‘बढ़ रहा रिश्वतखोरी का रोग’ चंद पटवारी भी ले रहे हैं ‘रिश्वत’!

Edited By Updated: 27 Nov, 2025 05:21 AM

the disease of bribery is increasing  even some patwaris are taking  bribes

देश में रिश्वतखोरी का रोग लगातार बढ़ रहा है और इसमें नीचे से ऊपर तक के अनेक कर्मचारी एवं अधिकारी संलिप्त हैं। यहां तक कि जमीनों के पंजीकरण का काम करवाने वाले चंद पटवारी और उनके कारिंदे भी इस काम में शामिल पाए जा रहे हैं जिसके पिछले सवा 2 महीनों के...

देश में रिश्वतखोरी का रोग लगातार बढ़ रहा है और इसमें नीचे से ऊपर तक के अनेक कर्मचारी एवं अधिकारी संलिप्त हैं। यहां तक कि जमीनों के पंजीकरण का काम करवाने वाले चंद पटवारी और उनके कारिंदे भी इस काम में शामिल पाए जा रहे हैं जिसके पिछले सवा 2 महीनों के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :

* 16 सितम्बर, 2025 को ‘डूंगरपुर’ (राजस्थान) में भ्रष्टïाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने ‘गामणा ब्रामणियां’ के पटवारी ‘हेमंत कुमार’ को भूमि सम्बन्धी एक दस्तावेज से शिकायतकत्र्ता की बहन का नाम हटाने के बदले में 5000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 
* 19 सितम्बर को ‘पुंछ’ (जम्मू-कश्मीर) के पटवार हलका ‘शाहपुर’ में भ्रष्टïाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने पटवारी ‘जमील अहमद भट्टï’ को शिकायतकत्र्ता से 15,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 
* 14 अक्तूबर को सी.बी.आई. ने ‘जम्मू’ के ‘कोट भलवाल’ इलाके के पटवारी ‘नरेंद्र कुमार’ को एक शिकायतकत्र्ता से 20,000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। उसकी कार से 50,000 रुपए भी बरामद हुए। पटवारी ने जमीन की फर्द जारी करने के लिए यह रिश्वत ली थी।
* 4 नवम्बर को ‘सांबा’ (जम्मू-कश्मीर) जिले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पटवार हल्का ‘दादुई’ के पटवारी ‘सुनील कुमार’ को शिकायतकत्र्ता की गिरदावरी सही करने के बदले में  20,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया और उसके वाहन से 35 लाख से अधिक रकम बरामद की। 

* 20 नवम्बर को जींद (हरियाणा) में एक किसान की जमीन की निशानदेही के बदले में रिश्वत लेने के आरोप में गांव ‘अलेवा’ के कानूनगो ‘सुरेश’ को जिला अदालत ने दोषी करार देते हुए 4 वर्ष कैद तथा 20,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
* 20 नवम्बर को ही ‘पंजाब सतर्कता ब्यूरो’ ने ‘तरनतारन’ जिले के सर्कल गोलवड, गांव ‘बाला चक’ में तैनात पटवारी ‘सरबजीत सिंह’ को शिकायतकत्र्ता  से 25,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
अमृतसर निवासी शिकायतकत्र्ता अपनी जमीन बेचना चाहता था, लेकिन उसे पता चला कि जमीन का इंतकाल किसी और के नाम पर दर्ज है। पटवारी ने रिकॉर्ड ठीक करने के लिए कुल 1 लाख रुपयों की रिश्वत मांगी थी। 
सौदा 30,000 रुपयों में तय हुआ, जिसमें से पटवारी 5000 रुपए पहले ही ले चुका था। विजीलैंस टीम ने शिकायत के आधार पर जाल बिछाया और ‘सरबजीत सिंह’ को 25,000 रुपयों की दूसरी किस्त लेते हुए 2 सरकारी गवाहों की मौजूदगी में पकड़ लिया।
* 21 नवम्बर को ‘कनीना’ (हरियाणा) उपमंडल में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ‘गुरुग्राम’ की टीम ने पटवारी ‘विक्रम सिंह’ को शिकायतकत्र्ता की जमीन की तकसीम (विभाजन) और लोन संबंधी कार्य निपटाने के बदले 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 
रामबास गांव के एक निवासी ने शिकायत की थी कि पटवारी इन कार्यों को निपटाने के बदले उससे कुल 22,500 रुपयों की मांग कर रहा था। अधिकारियों ने शिकायत की पुष्टिï करने के बाद जाल बिछाया और जैसे ही पटवारी ने 10,000 रुपयों की पहली किस्त ली, टीम ने उसे रंगे हाथों दबोच लिया। 

* और अब 24 नवम्बर को ‘सवाई माधोपुर’ (राजस्थान) में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने जमीन के इंतकाल के बदले में तहसीलदार के सहायक ‘कुलदीप सिंह’ को 18,500 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि पटवारियों का एक वर्ग किस कदर रिश्वतखोरी के महारोग की चपेट में आ चुका है। इसे दूर करने के लिए आरोपियों के विरुद्ध तुरंत कठोर कार्रवाई तेज करने की जरूरत है। इसके साथ ही देश में जमीनों का रिकार्ड ऑन लाइन करने तथा लोगों को इस बारे जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि इन कार्यों में अधिकारियों तथा पटवारियों का हस्तक्षेप कम हो सके।—विजय कुमार  

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