Edited By ,Updated: 07 Jan, 2024 05:41 AM
मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड तथा अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरने वाली 1643 किलोमीटर लम्बी भारत-म्यांमार सीमा पर ‘मुक्त आवागमन व्यवस्था’ के अंतर्गत इस सीमा के 16 किलोमीटर दायरे के लिए 2018 में म्यांमार के साथ भारत का समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार भारत...
मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड तथा अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरने वाली 1643 किलोमीटर लम्बी भारत-म्यांमार सीमा पर ‘मुक्त आवागमन व्यवस्था’ के अंतर्गत इस सीमा के 16 किलोमीटर दायरे के लिए 2018 में म्यांमार के साथ भारत का समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार भारत तथा म्यांमार में 16 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले नागरिक 2 सप्ताह तक भारत या म्यांमार में रह सकते हैं।
मणिपुर तथा पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के निवासियों ने चंद वर्ष पूर्व भारत-म्यांमार सीमा पर लागू ‘मुक्त आवागमन व्यवस्था’ की शिकायत में अपनी राज्य सरकारों को बताया था कि उग्रवादी तथा हथियारों, फेक करंसी और नशीले पदार्थों के तस्कर इस व्यवस्था का फायदा उठा रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार के सामने यह समस्या रखी जिस पर विचार करने के पश्चात केंद्र सरकार ने म्यांमार में चल रहे जातीय संघर्षों तथा चिन-कुकी नागरिकों के अवैध प्रवास एवं घुसपैठ को नियंत्रित करने के लिए अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर तथा मिजोरम के साथ लगने वाली भारत-म्यांमार सीमा पर तार-बाड़ (फैंसिंग) लगाने का फैसला किया है।
इस निर्णय के अनुसार केंद्र सरकार भारत-म्यांमार सीमा के 1643 किलोमीटर में से 300 किलोमीटर के दायरे में स्मार्ट फैंसिंग (तार-बाड़) लगाएगी जिसके लिए जल्द ही टैंडर जारी कर दिया जाएगा जबकि 80 किलोमीटर की सीमा पर स्मार्ट तार-बाड़ लगाने के लिए पहले ही टैंडर आमंत्रित किया जा चुका है। अभी तक मणिपुर में सिर्फ 10 किलोमीटर सीमा पर ही तार-बाड़ लगाई गई है तथा शेष तार-बाड़ लगाने का काम अगले साढ़े चार वर्षों में पूरा होने की संभावना है। इस फैसले के अनुसार अब दोनों ओर से आने-जाने की कोशिश करने वालों को सम्बन्धित देशों से वीजा प्राप्त करना होगा।
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, मणिपुर में गत वर्ष मई महीने से जारी हिंसा के पीछे एक बड़ा कारण म्यांमार से आने वाले घुसपैठिए हैं। इसके साथ ही खुली सीमा होने के कारण पूरे इलाके में नशीले पदार्थों तथा हथियारों आदि की तस्करी भी प्रशासन के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। 1969 के बाद मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में गांवों की संख्या 64 प्रतिशत तक बढ़ी है। उदाहरणार्थ पहले कुकी नागा बहुल क्षेत्रों में 1370 गांव थे, जो 2021 में बढ़कर 2244 हो गए। म्यांमार से सटे जिला चुराचांदपुर में 1969 में 282 गांव थे जो 2022 में 544 हो गए हैं। मणिपुर से म्यांमार के बीच लगभग 390 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा है और अधिकांश घुसपैठ म्यांमार सीमा से हो रही है।
उल्लेखनीय है कि जब 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था, तब 1988 और 1993 के बीच पाकिस्तान के साथ लगने वाली 461 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बड़े प्रयासों से तार-बाड़ लगाई गई थी। इसके परिणामस्वरूप सीमा पार से आपराधिक गतिविधियों को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली थी। बहरहाल, मणिपुर में तार-बाड़ लगाने का यह देर से लिया गया फैसला है जो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। इस नए फैसले के लागू होने से इस क्षेत्र में म्यांमार से घुसपैठ, नशीले पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी आदि में कमी आएगी।
क्योंकि इस कार्य में काफी समय लगने वाला है, अत: इसे लगाने में तेजी लाने और तब तक इस क्षेत्र में होने वाली घुसपैठ, नशों और हथियारों की तस्करी आदि की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा मजबूत करने के अलावा इस तार-बाड़ लगाने में उन त्रुटियों को दूर करने की भी जरूरत है जो पंजाब और अन्य स्थानों पर लगाई गई तार-बाड़ में सामने आईं।-विजय कुमार