...तो क्या अब सर्दियां आने की इंतजार में हैं पुतिन

Edited By ,Updated: 19 Sep, 2022 05:05 AM

so now putin is waiting for winter to come

पिछले एक सप्ताह में यूक्रेनी सेना ने दुनिया और रूसी सेना को स्तब्ध कर दिया-जब उन्होंने देश के दक्षिण और पूर्व में जबरदस्त हमला कर क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करके रूसी सेना को पीछे हटने को

पिछले एक सप्ताह में यूक्रेनी सेना ने दुनिया और रूसी सेना को स्तब्ध कर दिया-जब उन्होंने देश के दक्षिण और पूर्व में जबरदस्त हमला कर क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करके रूसी सेना को पीछे हटने को मजबूर कर दिया। 

12 सितम्बर को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि देश के सशस्त्र बलों ने खारकीव क्षेत्र के पूर्व में और दक्षिणी तट पर खेरसॉन के आसपास लगभग 2,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को मुक्त करवा लिया है। पिछले लगभग 10 दिनों के जवाबी हमलों के दौरान 200 से अधिक रूसी वाहनों पर भी कब्जा कर लिया गया है। अगली पंक्ति के आधे-अधूरे प्रशिक्षित रूसी सैनिकों और पुलिस के सदस्यों से जब्त किए हुए रूसी हथियारों में 1980 के दशक के टी-80 टैंक भी शामिल हैं। यूक्रेन के एक सेनाधिकारी के अनुसार रूसी अपनी जान बचाने की खातिर गोला-बारूद, विशेष किस्म के हथियार आदि सब कुछ छोड़ कर भाग खड़े हुए, जिन्हें अब यूक्रेन वाले रूस के ही विरुद्ध इस्तेमाल कर रहे हैं। 

इस बीच यूक्रेन जब्तशुदा नाकारा रूसी हथियारों में सुधार करके उन्हें रूस के विरुद्ध ही इस्तेमाल कर रहा है। एक अमरीकी सेनाधिकारी के अनुसार ,‘‘यूक्रेन वाले जब्त किए रूसी हथियारों के साथ दिलचस्प चीजें कर रहे हैं। उनमें खासकर जब्तशुदा हथियारों के साथ ऐसा करने की क्षमता है। इसी कारण रूसी सेनाओं ने यूक्रेन के हथियार मुरम्मत करने वाले ठिकानों को भी निशाना बनाया है।’’  हालांकि खारकीव एवं अन्य इलाके मुक्त करवाने में यूक्रेन को अमरीकी और यूरोपियन सैनिक सहायता काफी उपयोगी रही है, जिसमें गोला-बारूद के अलावा मल्टीपल राकेट लांच सिस्टम्स भी शामिल थे, फिर भी यूक्रेन उनसे और अधिक (दुगने) हथियारों की मांग कर रहा है ताकि यथासंभव सर्दियों से पहले अपना अधिकतम इलाका रूस से वापस ले सके। 

जहां तक लड़ाई में महत्वपूर्ण मोड़ आने की बात है तो ऐसा अचानक नहीं हुआ, बल्कि जुलाई में ही हो चुका था, जब आक्रमण करने की रूसियों की क्षमता को उनकी रसद और हथियारों की आपूर्ति को यूक्रेनियनों ने लंबी दूरी के मिसाइल हमलों से अपंग कर दिया था। रूसी सेना के वरिष्ठ अधिकारी जल्दबाजी में पीछे हटने के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि रूसी सरकार पर राष्ट्रवादियों और प्रभावशाली देशभक्त ब्लॉगर्स का गुस्सा फूट पड़ा है और वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से संघर्ष तेज करने का आग्रह कर रहे हैं। 

लंदन स्थित थिंक टैंक ‘रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीच्यूट’ के एक वरिष्ठ रिसर्च फैलो जैक वाटटिंग से पूछा गया कि युद्ध के मैदान में क्या बदलाव आया है, जिसने यूक्रेन को ढंग से दो-मोर्चों पर आक्रमण शुरू करने में सक्षम बनाया है? उनका उत्तर था कि रूसी सेना को अपनी पैदल सेना के बेहद कम मनोबल से पूरे युद्ध के दौरान नुक्सान उठाना पड़ा है और अब बड़े पैमाने पर तोपखाने के उपयोग के बिना वे आक्रमण करने में असमर्थ हैं। यूक्रेनियनों के लंबी दूरी के रॉकेट और तोपखाने का उपयोग करने व लक्ष्यों को निशाना बनाने में सफल होने व रूसी तोपखानों, गोला-बारूद व नियंत्रण मुख्यालय पर हमलों से रूसियों को बड़ा नुक्सान हुआ। इससे उनकी आक्रामक क्षमता समाप्त हो गई। 

यूक्रेनियन दक्षिण में खेरसॉन में रूसी सेना को अलग-थलग करके कमजोर करने में कामयाब रहे। वहां हमले की उम्मीद न होने के कारण रूसी सेना के पास तोपखाने का समर्थन नहीं था और चूंकि उनके अधिकतर सैनिकों को एक अनजान इलाके में तैनात किया गया था, वे टूट गए। सेना के पीछे हटने को लेकर रूस सरकार की हो रही आलोचना के बीच पुतिन कैसे जवाब दे सकते हैं, के बारे में जानकारों की राय है कि परमाणु हथियारों के उपयोग का जोखिम हमेशा से रहा है जैसे कि रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव कहते आए हैं, लेकिन दुनिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके ऐसा करने के परिणामों की क्या गंभीरता होगी और नहीं लगता कि परमाणु हथियारों का उपयोग भी वास्तव में उन्हें उस समस्या से बाहर निकाल सकेगा। 

ऐसे हालात में यदि दोनों देशों के बीच युद्धविराम होता भी है तो रूस कभी भी पराजित के रूप में वापस नहीं लौट सकता तो क्या वह अपनी सेना को दोबारा हथियारों से लैस करने के लिए चीन की सहायता लेगा? रूसी नीति विशेषज्ञ एंजेला स्लेंट का कहना है कि अगर रूसी सेना के पास आधुनिक हथियार आ भी जाएं तो भी उसके पास सैनिक कहां से आएंगे। जहां तक गरीब ब्रियात्रा या तुवा जैसे इलाकों से युवक युद्ध में भेजने थे, वह तो आसान था, मगर अब शहरों के अमीर और पढ़े-लिखे युवाओं को भेजने की कोशिश की तो रूस में पुतिन के विरुद्ध एक बहुत बड़ा तबका उठ खड़ा होगा।


कुछ रूसी अधिकारियों का कहना है कि पुतिन यूरोप को गैस और तेल की सप्लाई पूरी तरह से बंद करने की सोच रहे हैं। वह सर्दियों के आने की इंतजार में हैं, जब गैस और तेल के बिना यूरोप ठंड से परेशान हो जाएगा। कड़ाके की ठंड यूक्रेन को हथियार डालने को मजबूर कर देगी। दूसरी ओर तेल की बढ़ती कीमतों से इटली, चैक गणराज्य, जर्मनी तथा फ्रांस बेहद परेशान हैं और वे मानते हैं कि यूक्रेन की जीत यूरोप के लिए दोधारी तलवार जैसी होगी। इस समय जबकि यूक्रेन की सेना पूरी तरह अमरीकी हथियारों से लैस है और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की क्रीमिया, जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था तथा डोनबास वापस लेने की बात कह रहे हैं, तो यूरोप नहीं चाहता कि यूक्रेन की पूर्णत: जीत हो और पुतिन की शर्मनाक हार हो। 

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