पाकिस्तान की समस्याओं का अभी कोई अंत नहीं

Edited By ,Updated: 04 Apr, 2022 03:35 AM

there is no end to the problems of pakistan yet

3 अप्रैल को पाकिस्तान की नैशनल असैम्बली में विरोधी दलों द्वारा इमरान सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव निर्धारित मतदान से पहले ही इमरान खान ने डिप्टी स्पीकर के जरिए खारिज

3 अप्रैल को पाकिस्तान की नैशनल असैम्बली में विरोधी दलों द्वारा इमरान सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव निर्धारित मतदान से पहले ही इमरान खान ने डिप्टी स्पीकर के जरिए खारिज करवा दिया। डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा इसे असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद इमरान खान ने राष्ट्रपति आरिफ अलवी से नैशनल असैम्बली भंग करने की सिफारिश कर दी, जिसे उन्होंने कुछ ही देर में स्वीकार कर लिया और अब नियम के अनुसार 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान में चुनाव होंगे। बाद में अपने संबोधन में इमरान खान ने कहा, ‘‘एक लोकतांत्रिक समाज में लोकतंत्रवादी लोगों के बीच जाते हैं और चुनाव करवाए जाते हैं और लोग यह फैसला करते हैं कि उन पर किसने शासन करना है।’’ 

इमरान खान ने इसके साथ ही लोगों को चुनावों के लिए तैयारी करने का अनुरोध करते हुए कहा कि ‘‘कोई विदेशी शक्ति या कोई भ्रष्ट तत्व नहीं, केवल आप को ही इस देश के लिए फैसला करना है।’’ अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने से नाराज विपक्षी दल इमरान खान पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीमकोर्ट पहुंच गए, जिस पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित विशेष बैंच 4 अप्रैल को सुनवाई करेगी परंतु विरोधी दल अभी भी सदन में बैठे हुए हैं तथा उनका कहना है कि फैसला आने के बाद ही वे वहां से जाएंगे, जबकि पाकिस्तान के अटार्नी जनरल ने इस्तीफा दे दिया है। 

पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के 75 वर्षों में आधे से अधिक समय तक यहां सेना ने ही राज किया है और उसके सहारे ही सत्ता पर काबिज हुए इमरान के विरुद्ध वहां की सेना ही इस बात को लेकर भड़की हुई थी कि इमरान खान ने दूसरों के मुद्दे में अकारण ही टांग अड़ाई और देश में रिकार्ड तोड़ महंगाई (जिसकी आंच सेना को भी लगने लगी है) के बीच यूक्रेन संकट पर अकारण और बिना देश का हित देखे ही अमरीका तथा यूरोपीय संघ पर हमले किए। 

उल्लेखनीय है कि इस मामले में इमरान की पार्टी का समर्थन कर रही तीनों बड़ी पार्टियों पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्वेद (पी.एम.एल.-क्यू), बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बी.ए.पी.) तथा मुत्ताहिदा कौमी मूवमैंट पाकिस्तान (एम.क्यू.एम.-पी) ने भी इमरान का साथ छोड़ विरोधी दलों के साथ जाने का फैसला कर लिया था और इसके 2 मंत्रियों फरोग नसीम तथा अमीनुल हक ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया था। 

इमरान को मुश्किल में देख कर उसके करीबी पाकिस्तान छोड़कर भागने लगे थे क्योंकि उन्हें डर था कि तख्ता पलट के बाद उनकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इनमें इमरान के पूर्व सलाहकार शहजाद अकबर, मुख्य सचिव आजम खान और पूर्व चीफ जस्टिस गुलजार अहमद शामिल हैं। 1 अप्रैल को राष्ट्र के नाम संबोधन में इमरान खान ने दावा किया था कि उन्हें विपक्ष के शीर्ष नेताओं के सहयोग से विदेशी साजिश के अंतर्गत निशाना बनाया जा रहा है और उनकी कुछ समय पूर्व ही रूस यात्रा से एक बड़ा देश नाराज हो गया है। इसके साथ ही इमरान खान ने कहा कि उन्हें बड़ी संख्या में युवाओं का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह समर्पण नहीं करेंगे और आखिरी गेंद तक खेलेंगे। 

हालांकि इस घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान की सेना अमरीका और चीन के विरुद्ध न जाकर ‘राष्ट्रीय हित के नाम पर’ राष्ट्रीय सुरक्षा नीति निर्धारण और विदेशी नीतियों को अपनी इच्छा के अनुसार ढालने के अपने एकाधिकार पर किसी भी तरह आंच नहीं आने देना चाहती। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा ने यह कहा है कि ‘‘भारत के साथ सब विवाद वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से निपटाए जाने चाहिएं। उन्होंने यह भी कहा कि खाड़ी क्षेत्र के एक-तिहाई देश और विश्व के अन्य अनेक देश किसी न किसी तरह के टकराव में उलझे हुए हैं लिहाजा हमें अपने इलाके से आग की लपटों को दूर रखना चाहिए।’’ 

पाकिस्तान सरकार के लीगल विंग ने इमरान खान को पहले ही चेतावनी दे दी है कि वह किसी भी प्रकार के सरकारी विदेशी दस्तावेज किसी के साथ भी सांझा न करें वर्ना इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। विपक्षी पार्टियों के पी.एम. दावेदार शहबाज शरीफ के अनुसार ‘‘इमरान खान ने पाकिस्तान को अराजकता की तरफ धकेला है और उन्होंने जो किया वह देशद्रोह से कम नहीं है।’’ 

भले ही इमरान खान अपने विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव खारिज करवाकर फिलहाल अपमानजनक ढंग से सत्ताच्युत होने से बच गए हैं परंतु  इस तरह के घटनाक्रम के बीच नाराज विपक्ष और सेना को पाकिस्तान गृह युद्ध की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। जो भी हो, अभी भी देशवासियों, विशेष कर युवाओं में  इमरान की लोकप्रियता कायम है। उनकी रैलियों में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी है तथा हाल ही में देश में हुए नगर पालिका चुनावों में उनकी पार्टी ने भारी विजय प्राप्त की है। 

बहरहाल भविष्य में यदि पाकिस्तान में स्थिति और नहीं बिगड़ती तथा वहां शांतिपूर्ण चुनाव होने की स्थिति में पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ बने, मरियम नवाज या कोई और ही क्यों न बने, इतना तो तय है कि जहां तक भारत के साथ उनके संबंधों की बात है तो वह पाकिस्तान की असली शासक सेना पर ही निर्भर करेगा। 

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