देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां क्षरण की शिकार

Edited By ,Updated: 30 Dec, 2015 12:59 AM

the countrys major political parties prey to erosion

देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस, भाजपा और कम्युनिस्टों से देश की जनता को बहुत आशाएं थीं परन्तु ...

देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस, भाजपा और कम्युनिस्टों से देश की जनता को बहुत आशाएं थीं परन्तु आज ये तीनों ही अनुशासनहीनता, अंतर्कलह, धड़ेबंदी और अन्य कमजोरियों की तस्वीर बन कर रह गई हैं।
धड़ेबंदी, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और गठबंधन सहयोगियों के घोटालों की ओर से आंखें मूंदे रखने के कारण आज कांग्रेस पूर्णत: हाशिए पर आ चुकी है व इसे लोग ‘घोटाला पार्टी’ कहने लगे हैं। इंदिरा व राजीव गांधी से मिलना आसान था लेकिन सोनिया और राहुल से मिलना आसान नहीं।
पहले पार्टी का एक थिंक टैंक होता था जिसमें शामिल नेता पार्टी नेतृत्व को महत्वपूर्ण फीडबैक देते थे पर आज ऐसा नहीं है। तुष्टिकरण की नीति से आज इसकी छवि धर्मनिरपेक्ष पार्टी की भी नहीं रही।
पार्टी में जान फूंकने की राहुल की कोशिशें नाकाम रही हैं। उन्होंने 6 फरवरी 2014 को स्वयं स्वीकार किया कि ‘‘कांग्रेस में मेरी सारी बातें नहीं मानी जातीं। मैं कई सुझाव देता हूं जिनमें से कुछ पर ही अमल होता है।’’ कांग्रेस में आजकल धड़ेबंदी जोरों पर है। महाराष्ट्र में पार्टी के मुखपत्र ‘कांग्रेस दर्शन’ में पंडित जवाहर लाल नेहरू, सोनिया गांधी तथा सोनिया गांधी के पिता के सम्बन्ध में अनेक आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं। स्वयं को ‘पार्टी विद ए डिफरैंस’ कहने वाली भाजपा भी ‘पार्टी विद डिफरैंसिस’ बन गई है। पार्टी में जिस तरह अनुशासन ताक पर रखा जा रहा है, उससे इसका ग्राफ नीचे जा रहा है।
नीतियों को लेकर ही नहीं बल्कि भाजपा के कई सांसद धर्म के नाम पर भी बयानबाजी करने से नहीं चूकते। एक ओर पार्टी के नेता मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने की बातें करते हैं तो दूसरी ओर कुछ सांसद ‘बीफ’ से लेकर घर वापसी (हिंदू धर्म में वापसी) जैसे राग अलापते हैं। इसके शीर्ष नेताओं की कोई नहीं सुनता। श्री राजनाथ सिंह कई बार मुंहफट नेताओं को चेतावनी दे चुके हैं कि यदि उन्होंने वरिष्ठï नेताओं के विरुद्ध बयानबाजी की या विवादित मुद्दों पर पार्टी लाइन के विरुद्ध बयान दिए तो उनकी खैर नहीं पर पार्टी में ऐसी बयानबाजी लगातार जारी है।
पार्टी के कुछ वरिष्ठï व सम्मानित नेता सर्वश्री लाल कृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह आदि अति बुजुर्ग बता कर खुड्डों लाइन लगा दिए गए हैं और संजय जोशी, शांता कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद जैसे नेताओं पर ‘असंतुष्टï’ का ठप्पा लगा दिया गया है।
पार्टी ने दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनावों तथा मध्य प्रदेश के पंचायत चुनावों में भी अपनी हार से सबक नहीं सीखा व वह मनमाने ढंग से काम करते हुए अपने गठबंधन सहयोगियों को नाराज कर रही है। भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे बार-बार भाजपा नेतृत्व को इसकी कमजोरियों और चूकों के संबंध में चेतावनी देते आ रहे हैं। उन्होंने कुछ समय पूर्व कहा था कि ‘‘एक समय था जब राजग में 25-30
पार्टियां थीं जो अब मुश्किल से 3 रह गई हैं। पहले श्री अडवानी के घर के हाल में बैठक करना मुश्किल था अब एक मेज व 4 कुर्सियां काफी हैं।’’
जहां कांग्रेस व भाजपा जनाधार गंवा रही हैं वहीं देश में आतंकवाद तथा साम्प्रदायिकता के विरुद्ध अनथक संघर्ष करने वाली कम्युनिस्ट पार्टियां भी लगातार अपना जनाधार खो रही हैं। वाम मोर्चे का बंगाल पर 34 वर्ष शासन रहा। केरल और त्रिपुरा में भी इसकी सरकारें रहीं परन्तु अब केवल त्रिपुरा में ही इसकी सरकार बची है। वैचारिक मतभेदों और इसके सदस्यों में भी कुछ-कुछ दूसरी पार्टियों जैसी बुराइयां आ जाने तथा भाकपा, माकपा, फारवर्ड ब्लॉक, आर.एस.पी. आदि में बंट जाने के कारण ये भी लगातार क्षरण का शिकार हो रही हैं।
उक्त तीनों ही पार्टियां देश की अग्रणी
पार्टियां मानी जाती हैं। इनका कमजोर होना किसी भी दृष्टिï से न तो देश के और न ही इनके हित में है। इनके कमजोर होने से क्षेत्रीय दलों का दबाव बढ़ेगा और वे गठबंधन धर्म के नाम पर उक्त पार्टियों को अनुचित निर्णय लेने को विवश करेंगे। अब जबकि वर्ष 2015 जा रहा है और नया वर्ष आ रहा है, बड़ी पार्टियों के नेताओं को ‘बीती ताहि बिसार दे’ वाली उक्ति पर चलते हुए अनुशासनहीनता, अंतर्कलह, धड़ेबंदी और अन्य कमजोरियों को तिलांजलि देकर नए सिरे से नई शुरूआत करनी चाहिए ताकि इनमें आने वाले और क्षरण को रोका जा सके तथा देश को इनकी एकजुटता का लाभ मिले।

—विजय कुमार

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!