घटिया दवाओं का निर्माण रोकने के लिए छापेमारी तेज की जाए

Edited By ,Updated: 23 Feb, 2024 04:13 AM

raids should be intensified to stop manufacturing of substandard medicines

अब तो देश में प्राण रक्षा के लिए ली जाने वाली दवाएं भी घटिया आने लगी हैं। ‘केंद्रीय दवा नियंत्रण संगठन’ (सी.डी.एस.सी.ओ.) द्वारा जारी ड्रग अलर्ट के अनुसार हाल ही में देश में लिए गए 932 दवाओं के नमूनों में से 46 दवाओं के नमूने फेल पाए गए हैं।

अब तो देश में प्राण रक्षा के लिए ली जाने वाली दवाएं भी घटिया आने लगी हैं। ‘केंद्रीय दवा नियंत्रण संगठन’ (सी.डी.एस.सी.ओ.) द्वारा जारी ड्रग अलर्ट के अनुसार हाल ही में देश में लिए गए 932 दवाओं के नमूनों में से 46 दवाओं के नमूने फेल पाए गए हैं। जिन दवाओं के नमूने फेल हुए हैं उनमें एनीमिया, शूगर, त्वचा के संक्रमण, एंटीबायोटिक दवाएं, एलर्जी, आंख, ब्लड कलॉट, गर्भाशय से अनियमित रक्त स्राव, एसिडिटी व दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं। 

हिमाचल प्रदेश में निर्मित जो चंद दवाएं सब-स्टैंडर्ड (घटिया) पाई गई हैं, उस बारे राज्य ड्रग विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उनके निर्माताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करने के अलावा बाजार से सब-स्टैंडर्ड दवाओं का स्टाक तुरंत वापस मंगवाने के आदेश जारी कर दिए हैं। राज्य के ड्रग नियंत्रक मनीष कपूर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस बारे जरूरी कार्रवाई अमल में लाने के साथ-साथ भविष्य में दवाओं की गुणवत्ता सुधारने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। 

कोरोना प्रकोप के दौरान हमारे वैक्सीन ने दुनिया भर में असंख्य लोगों की जान बचाई है जिसके कारण भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ भी कहा जाने लगा है परंतु चंद सब-स्टैंडर्ड दवाएं बनाने वाले देश की प्रतिष्ठा को आघात लगा रहे हैं। अत: हिमाचल प्रदेश की भांति ही अन्य राज्यों में भी सब-स्टैंडर्ड दवाइयों का निर्माण करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए छापेमारी तथा बनती कार्रवाई तेज करनी, दोषियों को उचित दंड देना और बाजार में भेजी गई घटिया दवाएं वापस मंगानी चाहिएं।—विजय कुमार 

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