामान, रोगियों की जांच रिपोर्टें तथा अन्य अनेक वस्तुएं जल कर राख हो गईं। 

* 4 अक्तूबर, 2025 को ही ‘वाराणसी’ (उत्तर प्रदेश) स्थित ‘काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय’ के ‘सुंदर लाल अस्पताल’ की लैबोरेट्री में अचानक आग लग गई जिससे अस्पताल के स्टोर रूम में रखा काफी सामान नष्टï हो गया।
* और अब 5 अक्तूबर, 2025 की रात को लगभग साढ़े ग्यारह बजे ‘जयपुर’ (राजस्थान) स्थित ‘सवाई माधो सिंह अस्पताल’ के ‘ट्रॉमा सैंटर’ के ‘न्यूरो आई.सी.यू. वार्ड ’ के स्टोर रूम में लगी भीषण आग से 3 महिलाओं सहित 8 लोगों की मृत्यु हो गई। इससे पूर्व इसी वर्ष 13 जून को इसी अस्पताल के ‘सॢजकल ओंकोलोजी’ के आप्रेशन थिएटर में आग लग गई थी। अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं में 2020 की ‘कोरोना महामारी’ के बाद तेजी आई है। इसका मुख्य कारण महामारी के दौरान अस्पतालों में स्थापित किए गए ‘आक्सीजन प्लांट’ भी माने जा रहे हैं। 

उल्लेखनीय है कि महामारी के समाप्त हो जाने के बाद इन प्लांटों की देखभाल पर कम ध्यान दिया गया है जो इन घटनाओं का कारण बन रहा है। पिछले पांच वर्षों में इन घटनाओं में अब तक 120 से अधिक  मरीजों की मौत हो चुकी है लेकिन एक भी अस्पताल के विरुद्ध कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। अत: ऐसे मामलों में लापरवाही सामने आने पर अस्पतालों के विरुद्ध कार्रवाई के अलावा सभी अस्पतालों का ‘फायर सेफ्टी ऑडिट’ करने और राज्यों के स्वास्थ्य विभागों तथा फायर विभाग द्वारा नियमित रूप से सुरक्षा जांच करनी चाहिए ताकि ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।—विजय कुमार  

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