हरियाणा, पंजाब और हिमाचल में टी.बी. से हो रही मौतें

Edited By ,Updated: 21 Aug, 2023 05:25 AM

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हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला टी.बी. एक ऐसा रोग है जो बालों और नाखूनों को छोड़ कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है।

हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला टी.बी. एक ऐसा रोग है जो बालों और नाखूनों को छोड़ कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। पोषण की कमी, सुबह का नाश्ता न करना, रात को देर से सोना और समय पर खाना न खा पाने के कारण शरीर में रोगों से बचाव की क्षमता में कमी आती है जो टी.बी. जैसे रोगों का कारण बनता है। 50 प्रतिशत मामलों में टी.बी. फेफड़ों में तथा शेष 50 प्रतिशत शरीर के अन्य अंगों में होता है। टी.बी. होने पर रोगी का वजन कम होने लगता है, भूख घट जाती है, हमेशा हल्का बुखार रहता है। 

विश्व में प्रतिवर्ष टी.बी. के लगभग एक करोड़ नए रोगी दर्ज किए जाते हैं जिनमें से 25 प्रतिशत रोगी भारत के हैं। विश्व में कोरोना महामारी से मुकाबले के दौरान टी.बी. उन्मूलन के प्रयासों में कमी आ गई थी लेकिन अब इसमें कुछ तेजी आई है और इसके इलाज के तरीकों में भी बदलाव आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खेत्रपाल सिंह के अनुसार इस क्षेत्र को टी.बी. से मुक्त करने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पहले से कहीं अधिक तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है क्योंकि यह रोग लाखों लोगों को बीमारी और मृत्यु, गरीबी और निराशा का शिकार बना रहा है। 

सरकार द्वारा टी.बी. रोग पर नियंत्रण पाने के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में टी.बी. से मौतों का सिलसिला जारी है। एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पिछले 6 महीनों में टी.बी. से 4027 लोगों की मौत हुई है। हरियाणा में इस वर्ष जनवरी से 30 जून के बीच सर्वाधिक 1943 मौतें हुईं जबकि पंजाब में 1570 और हिमाचल में 514 लोगों की जान गई। यह संख्या पिछले वर्ष से अधिक है और इसमें कम आयु के रोगी भी शामिल हैं। 

टी.बी. से अधिक मौतें इलाज शुरू करने में देरी के कारण होती हैं अत: डाक्टरों का कहना है कि बेशक सरकारें इसे रोकने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं परंतु इतना ही काफी नहीं है, रोगियों को भी इस मामले में जागरूकता बरतनी होगी और 4 सप्ताह से अधिक अवधि तक खांसी होने पर टी.बी. की जांच जरूर करवानी चाहिए। इसकी बेसिक जांच एक्स-रे है और उसके बाद डाक्टर जिन जांचों की सलाह दे, वे करवानी चाहिएं जिनमें थूक और बलगम आदि की जांच शामिल है।  

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