प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2025 के सुधार : विकसित भारत की ओर बढ़ते तेज कदम

Edited By Updated: 26 Dec, 2025 04:21 PM

reforms 2025 under the leadership of prime minister modi

2025 को एक ऐसे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा, जब भारत ने बड़े संकल्पों, तीव्र गति और गहरे सुधारों को लागू करने का रास्ता चुना। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, यह एक ऐसा निर्णायक मोड़ साबित हुआ, जब देश ने पुराने और अप्रासंगिक कानूनों की परतों को...

नेशनल डेस्कः 2025 को एक ऐसे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा, जब भारत ने बड़े संकल्पों, तीव्र गति और गहरे सुधारों को लागू करने का रास्ता चुना। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, यह एक ऐसा निर्णायक मोड़ साबित हुआ, जब देश ने पुराने और अप्रासंगिक कानूनों की परतों को उतार फेंका, अपनी कर और नियामक व्यवस्थाओं को सरल बनाया, उद्योगों के लिए नए द्वार खोले और शासन व्यवस्था को एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप ढाल दिया।

सभी वैश्विक अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था ने साल 2025 में 8.2 प्रतिशत की आश्चर्यजनक जी.डी.पी. वृद्धि दर्ज की। यह कराधान से लेकर श्रम सुधारों तक, बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से लेकर परमाणु ऊर्जा तक और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से लेकर मुक्त व्यापार समझौतों के साथ-साथ महत्वपूर्ण डीरेगुलेशन जैसे ऐतिहासिक सुधारों के जरिए अर्थव्यवस्था में नए प्राण फूंकने का परिणाम था।

वर्ष 2025 वह पहला वर्ष बना जब श्रम संहिताओं ने भारत के कार्य-जगत को प्रत्यक्ष और निर्णायक रूप से एक नया आकार दिया। 29 जटिल एवं अलग-अलग कानूनों को 4 आधुनिक संहिताओं में समाहित करके, भारत ने एक ऐसा लेबर फ्रेमवर्क तैयार किया, जो बिजनैस के लिए अधिक स्पष्ट और श्रमिकों के लिए अधिक सुरक्षित है।

ये सुधार भारत के श्रम बाजार को 64.33 करोड़ की बढ़ती श्रमशक्ति की सहायता करने, महिलाओं की उच्च भागीदारी को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ-साथ बेरोजगारी के स्तर को कम बनाए रखने के लिए तैयार करते हैं। इन सुधारों से फॉर्मल वर्कफोर्स में 15 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, साथ ही लगभग 50 करोड़ कामकाजी उम्र की महिलाओं को लेबर पूल वर्ष 2025 में भारत की जी.एस.टी. व्यवस्था में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण सरलीकरण देखा गया। 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो स्पष्ट स्लैब वाली संरचना को अपनाने से परिवारों, एम.एस.एम.ई., किसानों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर कर का बोझ कम हुआ। इसका सीधा प्रभाव कंज्यूमर सैंटिमैंट में दिखाई दिया, जहां भारत में दीवाली पर 6.05 ट्रिलियन रुपए की रिकॉर्ड बिक्री हुई और पिछले 1 दशक में नवरात्रि की सबसे शानदार बिक्री देखी गई।

वर्ष 2025 में आयकर का ऐसा फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया गया, जो अंततः मॉडर्न घरेलू बजट की वास्तविकताओं को दर्शाता है। इतिहास में पहली बार, 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना पड़ा। इसके साथ ही, भारत ने 4,000 से अधिक संशोधनों और हजारों जटिलताओं के बोझ तले दबे 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलकर आधुनिक और सरल, आयकर अधिनियम, 2025 को लागू किया। यह नया कानून छूट को तर्कसंगत बनाता है, कानूनी विवादों को कम करता है, स्पष्टता बढ़ाता है और स्वैच्छिक कर अनुपालन को मजबूती देता है।

इज ऑफ डूइंग बिजनैस; व्यापार सुगमता, सुधारों ने 2025 को बाधाओं को तोड़ने वाले वर्ष के रूप में परिभाषित किया है। क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स की एक व्यापक समीक्षा कंप्लायंस को हटा दिया गया और 200 से अधिक उत्पादों को डीरेगुलेशन के लिए चिन्हित किया गया।

बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक एफ.डी.आई. की अनुमति देने से अगले 5 वर्षों में 8 से 10 करोड़ नए लोगों को बीमा सुरक्षा के दायरे में लाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, अगले 3 से 5 वर्षों में भारतीय बीमा बाजार में 8-12 बिलियन का नया विदेशी निवेश आएगा। विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान एक एकल और एकीकृत उच्च शिक्षा नियामक बनाता है। यह नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों की स्वायत्तता को बढ़ाता है, गुणवत्ता और मानकों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए फंडिंग को रैगुलेशन से अलग करता है और एक आधुनिक तथा वैश्विक स्तर पर जुड़े नियामक ढांचे के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) 2020 के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।


 

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