सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का मजबूत होना ही देश के हित में

Edited By ,Updated: 19 Jul, 2023 03:48 AM

strengthening of both ruling party and opposition is in interest of country

एक ओर जहां भाजपा विरोधी दल 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा नीत ‘एन.डी.ए.’ को चुनौती देने के लिए एकजुट होने की कवायद में जुट गए हैं, तो दूसरी ओर भाजपा ने भी एन.डी.ए. को और मजबूत करने तथा उसका दायरा बढ़ाने की कोशिश शुरू कर रखी है।

एक ओर जहां भाजपा विरोधी दल 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा नीत ‘एन.डी.ए.’ को चुनौती देने के लिए एकजुट होने की कवायद में जुट गए हैं, तो दूसरी ओर भाजपा ने भी एन.डी.ए. को और मजबूत करने तथा उसका दायरा बढ़ाने की कोशिश शुरू कर रखी है। भाजपा विरोधी दलों की 23 जून को पटना में पहली बैठक के बाद 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में दूसरी बैठक में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, डी. राजा, शरद पवार, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, लालू यादव, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, सिद्धारमैया आदि शामिल हुए। बैठक में जहां भाजपा के विरुद्ध 26 दलों के नेताओं ने ‘हम एक हैं’ का संदेश देने की कोशिश की, वहीं नए गठबंधन का नाम ‘इंडिया’(इंडिया नैशनल डिवैल्पमैंटल इन्क्लूसिव एलायंस) रखा गया है।

लोकसभा में लगातार तीसरी बार बहुमत प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील भाजपा ने जहां एन.डी.ए. में नए सहयोगी जोडऩे और रूठों को मनाने के प्रयास जारी रखे हुए हैं, वहीं विरोधी दलों की बैठक के जवाब में 18 जुलाई को ही एन.डी.ए. के घटक दलों की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहयोगी दलों के नेताओं ने जोरदार स्वागत किया। इसे भाजपा के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है तथा इस बैठक में 38 दलों के शामिल होने का दावा किया गया है। बहरहाल विरोधी दलों की बैठक से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा विरोधी दलों पर तीखे प्रहार करते हुए कहा : 

* ‘‘2024 के चुनाव में एक बार फिर देशवासी हमारी सरकार वापस लाने का मन बना चुके हैं। ऐसे में भारत में बदहाली के लिए जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोल कर बैठ गए हैं। यह जो जमात इकट्ठी हुई है उनके कुनबे में बड़े से बड़े घोटालों पर, अपराधों पर इनकी जुबान बंद हो जाती है।’’ 

* ‘‘विरोधी पार्टियों के नेता देश के लोकतंत्र और संविधान को अपना बंधक बनाकर रखना चाहते हैं। इनकी दुकान पर दो चीजों की गारंटी मिलती है, जातिवाद का जहर और असीमित भ्रष्टाचार।’’
* ‘‘ये लोग कितने चेहरे लगाकर बैठे हैं। पूरा फ्रेम देखकर देशवासी यही बोल उठते हैं, लाखों-करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार। यह तो कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन हो रहा है। लेबल कुछ और लगाया है माल कुछ और है। इनका उत्पाद है 20 लाख करोड़ रुपए के घोटाले की गारंटी।’’ यह पहला अवसर है जब किसी प्रधानमंत्री ने अपने विरोधी दलों के छोटे से छोटे नुक्स की ओर भी लोगों का ध्यान दिलाया है। 
वहीं विरोधी दलों के नेताओं ने भी प्रधानमंत्री तथा एन.डी.ए. सरकार पर जोरदार प्रहार किए हैं। 

* कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘‘भाजपा संविधान को समाप्त करना चाहती है व एजैंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।’’ वहीं ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘भाजपा देश बेचने का सौदा कर रही है।’’
* अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि ‘‘अपने शासन के 9 वर्षों में नरेंद्र मोदी ने हर सैक्टर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अर्थव्यवस्था बर्बाद कर दी है और सब दुखी हैं।’’
* उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘हमारी लड़ाई तानाशाही के विरुद्ध है। देश की जनता के मन में डर है कि क्या होगा?’’  राहुल गांधी ने देश को बचाने के लिए लडऩे की बात कही। 

भाजपा नीत ‘एन.डी.ए.’ तथा भाजपा विरोधी दलों की बैठकें दोनों ही देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रही हैं। इससे  ‘एन.डी.ए.’ तथा  ‘इंडिया’ दोनों ही मजबूत होकर निकलेंगे। 
पहले ‘आम आदमी पार्टी’ द्वारा दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस के समर्थन को लेकर असमंजस की स्थिति समाप्त हो जाने तथा कांग्रेस द्वारा अध्यादेश के मामले पर ‘आप’ को समर्थन देने की घोषणा के बाद अरविंद केजरीवाल के बेंगलुरू बैठक में शामिल होने से भी भाजपा विरोधी गठबंधन को मजबूती मिली है। 

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस कवायद के चाहे जो भी अर्थ लगाएं और इन दोनों बैठकों का परिणाम भविष्य में चाहे जो भी निकले, वास्तविकता यही है कि किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में मजबूत सत्तापक्ष और मजबूत विपक्ष का होना नितांत आवश्यक है क्योंकि एक मजबूत और एकजुट विपक्ष ही सत्तापक्ष को निरंकुश होने से रोक सकता है, जिसकी इन बैठकों ने उम्मीद पैदा की है। इस लिहाज से विरोधी दलों द्वारा एकता प्रयास सही है, परंतु इसके लिए उन्हें निजी महत्वाकांक्षाओं का परित्याग करना होगा और यदि  ऐसा हो पाता है तो देश और लोकतंत्र दोनों का ही भला होगा।—विजय कुमार 

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