भारत की वैक्सीन तैयार करने की ‘क्षमता बढ़ाएंगे क्वाड देश’

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2021 01:37 AM

quad countries will increase india s capacity to produce vaccines

भारत सहित जापान, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया का ‘हिन्द-प्रशांत महासागर ‘क्वाड’ गठबंधन’ का पहला शिखर सम्मेलन 12 मार्च से शुरू हुआ। वैसे तो यह संगठन ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हुआ लेकिन चीन इससे खासा परेशान रहता है। इसका कारण य

भारत सहित जापान, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया का ‘हिन्द-प्रशांत महासागर ‘क्वाड’ गठबंधन’ का पहला शिखर सम्मेलन 12 मार्च से शुरू हुआ। वैसे तो यह संगठन ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हुआ लेकिन चीन इससे खासा परेशान रहता है। इसका कारण यह है कि यह संगठन दूसरे मुद्दों के साथ-साथ समुद्र में चीन की बढ़ती दादागिरी पर भी लगाम कसने की तैयारी में है। यही कारण है कि चीन इसे ‘एशियाई नाटो’ कहता है। 

क्वाड का अर्थ ‘क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ है। यह जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमरीका के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है लेकिन अब यह व्यापार के साथ-साथ सैनिक सांझेदारी को मजबूती देने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है ताकि इलाके में शक्ति संतुलन बरकरार रखा जा सके। 

इस सबसे अलग हालिया शिखर सम्मेलन में जो एक खास पहल हुई है वह है ‘क्वाड समूह गठबंधन’ के नेताओं का निर्णय कि ‘वृहद टीका पहल’ के अंतर्गत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को कोरोना वायरस रोधी टीके की आपूर्ति के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर भारत में भारी निवेश किया जाएगा। इस कदम को टीका आपूर्ति के क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से मुकाबले के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ 4 देशों के समूह के नेताओं के पहले ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इन नेताओं ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति पर भी चर्चा की और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए मिल कर काम करने का संकल्प व्यक्त किया। ‘क्वाड’ राष्ट्रों ने इस दौरान अपने वित्तीय संसाधनों, विनिर्माण क्षमताओं और साजो-सामान (लाजिस्टिकल) क्षमता को सांझा करने की योजना पर सहमति व्यक्त की है। वैक्सीन तैयार करने की अतिरिक्त क्षमता के निर्माण के लिए ‘फंङ्क्षडग’ यानी वित्त पोषण अमरीका और जापान से होगा जबकि ऑस्ट्रेलिया ‘लॉजिस्टिक्स’ यानी साजो-सामान एवं आपूर्ति को लेकर योगदान देगा। ऑस्ट्रेलिया उन देशों को वित्तीय मदद भी करेगा जिन्हें टीके प्राप्त होंगे। 

गौरतलब है कि दुनिया भर में एस्ट्राजेनेका, कोविशील्ड और कोवैक्सीन की अलग-अलग खुराकें दी जा रही हैं। एशियाई देशों की बात करें तो यहां तेजी से वैक्सीनेशन नहीं हो रहा। भारत में 11 मार्च तक 2,82,18,475 खुराकें दी जा चुकी थीं। हालांकि, अन्य कई देशों में वैक्सीनेशन प्रोग्राम अभी शुरू तक नहीं हुआ है अथवा शुरूआती चरण में ही है। वैक्सीनेशन के कम होने के भी कई कारण हैं जिनमें टीकों को लेकर डर भी शामिल है। 

जैसे कि फिलीपीन्स में अभी भी 2016 में डेंगू बुखार के लिए बनाई गई ‘डेंगवैक्सिया’ नामक वैक्सीन का डर लोगों के दिलों से मिटा नहीं है। पाकिस्तान में भी लोगों में टीके को लेकर काफी डर है। हालांकि, इसका कारण गलत जानकारी और वायरल हो रहे कुछ डरावने वीडियो हैं। ऐसे ही एक वीडियो में एक व्यक्ति पोलियो वैक्सीन की वजह से बच्चों के बेहोश होने पर हल्ला मचाता नजर आता है। यहां तक कि वहां हैल्थकेयर वर्कर्स भी वैक्सीन को लेकर अधिक उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं। 

वहीं कुछ देश अपनी ओर से अभी वैक्सीन को लेकर सावधानी बरतना चाहते हैं। वे कोरोना के प्रसार को काबू में रखने में सफल रहे हैं जिस कारण वे अभी वैक्सीन के प्रभावों को और देखना चाहते हैं। जापान जहां अधिक से अधिक वैक्सीन लगाने को ओलिम्पिक खेल आयोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है वहां भी लोगों में वैक्सीन को लेकर संकोच की समस्या है। 

वहां के नागरिकों में वैक्सीन को लेकर दुनिया में सबसे कम भरोसा पाया जाता है जिसका कारण ‘मीसल्स’, ‘मम्प्स’ तथा ‘रूबैला’ टीके के कारण ‘मैनिन्जाइटिस’ से ग्रस्त होने की अटकलें लगती रही हैं। इस संदेह की पुष्टि तो कभी नहीं हुई परंतु इन पर रोक लगा दी गई थी। वहां वैक्सीन के संबंध में लोगों का भरोसा जीतने को महत्व देते हुए अमरीका तथा यू.के. के विपरीत कहीं बाद में 17 फरवरी को वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम शुरू किया गया। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते एशिया भर में सभी को वैक्सीन देने की रफ्तार को और अधिक बढ़ाना होगा। 

ऐसा माना जा रहा है कि क्वाड वैक्सीन प्रयास के तहत अमरीका द्वारा विकसित जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज कोविड वैक्सीन का निर्माण भारत में किया सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू.एच.ओ. ने भी जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड-19 वैक्सीन के एमरजैंसी इस्तेमाल को अपनी अनुमति दे दी है। इससे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन आबंटन प्रयास के हिस्से के तौर पर इस्तेमाल में लाई जाने वाली एक खुराक का रास्ता प्रशस्त हो गया है। ‘क्वाड’ देशों के भारत में वैक्सीन निर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए सहयोग करने पर सहमति बनने से जहां इस क्षेत्र में कोरोना खत्म करने के लिए यह एक बेहद कारगर कदम साबित हो सकता है, वहीं भारत का ‘क्वाड’ देशों के साथ गठजोड़ और मजबूत होता भी नजर आ रहा है। क्योंकि भारत सहित एशिया भर में कोरोना रौद्र रूप धारण कर रहा है इसलिए हम सभी को इसकी वैक्सीन को लगवाना चाहिए और यह सबके लिए अनिवार्य है।

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