Edited By ,Updated: 04 Jan, 2020 02:53 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में इस बात का संकेत दे चुके थे कि उनकी सरकार में किसी भी प्रकार की फिजूलखर्ची को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार ने सरकारी दफ्तरों में कामकाज का माहौल सुधारने के लिए सभी...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में इस बात का संकेत दे चुके थे कि उनकी सरकार में किसी भी प्रकार की फिजूलखर्ची को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार ने सरकारी दफ्तरों में कामकाज का माहौल सुधारने के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों से प्रति मास ऐसे कर्मचारियों की सूची मांगने का निर्णय भी लिया था जिन्हें समय से पूर्व रिटायर किया जा सकता हो।
लोगों से जुड़े सरकारी कामों का समय पर निपटारा करने के उद्देश्य से सरकार ने कर्मचारियों की जिम्मेदारी सख्ती से लागू करने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए भ्रष्ट और नाकाम कर्मचारियों के सफाए की दिशा में भी काम करना शुरू किया था और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आदेश द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) के स्टाफ में 15 प्रतिशत की कटौती करने के साथ-साथ कर्मचारियों द्वारा उत्पादकता में सुधार करने पर जोर दिया है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने विभिन्न मंत्रालयों को अपने खर्चों में कटौती करने का भी निर्देश दिया था तथा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय का यह निर्णय उसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने 3 और 4 जनवरी, 2020 को मंत्रिपरिषद की दो दिवसीय बैठक भी बुलाई है जिसमें सरकार की नीतियां बनाने के लिए 4 से 5 मंत्रालयों को अगले 5 वर्षों की प्लाङ्क्षनग के विषय में प्रैजेंटेशन देना होगा और बताना होगा कि वे अगले वर्षों में क्या-क्या करने जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 तक का लक्ष्य तय करने का फैसला किया है। लिहाजा मंत्रियों को बताया जाएगा कि अगले साढ़े 4 वर्षों के लिए उनका होमवर्क क्या है। सरकार के कामकाज में तेजी लाने की दिशा में उठाए जा रहे उक्त पगों से सरकारी राजस्व में बचत होगी तथा अधिकारियों के काम में चुस्ती और मुस्तैदी आने से लोगों के काम भी समय पर निपटाए जा सकेंगे। इससे जहां लोगों को लालफीताशाही से कुछ हद तक मुक्ति मिलेगी वहीं सरकार की छवि में भी सुधार होगा।—विजय कुमार