Edited By ,Updated: 06 Feb, 2021 02:33 AM
पाकिस्तान अपने सबसे बड़े दोस्त चीन के साथ-साथ सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात व मलेशिया सहित अनेक देशों के भारी कर्ज के बोझ तले दब गया है और दूसरे देशों से महंगे ब्याज पर कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गया है। यही नहीं इसके शासक अपनी करतूतों से दूसरे देशों...
पाकिस्तान अपने सबसे बड़े दोस्त चीन के साथ-साथ सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात व मलेशिया सहित अनेक देशों के भारी कर्ज के बोझ तले दब गया है और दूसरे देशों से महंगे ब्याज पर कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गया है। यही नहीं इसके शासक अपनी करतूतों से दूसरे देशों के साथ-साथ अपने मित्र इस्लामी देशों को भी नाराज करते जा रहे हैं। प्रतिवर्ष 11.5 प्रतिशत की दर से उस पर चढ़े कर्ज में वृद्धि हो रही है और इस तरह की हालत में पाकिस्तान ‘एशियाई विकास बैंक’ (ए.डी.बी.) से 73000 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रहा है।
पाकिस्तान के शासकों ने अपने देश के संस्थापक ‘मोहम्मद अली जिन्ना’ की बहन ‘फातिमा जिन्ना’ के नाम पर कराची में 759 एकड़ में फैले सबसे बड़े ‘फातिमा जिन्ना पार्क’ को भी 500 अरब रुपए में गिरवी रख दिया है। गत वर्ष 6 अगस्त को पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (ओ.आई.सी.) को कह दिया कि ‘‘यदि आप कश्मीर मुद्दे पर भारत के विरुद्ध कड़ा रुख नहीं अपनाते और इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने पर मजबूर हो जाऊंगा, जो इस मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने को तैयार हैं।’’
पाक विदेश मंत्री कुरैशी द्वारा अलग मुस्लिम गुट बनाने की धमकी देने के बाद सदा पाकिस्तान की मदद को तैयार रहने वाले सऊदी अरब के शासक भड़क उठे और उन्होंने तभी से पाकिस्तान के पर कुतरने शुरू कर दिए हैं। सबसे पहले सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल की खरीद के लिए भुगतान करने से मना किया और फिर अपना 1 बिलियन डालर का ऋण तुरंत चुकाने के लिए इसके शासकों पर दबाव डालना शुरू कर दिया। इस कारण पाकिस्तान के सामने चीन से कर्ज लेने की नौबत आ गई है परंतु चीन ने भी मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान को दिए जाने वाले किसी भी कर्ज के बदले में उससे गारंटी मांगनी शुरू कर दी है।
पाकिस्तान की इससे अधिक फजीहत क्या होगी कि उसके सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा जब सऊदी अरब के क्राऊन प्रिंस मोहम्मद-बिन-सलमान को मनाने के लिए रियाद पहुंचे तो उन्होंने बाजवा से मिलने से इंकार कर दिया। ‘युनाईटेड अरब एमिरेट्स’ (यू.ए.ई.) भी पाकिस्तान के शासकों पर अपना कई बिलियन डालर का कर्ज लौटाने के लिए दबाव डाल रहा है। पाकिस्तान और मलेशिया के संबंधों में भी दरार पडऩे लगी है। हाल ही में मलेशिया की अदालत के आदेश पर कुआलालम्पुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर पाकिस्तान विमान सेवा का यात्रियों से भरा विमान लीज की रकम की अदायगी संबंधी समस्या के कारण रोक लिया गया।
...और अब पाकिस्तान से नाराज इस्लामी देशों में ईरान भी शामिल हो गया है। गत 2 फरवरी को ईरान की सेना ने पाकिस्तान की सीमा में काफी अंदर घुस कर सॢजकल स्ट्राइक की और पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाकर रखे अपने 2 सैनिकों को छुड़ा कर ले गई। पाकिस्तान की सेना से सहायता प्राप्त करने वाले आतंकी संगठन ‘जैश- उल-अदल’ ने 16 अक्तूबर, 2018 को 12 ईरानी सैनिकों का अपहरण कर लिया था जिनमें से 10 सैनिक ईरान ने पहले ही रिहा करवा लिए थे तथा शेष दो सैनिक आतंकवादियों की कैद में थे। ईरानी सैनिकों ने इस अभियान के दौरान आतंकवादियों की सुरक्षा के लिए वहां तैनात पाकिस्तानी सैनिकों को भी मार गिराया। ईरान सरकार ने इस कार्रवाई के लिए पाकिस्तान सरकार या सेना को कोई जानकारी नहीं दी। ईरान सरकार कई बार पाकिस्तान सरकार से आतंकवादी गिरोह ‘जैश-उल-अदल’ की गतिविधियां रोकने के लिए कह चुकी है लेकिन पाकिस्तान के शासकों पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है कि 1947 में पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद ईरान ने ही सर्वप्रथम उसे मान्यता दी थी, अत: समझा जा सकता है कि इन दोनों देशों के बीच अब कितनी कटुता आ चुकी है। अब तो पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ‘काजी फैज ईसा’ ने भी एक मामले में फैसला सुनाते हुए कह दिया है कि देश की सरकार द्वारा पाकिस्तान को योजनाबद्ध ढंग से तबाह किया जा रहा है। पाकिस्तान सरकार की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही फजीहत के बीच इसके मित्र इस्लामी देशों का भी इससे मुंह फेर लेना इसके शासकों के लिए एक चेतावनी है कि अपने तौर-तरीके नहीं बदलने पर वे स्वयं को कुछ ही समय का मेहमान समझें।—विजय कुमार