Edited By ,Updated: 02 Nov, 2025 03:52 AM

देश में नकली की बीमारी अब विश्वविद्यालयों के नकली सर्टीफिकेट तथा डिग्रियां बनाकर देने वाले गिरोहों तक पहुंच गई है।
देश में नकली की बीमारी अब विश्वविद्यालयों के नकली सर्टीफिकेट तथा डिग्रियां बनाकर देने वाले गिरोहों तक पहुंच गई है। इनका सहारा लेकर अनेक लोग सरकारी नौकरियों व अन्य सुविधाओं का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। पिछले 6 महीनों में पकड़े गए फर्जी सर्टीफिकेटों व डिग्रियों के चंद धंधेबाजों के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :
* 7 मई, 2025 को ‘गोरखपुर’ (उत्तर प्रदेश) में पुलिस ने एक गिरोह का पर्दाफाश करके ‘श्याम बिहारी गुप्ता’ तथा उसके साथी ‘इमरान खां’ को गिरफ्तार किया। यह गिरोह थ्री-डी पिं्रटिंग और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करके नौकरी तथा सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लिए जरूरतमंदों को फर्जी मार्कशीट, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और विभिन्न विश्वविद्यालयों की डिग्रियां आदि बेच कर मोटी कमाई कर रहा था।
* 15 मई को ‘नोएडा’ (उत्तर प्रदेश) पुलिस ने एक बड़े फर्जी डिग्री रैकेट का भंडाफोड़ करके इसके 2 मुख्य सदस्यों ‘अभिमन्यु गुप्ता तथा धर्मेंद्र गुप्ता’ को गिरफ्तार करके इनके कब्जे से विभिन्न शिक्षा बोर्डों तथा विश्वविद्यालयों की 66 फर्जी मार्कशीट, माईग्रेशन सर्टीफिकेट, फर्जी मोहरें, प्रिंटर आदि बरामद किए। यह गिरोह जाली दस्तावेजों के लिए जरूरतमंदों से 20,000 से 2,00,000 रुपए तक वसूल करता था।
* 20 जून को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ‘दिल्ली-एन.सी.आर.’ में सक्रिय फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करके गिरोह के सरगना ‘विक्की हरजानी’ तथा उसके साथियों ‘विवेक सिंह’, ‘सतवीर सिंह’, ‘नारायण’ और ‘अवनीश कंसल’ को गिरफ्तार किया। यह गिरोह जरूरतमंदों से 2 लाख से 20 लाख रुपए तक लेकर बी.ए., एम.बी.ए., पी.एच.डी., एल.एल.बी., बी.ए.एम.एस. और बी-फार्मा सहित एक दर्जन कोर्सों की 5000 से अधिक फर्जी डिग्रियां एवं सर्टीफिकेट बेच चुका है। पुलिस ने इनसे देश के कई विश्वविद्यालयों की 228 जाली मार्कशीट्स, 27 फर्जी डिग्रियां व 20 फर्जी माईग्रेशन सर्टीफिकेट आदि बरामद किए हैं।
* और अब 29 अक्तूबर को ‘सहारनपुर’ (उत्तर प्रदेश) में ‘थाना सदर बाजार’ की पुलिस ने नौकरी के चाहवान युवाओं को फर्जी डिग्रियां तथा मार्कशीट बना कर देने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है।
इस गिरोह ने उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में अपना नैटवर्क फैला रखा था तथा इन्होंने नागालैंड और सिक्किम विश्वविद्यालयों तक की फर्जी डिग्रियां बनाकर बेचीं। इस गिरोह में शामिल 10 से अधिक सदस्य सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, बरेली और गाजियाबाद में रहते हैं।
ये लोग हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की मार्कशीट के 1.20 लाख रुपए, बी.ए.एम.एस. की डिग्री के 4.50 लाख रुपए, बी. फार्मा और डी. फार्मा के लिए 3.50 लाख रुपए वसूल करते थे।
* 29 अक्तूबर को ही ‘अर्बन एस्टेट जालंधर’ में विदेशी कालेजों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले में एक इमीग्रेशन एजैंसी के मालिक एवं मुख्य आरोपी ‘डा. पुष्कर गोयल’ की फरार चल रही मैनेजर ‘मोनिका’ ने अदालत में सरैंडर कर दिया।
बताया जाता है कि मोनिका ही ‘जालंधर’ सहित पंजाब तथा आसपास के राज्यों के ट्रैवल एजैंटों के लिए विदेशों में स्थित कालेजों और विश्वविद्यालयों के फर्जी सर्टीफिकेट और डिग्रियां तैयार करवाती थी।
यह गिरोह विदेशी स्कूलों के भी 10वीं और 12वीं कक्षाओं के फर्जी सर्टीफिकेट और डिग्रियां तैयार करके अलग-अलग ट्रैवल एजैंटों को सप्लाई करके लाखों रुपयों का चूना लगा रहा था। पुलिस के अनुसार यह गिरोह अब तक 1500 से अधिक जाली डिग्रियां बना कर बेच चुका है और प्रत्येक सर्टीफिकेट के लिए 30,000 रुपयों से 50,000 रुपयों तक रकम वसूल करता था। उक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि देश में जालसाजी किस कदर बढ़ती जा रही है। अत: ऐसे समाज विरोधी तत्वों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि वे दूसरों की अधिकार वंचना करके देश और समाज से धोखा न कर सकें तथा अन्य लोग ऐसे काम करने से डरें।—विजय कुमार