चुनाव जीतने के लिए पुतिन के हथकंडे

Edited By ,Updated: 20 Sep, 2021 04:21 AM

putin s tactics to win elections

रूस की नई संसद अर्थात ‘ड्यूमा’ के चुनाव के लिए 17 सितम्बर को 3 दिवसीय मतदान शुरू होकर 19 सितम्बर तक चला। इसमें सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे राष्टï्रपति व्लादीमीर पुतिन की ‘यूनाइटिड रशिया पार्टी’ ने चुनावों में विजय प्राप्त करने के लिए पहले ही...

रूस की नई संसद अर्थात ‘ड्यूमा’ के चुनाव के लिए 17 सितम्बर को 3 दिवसीय मतदान शुरू होकर 19 सितम्बर तक चला। इसमें सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे राष्टï्रपति व्लादीमीर पुतिन की ‘यूनाइटिड रशिया पार्टी’ ने चुनावों में विजय प्राप्त करने के लिए पहले ही पुख्ता ‘प्रबंध’ कर लिए हैं। 

इसी को भांप कर जानकारों ने कहा है कि इस बार भी परिणाम चौंकाने वाले नहीं होंगे, अर्थात इस बार भी पुतिन की ‘यूनाइटिड रशिया पार्टी’ ही जीतेगी हालांकि यह लोकप्रियता के मामले में अब तक के ऐतिहासिक निम्रतम स्तर पर पहुंच चुकी है। एक रूसी जनमत अनुसंधान केंद्र के अनुसार चुनावों में द्वितीय स्थान प्राप्त करने से भी बहुत दूर होने के बावजूद इसकी विजय का मुख्य कारण होगा चुनावों में ‘यूनाइटिड रशिया पार्टी’ द्वारा की जाने वाली हर तरह की धांधली। सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए ‘यूनाइटिड रशिया पार्टी’ ने हर हथकंडा अपनाते हुए लोकतंत्र को निम्रतम स्तर तक पहुंचा दिया है। पार्टी के अंदर स्वतंत्रता के ध्वजारोही अंतिम लोगों को भी निकाल बाहर किया गया है। 

पार्टी की एकमात्र प्रगतिशील सदस्या ओकसाना पुश्कीना, जिसने रूसी संसद में अपना पिछला पूरा कार्यकाल महिलाओं के अधिकारों तथा घरेलू ङ्क्षहसा के विरुद्ध कानून बनाने के लिए अभियान चलाने में बिताया (जिसके परिणामस्वरूप वह अपने विरुद्ध परेशान किए जाने के एक जबरदस्त अभियान का शिकार हुई), इस बार चुनाव नहीं लड़ रही। उसकी जगह उसके चुनाव क्षेत्र में एक पुतिन समर्थक गायक को खड़ा किया गया है जिसकी जीत पक्की है यदि कोई बड़ा उलटफेर न हो जाए। यहीं पर बस नहीं, मतदाताओं को चकमा देने के लिए विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के नामों से मिलते-जुलते नामों वाले उम्मीदवार खड़े किए गए हैं। 

सेंट पीटर्सबर्ग जिले में स्थानीय समाचारपत्रों के अनुसार यहां चुनाव में 225 उम्मीदवारों में से 24 उम्मीदवारों के नाम एक जैसे हैं। इसी जिले में बोरिस विश्रेवस्की नाम के तीन लोग चुनाव लड़ रहे हैं जबकि इनमें से एक बोरिस विश्नेवस्की ही असली विपक्षी पार्टी (याब्लोको) का नेता है। विपक्षी नेता को हराने के लिए सत्तारूढ़ दल ने सोची समझी रणनीति के अंतर्गत एक जैसे नाम वाले 3 उम्मीदवारों को उतारा है जिन्होंने हू-ब-हू उस जैसी दाढ़ी तथा चेहरा-मोहरा बना लिया है ताकि पोस्टर में वे विपक्षी नेता की तरह ही दिखाई दें। 

चुनाव जीतने के मुख्य मकसद से ही ‘यूनाइटिड रशिया पार्टी’ ने पेशेवर जनप्रतिनिधियों का पत्ता साफ करके सत्ता प्रतिष्ठïान के समर्थकों और विभिन्न सैलीब्रिटिज को टिकट देकर निहाल किया है। इनमें एक मारिया बुतिना नामक युवती भी शामिल है जो 2016 के अमरीकी राष्ट्रपति के चुनावों से पूर्व अमरीका की राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन से जुड़ी रही थी और एक विदेशी एजैंट के रूप में अपना नाम दर्ज करवाने में विफल रहने पर वापस रूस भेजने से पहले उसे कई महीने अमरीका की जेल में बिताने पड़े थे। ‘यूनाइटेड रशिया पार्टी’ के उम्मीदवारों में कुछ राजनीतिक हैवीवेट भी शामिल हैं। 

इनमें प्रतिरक्षा मंत्री सरगई शोगु और विदेश मंत्री सरगई लावरो भी हैं जिन्हें अपनी विजय का इतना भरोसा था कि उनमें से किसी ने भी चुनाव प्रचार करने की जरूरत नहीं समझी। रूस में मतदान से ठीक पहले ‘एपल’ और ‘गूगल प्ले स्टोर्स’ से एक एप गायब कर दिया गया जिसे लम्बे अर्से से जेल में बंद रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावलनी ने बनाया था। स्मार्ट वोटिंग नामक इस एप के माध्यम से उन उम्मीदवारों का प्रचार किया जा रहा था जो सत्तारूढ़ दल के विरुद्ध हैं। हालांकि नावलनी के संगठन को इस वर्ष जनवरी में आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद उसके सभी समर्थकों को आधिकारिक तौर पर चुनाव लडऩे से रोक दिया गया था। 

चुनावों के संकेत इतने कमजोर थे कि अधिकारियों को अपना पूरा जोर लगाना पड़ा कि ये बिना किसी असुखद घटनाक्रम के गुजर जाएं। समाज का एक चुनिंदा वर्ग जिसमें सेना तथा कानून लागू करने वाले संगठनों के सदस्य, सेवानिवृत्त लोग जो सरकार नियंत्रित टैलीविजन देखते हैं तथा राज्य सरकार के कर्मचारियों की बड़ी संख्या के लिए यथास्थिति बनाए रखने हेतु व्यवस्था की गई थी कि सबको यह संदेश जाए कि मतदान के लिए जाने की बजाय वे घर पर रह सकते हैं। 

राजनीतिक कंसल्टैंसी आर. पोलिटिक की संस्थापक टाटियाना स्पानोवाया ने बताया कि वह मतदाताओं की संख्या को कम से कम करने की कोशिश कर रहे थे। यदि आप चुनावों को नीरस बना दें तथा चर्चा को सीमित कर दें तो लोग सोचेंगे कि कोई एजैंडा नहीं है और न ही कुछ निर्णय लेने के लिए तथा उनका वोट कुछ भी नहीं बदलेगा और यह क्रेमलिन के लिए बहुत सुविधाजनक है। इस तरह के हालात के बीच चुनाव कौन जीतने वाला है यह तो स्पष्टï ही है जिसके दृष्टिïगत निस्संकोच कहा जा सकता है कि राजनीतिज्ञ चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!