बिहार और राजस्थान द्वारा नशाबंदी के ‘सराहनीय लेकिन अधूरे’ प्रयास

Edited By ,Updated: 03 Apr, 2016 02:01 AM

prohibition by bihar and rajasthan s commendable but incomplete efforts

समूचे देश में शराब, पोस्त, भांग, अफीम तथा चिट्टा आदि नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध तथा बीमारियां भी बढ़ रही हैं।

समूचे देश में शराब, पोस्त, भांग, अफीम तथा चिट्टा आदि नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध तथा बीमारियां भी बढ़ रही हैं। शराब के सेवन से लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, अनीमिया, गठिया, स्नायु रोग, मोटापा, दिल की बीमारी आदि के अलावा महिलाओं में गर्भपात, गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव तथा विभिन्न विकारों से पीड़ित बच्चों के जन्म जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

 
इसी प्रकार पोस्त आदि नशों के सेवन से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पडऩे के साथ ही एक प्रकार की ‘आत्मलीनता’ पैदा हो जाती है और वह अपने इर्द-गिर्द को भूल जिस काम में लगे उसी में खो जाता है। इसी कारण मजदूरों को पोस्त, अफीम आदि की लत लगाकर उनसे ज्यादा काम करवाया जाता है। 
 
सामान्यत: लोगों को शराब से नशे की लत लगती है और जब वे शराब नहीं खरीद पाते तो अन्य सस्ते नशों व नकली शराब का सेवन शुरू करके जीवन तबाह कर लेते हैं। इसके बावजूद सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे शासक तो शराब को नशा ही नहीं मानते। वे इसकी बिक्री से होने वाली भारी आय भी खोना नहीं चाहते और हर वर्ष शराब का उत्पादन बढ़वा देते हैं। 
 
बिहार में गत वर्ष हुए विधानसभा चुनावों से पूर्व शराब के हाथों अपने परिजनों को खो चुकी महिलाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शराब पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था और इसी के अनुरूप नीतीश सरकार ने 1 अप्रैल से राज्य में देसी शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है तथा लगभग 3 करोड़ रुपए की देसी शराब नष्टï करके नालियों में बहा दी गई है।
 
अब नए आबकारी वर्ष 1 अप्रैल से ही राजस्थान सरकार ने भी पूरे राज्य में पोस्त की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर पोस्त के लगभग 19500 लाइसैंसशुदा ठेेके बंद कर दिए हैं जिनसे राज्य सरकार को 98 करोड़ रुपए की वाॢषक आय हो रही थी। ठेकों पर पोस्त 500 रुपए किलो मिलता था और पंजाब में तस्करी करके लाने वाले इसे 2000 से 2500 रुपए प्रति किलो के बीच बेचते थे। 
 
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 2012 में यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि पंजाब में 10 में से 7 युवक नशे के आदी हैं। अब ‘एम्स’ ने भी एक नवीनतम सर्वे में कहा है कि पंजाब में पोस्त वर्ग के नशों के अभ्यस्त लोगों की संख्या अंतर्राष्ट्रीय औसत से 4 गुणा अधिक है। राज्य में पोस्त आदि का नशा करने वाले अनुमानत: 8.6 लाख लोगों में से 2.3 लाख लोग इस पर पूर्णत: आश्रित हैं और रोजाना लगभग 20 करोड़ रुपए इस नशे पर खर्च करते हैं। 
 
पंजाब के मालवा इलाके को राज्य में नशे की राजधानी कहा जाता है। राजस्थान के निकटवर्ती पंजाब के इलाकों मुक्तसर, फाजिल्का, भटिंडा तथा अन्य जिलों के लोग रोजाना राजस्थान को जाने वाली बसों से राजस्थान जाकर अपनी जरूरत का पोस्त ले आते थे।
 
पंजाब के मुक्तसर जिले से राजस्थान के हरिपुर को जाने वाली बस तो ‘भुक्की वाली बस’ के नाम से ही मशहूर हो गई थी। नशेड़ी सुबह-सवेरे इस बस द्वारा राजस्थान जाकर दोपहर होते-होते वहां से नशा लेकर वापस आ जाते थे। 
 
पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने राजस्थान सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि पंजाब सरकार ने अब सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके मध्य प्रदेश में पोस्त की खेती पर रोक लगाने की मांग करने का निर्णय लिया है ताकि वहां से पंजाब को पोस्त की तस्करी रोकी जा सके। 
 
निश्चय ही नशों पर रोक लगाने की दिशा में बिहार और राजस्थान सरकारों  द्वारा उठाए गए पग तथा पंजाब सरकार द्वारा मध्य प्रदेश में पोस्त की खेती पर रोक लगवाने संबंधी याचिका दायर करने के निर्णय सराहनीय हैं परंतु जब तक पूरी तरह सभी किस्म की शराब की बिक्री पर पाबंदी नहीं लगाई जाती तब तक इन प्रयासों का पूरा फायदा मिलना मुश्किल है। 
 
इसके साथ ही राजस्थान में अफीम के परमिट देना बंद करने और भांग की बिक्री पर भी रोक लगाने की आवश्यकता है जो पोस्त के ठेके बंद करने के बावजूद हनुमानगढ़ व गंगानगर जिलों में कुछ ठेकों पर जारी रखी गई है जिससे लोग पोस्त के स्थान पर भांग तथा अफीम जैसे दूसरे नशे करने लगेंगे और पोस्त के ठेके बंद करने का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकेगा।
 

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