Edited By ,Updated: 17 Dec, 2025 05:39 AM

20 जनवरी, 2025 को दूसरी बार अमरीका के राष्टï्रपति बने ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ ने पद संभालने के पहले ही दिन से धड़ाधड़ फैसले लेने शुरू कर दिए और ‘अमरीका फस्र्ट’ की नीति अपनाने व ‘अमरीका को विकास के नए स्वर्ण युग’ में ले जाने के दावे के साथ पूर्व...
20 जनवरी, 2025 को दूसरी बार अमरीका के राष्टï्रपति बने ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ ने पद संभालने के पहले ही दिन से धड़ाधड़ फैसले लेने शुरू कर दिए और ‘अमरीका फस्र्ट’ की नीति अपनाने व ‘अमरीका को विकास के नए स्वर्ण युग’ में ले जाने के दावे के साथ पूर्व राष्टï्रपति ‘जो बाइडेन’ की सरकार द्वारा लिए गए कम से कम 78 फैसले रद्द करके कई नए फैसलों की झड़ी लगा दी है। इनमें यूक्रेन-रूस युद्ध समाप्त करने की कसम खाकर रूस के राष्टï्रपति पुतिन से नजदीकी बनाना, अमरीका में रह रहे भारत सहित चंद देशों के अवैध प्रवासियों को देश से निकालना, अमरीकी विश्वविद्यालयों को यहूदी विरोधी तथा हमास समर्थकों का अड्डा बता कर उन्हें दी जाने वाली सहायता रोकना, एच-1 बी वीजा फीस की नई नीति के अंतर्गत 1,00,000 डालर शुल्क लगाना आदि शामिल हैं।
इन सब के अलावा ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ विभिन्न देशों पर ‘टैरिफ बम’ फोड़ कर विवादों में घिरे हुए हैं। भारत के प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ को अपना ‘परम मित्र’ बताने वाले ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ ने भारत पर ही सर्वाधिक 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। हालांकि ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ के इस कदम का भारत पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा, परंतु ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ के इसी प्रकार के विवादास्पद कदमों से उनके अपने ही देश में उनका विरोध शुरू हो गया है। अमरीका के ‘हाऊस ऑफ रिप्रैजैंटेटिव्स’ के 3 सदस्यों ‘डेबोरा रॉस’, ‘मार्क वेसी’ तथा ‘राजा कृष्णमूर्ति’ ने 13 दिसम्बर को एक प्रस्ताव पेश करके 27 अगस्त को भारत पर लगाए 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ रद्द करने की मांग की है जो कई भारतीय वस्तुओं पर बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। उक्त सांसदों ने इसे अमरीका की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बताते हुए कहा है कि ट्रम्प के इस फैसले से अमरीकी हितों को बढ़ावा देने की बजाय विभिन्न वस्तुओं की सप्लाई चेन बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे अमरीकी कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है, अमरीकी व्यवसाय चौपट हो रहा है तथा उपभोक्ता महंगे दाम पर चीजें खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं। एक अन्य सांसद ‘एमी बेरा’ ने इस मुद्दे को अमरीकी कांग्रेस में उठाते हुए ट्रम्प प्रशासन की कई नीतियों की आलोचना की है।
इसी प्रकार अमरीका के 19 राज्यों ने नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1,00,000 अमरीकी डालर शुल्क लगाने के देश के राष्टï्रपति ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ के फैसले को अवैध बताते हुए इसके विरुद्ध मुकद्दमा दायर कर दिया है। उनका कहना है कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों की कमी और बढ़ जाएगी। ‘एमी बोरा’ ने कहा कि इस भारी शुल्क से अमरीकी कंपनियों की क्षमता कमजोर हो रही है तथा अमरीका की तकनीकी बढ़त को नुकसान पहुंच रहा है। उल्लेखनीय है कि एच-1बी वीजा के अंतर्गत उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को अमरीका में काम करने की अस्थायी रूप से अनुमति मिलती है और भारतीय नागरिक इसका व्यापक रूप से उपयोग करते हैं। ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ के इसी तरह के फैसलों को देखते हुए अमरीका के पूर्व रिपब्लिकन सीनेटर ‘मिक मैककोनेल’ ने कहा है कि ‘‘डोनाल्ड ट्रम्प द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे खतरनाक राष्ट्रपति है।’’
नवीनतम समाचारों के अनुसार 50 प्रतिशत का ‘ट्रम्प टैरिफ’ भारत पर बेअसर सिद्ध हुआ है और नवम्बर में भारत की ओर से अमरीका को किया जाने वाला निर्यात 19 प्रतिशत बढ़ कर 10 वर्ष के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि ‘डोनाल्ड ट्रम्प’ द्वारा उठाए गए कदम उल्टे उन्हीं के देश के लिए भारी घाटे का सौदा सिद्ध होने लगे हैं। अत: जितनी जल्दी वह अपने फैसलों के विरुद्ध देश में उठ रही विरोध की आवाजों को सुनकर विशेष रूप से भारत के प्रति अपनी सोच में सुधार लाएंगे, उतना ही अमरीका के लिए अच्छा होगा।—विजय कुमार