Edited By ,Updated: 13 Mar, 2024 05:14 AM
भाजपा हाईकमान ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में अपना मुख्यमंत्री बदल दिया है।
भाजपा हाईकमान ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में अपना मुख्यमंत्री बदल दिया है। राज्य में कुछ समय से भाजपा और जजपा के बीच कटुता की चर्चा सुनाई दे रही थी जो 11 मार्च को उप-मुख्यमंत्री तथा जजपा सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला की नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात के बाद चरम पर पहुंच गई। दुष्यंत चौटाला ने जे.पी. नड्डा से भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार की लोकसभा सीटों की मांग की थी परन्तु नड्डा ने इससे साफ इंकार कर दिया था।
परन्तु इससे पहले कि गठबंधन टूटने बारे कोई औपचारिक घोषणा होती, 11 मार्च को भाजपा हाईकमान से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टïर ने मंत्रियों तथा अपने समर्थक निर्दलीय विधायकों से बात करके (समर्थन पत्र लेकर) 12 मार्च को अपना और अपने मंत्रियों का सामूहिक त्यागपत्र राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को सौंप दिया। 12 मार्च को ही विधायक दल की बैठक में मनोहर लाल खट्टïर ने नए मुख्यमंत्री के लिए अपने नजदीकी नायब सिंह सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा जिन्हें सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नया नेता चुन लिया गया।
कैबिनेट की बैठक के बाद नायब सिंह सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट करके नई सरकार बनाने का दावा पेश किया और शाम 5 बजे राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ भी ले ली। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से पार्टी के सांसद नायब सिंह सैनी विधायक बने बिना ही 6 महीने मुख्यमंत्री रह सकते हैं और इसी अवधि में वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल भी अक्तूबर के अंत में समाप्त हो जाएगा।
2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में 90 सदस्यीय सदन में भाजपा के 41, जजपा के 10 और कांग्रेस के 30 विधायक हैं जबकि भाजपा को 6 निर्दलीयों और हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन प्राप्त है। 2 अन्य विधायक इनैलो के अभय चौटाला और एक निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू हैं। हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठï नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अनुसार ‘‘चूंकि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार अपना नैतिक अधिकार खो चुकी है, अत: राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है।
भाजपा और जजपा ने सत्ता विरोधी माहौल से बचने और लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आपसी मिलीभगत के अंतर्गत यह सब किया है।’’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘पहले से तय पटकथा के अनुसार यह ‘राजनीतिक सर्कस’ शुरू हुआ है ताकि जाति विभाजन के आधार पर वोट बांटा जा सके। यह समय बदलाव का है और जो हरियाणा में देखने को मिल रहा है वही पूरे देश में होने जा रहा है।’’
हरियाणा के ‘आप’ नेता सुशील गुप्ता ने भाजपा-जजपा पर निशाना साधते हुए दोनों के बीच गुप्त समझौता होने का आरोप लगाते हुए कहा,‘‘हरियाणा की जनता सब समझ चुकी है।’’ भाजपा नेता चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा है कि ‘‘मैंने तो पहले ही भाजपा को जजपा से नाता तोडऩे की नसीहत दी थी। मुख्यमंत्री बदलने से भाजपा को कोई लाभ नहीं होगा।’’ जहां तक नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद हरियाणा में भाजपा को मिलने वाले राजनीतिक लाभ का सवाल है, इस समय राज्य की जनता का एक बहुत बड़ा भाग भाजपा एवं सरकार से नाराज चल रहा है। किसान सड़कों पर हैं।
नायब सैनी खुद किसान परिवार से संबंध रखते हैं और भाजपा नेतृत्व द्वारा उन्हें ओ.बी.सी. नेता के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है। हरियाणा में ओ.बी.सी. समाज की भागीदारी लगभग 32 प्रतिशत है। ऐसे में, भाजपा को लगता है कि नायब सिंह सैनी को हरियाणा की कमान सौंपने से न केवल किसानों के तेवर कुछ ढीले पड़ेंगे, बल्कि ओ.बी.सी. समाज में बड़ी सेंध लगाने में भी भाजपा सफल रहेगी।
हरियाणा में 20 वर्ष बाद फिर से माहौल अस्थिर हो गया है। 10 वर्ष हुड्डा के थे। दो कार्यकाल वह मुख्यमंत्री रहे और 2 कार्यकाल भाजपा के शासन में निकल गए। और अब एक बार फिर हरियाणा में ‘आया राम गया राम’ का खेल शुरू हो गया है। अभी कुछ दिन पहले भाजपा के एक सांसद बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में चले गए और अब भाजपा ने जजपा को बाहर निकाल कर उसके कुछ विधायक छीन लिए। भाजपा के लिए यह बदलाव कितना लाभदायक सिद्ध होगा, इसका पता तो भविष्य में ही चलेगा। इसके अलावा भाजपा और जजपा का गठजोड़ टूटना भी राज्य में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा। -विजय कुमार