कश्मीर घाटी में फिर शुरू हुआ अल्पसंख्यकों की हत्याओं का दौर

Edited By Updated: 08 Oct, 2021 03:38 AM

the era of killings of minorities started again in the kashmir valley

तीन दशक से आतंकवाद ग्रस्त कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 को बदलाव की शुरूआत हुई जब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धाराएं 370 और 35-ए रद्द करके वहां आतंकवाद के सफाए के लिए सुरक्षा बलों का अभियान तेज करने के कदम उठाए गए।  इनसे घाटी में...

तीन दशक से आतंकवाद ग्रस्त कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 को बदलाव की शुरूआत हुई जब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धाराएं 370 और 35-ए रद्द करके वहां आतंकवाद के सफाए के लिए सुरक्षा बलों का अभियान तेज करने के कदम उठाए गए। इनसे घाटी में आतंकवादियों द्वारा की जाने वाली भारत विरोधी गतिविधियों में कमी आई और सुरक्षा बलों ने इस वर्ष 1 जनवरी से सितम्बर अंत तक लगभग 182 आतंकी मार गिराए। श्रीनगर का लाल चौक, जहां आतंकवादियों के भय से राष्ट्रीय ध्वज फहराने बारे कोई सोच नहीं सकता था, इस वर्ष 15 अगस्त को वहां तथा घाटी के तमाम हिस्सों में लोगों ने तिरंगे फहराए। प्रशासन में घुस आए गलत तत्वों का सफाया करने के लिए देश विरोधी गतिविधियों में शामिल 2 दर्जन से अधिक सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं तथा सख्ती शुरू होते ही पत्थरबाज भी गायब हो गए। 

यही नहीं, 3 दशक पूर्व आतंकवादियों की धमकियों के कारण अपनी पुश्तैनी जमीन और घर-बार छोड़ कर देश के दूसरे हिस्सों में चले गए कश्मीरी विस्थापितों (पंडितों) को वापस लाकर उनकी कब्जाई हुई सम्पत्ति वापस दिलाने की दिशा में भी कुछ पहल हुई। स्थिति सामान्य होती देख ठप्प पड़ा पर्यटन उद्योग भी जिंदा होने लगा और घाटी में पर्यटकों की आमद फिर शुरू होने लगी थी परंतु आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में हालात का सामान्य होना रास नहीं आने के कारण उन्होंने फिर ङ्क्षहसक घटनाएं बढ़ा दीं और विशेष रूप से अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है जो निम्र घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 28 फरवरी को श्रीनगर में एक ढाबे के मालिक के बेटे आकाश मेहरा को आतंकवादियों ने मार डाला।
* 2 जून को त्राल में भाजपा नेता राकेश पंडिता की हत्या की गई।
* 17 सितम्बर को कुलगाम इलाके में आतंकवादियों ने बंटू शर्मा नामक पुलिस कर्मचारी को गोली मार दी।
* 18 सितम्बर को कुलगाम के नेहामा इलाके में आतंकवादियों ने बिहार के रहने वाले शंकर कुमार चौधरी को मार डाला। 

* 2 अक्तूबर को आतंकवादियों ने अनंतनाग स्थित कश्मीरी पंडितों की आस्था के केंद्र ‘बरघशेखा भवानी मंदिर’ में भारी तोड़-फोड़ की। 
* 5 अक्तूबर को आतंकवादियों ने मात्र 1 घंटे के अंदर पहले श्रीनगर में प्रतिष्ठिïत कश्मीरी पंडित और एक प्रसिद्ध मैडीकल स्टोर के मालिक माखन लाल ङ्क्षबद्रू और फिर लाल बाजार इलाके में रेहड़ी लगाने वाले बिहार के वीरेंद्र पासवान की हत्या कर दी।
* और अब 7 अक्तूबर को श्रीनगर में आतंकवादियों ने लड़कों के एक हायर सैकेंडरी स्कूल की पिं्रसीपल सुपिंद्र कौर और कश्मीरी पंडित अध्यापक दीपक चंद की हत्या कर दी। आतंकवादियों ने पहले सभी लोगों को बाहर बुलाया और उनके नाम पूछ कर एक विशेष वर्ग के लोगों को अलग करने के बाद उक्त दोनों अध्यापकों को गोली मारी। 

ये घटनाएं ऐसे समय में हुई हैं जब हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत तथा अनेक केंद्रीय नेताओं ने घाटी का दौरा किया तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसी माह कश्मीर जाने वाले हैं। लगता है कि पिछले कुछ समय के दौरान आतंकी घटनाओं में ढील आ जाने के कारण हमारे सुरक्षा बलों की चौकसी में भी कुछ ढील आई हो। प्रदेश में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के मौजूद होने के बावजूद अल्पसंख्यकों तथा अन्य लोगों पर हमले हमारी गुप्तचर प्रणाली में कुछ ढील का संकेत भी देते हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने उक्त घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘‘यह कृत्य कश्मीर घाटी में साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को नुक्सान पहुंचाने का एक प्रयास है। यह शांति की दिशा में बढ़ रहे कदमों को रोकने का प्रयास और कश्मीरी मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश है।’’ 

आतंकवादियों ने इन घटनाओं से सिद्ध कर दिया है कि अभी वे खत्म नहीं हुए हैं तथा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय पैदा करने के लिए उनकी हत्याएं करके उनके पलायन को बढ़ावा देने की साजिश रच रहे हैं। इस बीच 2 अध्यापकों की हत्या के बाद श्रीनगर के अल्पसंख्यक लोगों के इलाके में 45 वर्ष में पहली बार दिन-रात चौकसी के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अल्पसंख्यकों पर हमलों को देखते हुए घाटी से एक बार फिर अल्पसंख्यकों के पलायन का खतरा पैदा हो गया है जिसके दृष्टिगत नैकां नेता उमर अब्दुल्ला ने भी स्वर्गीय माखन लाल बिंद्रू के बेटे सिद्धार्थ बिंद्रू को संवेदना संदेश में कहा है कि ‘‘आप लोग यहां से न जाएं और अपना काम जारी रखें। इस घटना की निंदा करने के लिए शब्द काफी नहीं हैं।’’ अत: आतंकवादियों पर नकेल कसने के लिए सुरक्षा बलों एवं गुप्तचर प्रणाली को और चुस्त बनाने तथा आतंकवादियों के उन ‘ओवरग्राऊंड’ और ‘अंडरग्राऊंड’ वर्करों को ढूंढ कर उनका सफाया करने की जरूरत है।—विजय कुमार

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