‘स्वच्छ भारत मिशन’ में बने शौचालय कम समय में ही खराब होने लगे

Edited By Pardeep,Updated: 06 Jan, 2019 03:40 AM

toilets made in clean india mission started getting worse in less time

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में शौचालयों की जरूरत का उल्लेख किया व इसी सिलसिले में सरकार ने महात्मा गांधी के जन्म की 150वीं वर्षगांठ पर 2 अक्तूबर, 2019 तक, भारत को खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.)...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में शौचालयों की जरूरत का उल्लेख किया व इसी सिलसिले में सरकार ने महात्मा गांधी के जन्म की 150वीं वर्षगांठ पर 2 अक्तूबर, 2019 तक, भारत को खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.) करने का लक्ष्य घोषित किया। 

इस संबंध में ग्रामीण विकास बारे संसद की स्थायी समिति ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाए गए अनेक शौचालय पहले ही निष्क्रिय और इस्तेमाल के अयोग्य हो गए हैं। समिति ने पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की आलोचना करते हुए कहा है कि इसने पूर्व में की गई इस सिफारिश का पालन नहीं किया जिसमें इस समस्या की तह तक जाने के लिए शौचालयों का सर्वेक्षण करवाने को कहा गया था। अपनी पिछली सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई बारे संसद में पेश रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि, ‘‘आज तक किसी भी मंत्रालय ने शौचालयों के प्रयोग के योग्य न रहने की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है।’’ 

‘‘इस कारण 2 अक्तूबर, 2019 तक समूचे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी घरों को ‘सम्पूर्ण सैनीटेशन’ के अंतर्गत लाने का लक्ष्य दूर का सपना ही बना रहेगा।’’ मंत्रालय ने दावा किया था कि ‘‘केवल पिछली योजनाओं के अंतर्गत निर्मित शौचालय ही निष्क्रिय थे जिनका निर्माण पहले के ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम के अंतर्गत 500 से 3200 रुपए तक की प्रोत्साहन राशि के साथ किया गया था।’’ मंत्रालय ने यह भी कहा था कि, ‘‘अब वित्त मंत्रालय के ‘स्वच्छ भारत कोष’ के अंतर्गत दी गई राशि से पुरानी योजनाओं के अंतर्गत निर्मित इन निष्क्रिय शौचालयों को ठीक किया जा रहा है।’’ परंतु संसदीय समिति ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत निर्मित शौचालय भी निष्क्रिय हैं। 

समिति ने दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘‘स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत निर्मित अनेक शौचालय निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की क्वालिटी और पानी की कमी आदि कारणों से निष्क्रिय एवं इस्तेमाल के अयोग्य हो गए हैं।’’ इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए समिति ने कहा कि ‘‘इस अभियान की सफलता के लिए निर्मित शौचालय सुरक्षित और टिकाऊ होने चाहिएं ताकि उन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सके।’’ समिति ने मंत्रालय से निष्क्रिय शौचालयों की संख्या का पता लगाने के लिए कहा था परंतु मंत्रालय ने इस सिफारिश का भी पालन नहीं किया जिसके लिए समिति ने इसकी आलोचना की है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मंत्रालय इस विषय में खामोश है कि पहले ही बेकार एवं इस्तेमाल के अयोग्य हो चुके शौचालयों का जायजा लेने के लिए सर्वे करवाने की सिफारिश पर क्या कार्रवाई की गई है।’’ समिति ने अपनी रिपोर्ट में चेताया है कि खुले में शौच संबंधी ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के आंकड़े संदिग्ध हैं क्योंकि निष्क्रिय शौचालयों को भी कार्यशील (फंक्शनल) के रूप में गिना जा रहा है। 

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘स्वच्छ भारत मिशन के पोर्टल में प्रदान की गई इस सूचना से कि लाभपात्रों को पहले ही शौचालय उपलब्ध करवाया जा चुका है, यह संकेत मिलता है कि घटिया क्वालिटी के और थोड़े समय में ही निष्क्रिय हो जाने के कारण इस्तेमाल में न आने वाले शौचालयों को भी चालू शौचालयों के रूप में गिना जा रहा है। शौचालयों के लाभार्थी इनके पुननिर्माण की स्थिति में नहीं हैं और वे अभी भी खुले में शौच के लिए जा रहे हैं।’’ इतने कम समय में शौचालयों का खराब हो जाना ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की धूमिल तस्वीर पेश करता है। इससे इस निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन नहीं है कि पूर्व निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 2 अक्तूबर, 2019 तक भारत को सही अर्थों में खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.) करने का लक्ष्य प्राप्त करना कठिन होगा।—विजय कुमार 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!