अमर शहीद लाला जगत नारायण जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन

Edited By ,Updated: 09 Sep, 2023 04:39 AM

tributes on the martyrdom day of amar shaheed lala jagat narayan ji

आज ‘पंजाब केसरी पत्र समूह’ के संस्थापक आदरणीय पिताश्री अमर शहीद लाला जगत नारायण जी को हमसे बिछुड़े 42 वर्ष हो गए हैं। 82 वर्ष की उम्र में उनकी शहादत हुई। उनका जन्म 31 मई, 1899 को वजीरिस्तान (पाकिस्तान) में माता लाल देवी व पिता लखमी दास जी चोपड़ा के...

आज ‘पंजाब केसरी पत्र समूह’ के संस्थापक आदरणीय पिताश्री अमर शहीद लाला जगत नारायण जी को हमसे बिछुड़े 42 वर्ष हो गए हैं। 82 वर्ष की उम्र में उनकी शहादत हुई। उनका जन्म 31 मई, 1899 को वजीरिस्तान (पाकिस्तान) में माता लाल देवी व पिता लखमी दास जी चोपड़ा के यहां हुआ और लाला जी उनकी इकलौती संतान थे। 

पिता जी ने अपनी प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा लायलपुर से (अब पाकिस्तान में) प्राप्त की। यहीं पिता जी ने पहली बार लाला लाजपत राय जी का भाषण सुनकर उन्हें अपना आदर्श मान लिया। लायलपुर के खालसा स्कूल से 1915 में दसवीं की परीक्षा पास करके बी.ए. की पढ़ाई के लिए उन्होंने 1916 में लाहौर आकर डी.ए.वी. कालेज में दाखिला लिया और वहां पढ़ाई के दौरान अनेक महान नेताओं के संपर्क में आए। 10 अप्रैल,1919 को पंजाब के पलवल रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के बाद अंग्रेजों के विरुद्ध रोष की लहर तेज हो गई और अंग्रेज शासकों ने नया आदेश जारी करके हर छात्र के लिए दिन में 4 बार ब्रिटिश ध्वज ‘यूनियन जैक’ को सलामी देने तथा आनाकानी करने पर छात्र को सीधे गोली मार देने का आदेश दे दिया। 

तभी पिता जी के मन में विद्रोह की चिंगारी भड़क उठी और वह स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बी.ए. की परीक्षा में पास होने के बाद इन्होंने वकालत की पढ़ाई करने की इच्छा से लॉ कालेज लाहौर में दाखिला ले लिया परंतु गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर जुलाई,1920 में सत्याग्रह में शामिल हो गए। इस आंदोलन में भाग लेने के कारण पिता जी को 1921 में पहले लाहौर कोतवाली और फिर सैंट्रल जेल लाहौर भेज दिया गया जहां वह लाला लाजपत राय जी के साथ रहे।
देश के बंटवारे के बाद 1947 में इधर आने पर वह 1952 से 1956 तक पंजाब की पहली सरकार में शिक्षा, परिवहन व स्वास्थ्य मंत्री रहे। तब पंजाब में ट्रांसपोर्ट का बहुत बुरा हाल था जिसे सुधारने के लिए उन्होंने इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया जिससे पंजाब रोडवेज अस्तित्व में आया। पिता जी ने आठवीं कक्षा तक की स्कूली पाठ्य पुस्तकों का भी राष्ट्रीयकरण किया, ताकि बच्चों को सस्ती शिक्षा मिल सके। 

उन्होंने 1200 प्राइमरी स्कूल भी खोले। इसे भी बाद में अनेक राज्यों की सरकारों ने अपनाया। पंजाब में डाक्टरों की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने मैडीकल कालेज खोलेे तथा आयुर्वैदिक चिकित्सक भी भर्ती किए। पंजाब के हर शहर में सिविल अस्पताल खोलने में भी इनका योगदान रहा। देश की स्वतंत्रता से पहले जहां पूज्य पिता जी ने कभी ‘असहयोग आंदोलन’, ‘नमक सत्याग्रह’ तो कभी ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ आदि में भाग लेकर अपने जीवन के कई वर्ष जेल में बिताए वहीं देश की स्वतंत्रता के बाद भी 1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें तानाशाही, निरंकुशता व लोकतंत्र विरोधी कार्यों के विरुद्ध आवाज उठाने पर 19 महीनों के लिए जेल में रहना पड़ा। 

यही नहीं, 1974 में जब पंजाब के मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने ‘पंजाब केसरी ग्रुप’ की आवाज दबाने के लिए इसकी बिजली काट दी तो पिताजी झुके नहीं तथा सत्य के मार्ग पर निरंतर चलते रहे। ‘ङ्क्षहद समाचार’ (1948), ‘पंजाब केसरी’ (1965) और ‘जग बाणी’ (1978) स्थापित करने में पिताजी का ही प्रमुख योगदान एवं प्रेरणा थी। पंजाब में 1978 के आसपास उपजे आतंकवाद की उन्होंने न केवल आरम्भ से ही चेतावनी दी बल्कि अपने अखबारों के जरिए इसका भरसक विरोध किया और इसी कारण उनका बलिदान हुआ। निर्भीक पत्रकारिता के प्रतीक, देश की एकता और अखंडता के लिए प्राणों का बलिदान करने वाले पूज्य पिता जी एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ महान समाज सुधारक भी थे जिन्होंने सदैव देश में शराबबंदी, दहेज रहित सादा विवाहों, बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रमों के निर्माण आदि पर बल दिया। पिछले कुछ वर्षों की भांति इस वर्ष भी उनके बलिदान दिवस पर ‘पंजाब केसरी समूह’ की ओर से लगभग 169 रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया है, जिनके दौरान लगभग 11,000 यूनिट रक्त एकत्रित किया जाएगा। 

पूज्य पिता जी के बलिदान दिवस पर 10 सितम्बर को ‘शहीद परिवार फंड’ का आतंकवाद पीड़ित परिवारों के लिए 118वां राहत वितरण समारोह भी आयोजित किया जा रहा है। इसमें 145 परिवारों को 1.27 करोड़ रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी जबकि इससे पूर्व 117 सहायता वितरण समारोहों में 17.39 करोड़ रुपए की राशि 10,240 आतंकवाद पीड़ित परिवारों को बांटी जा चुकी है। आज पूज्य पिता अमर शहीद लाला जगत नारायण जी की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अॢपत करते हुए हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि पूज्य पिता जी ने निर्भीक पत्रकारिता के जिन आदर्शों को जीवन भर निभाया, उन पर चलने और कायम रहने की हमारे परिवार को सामथ्र्य दें।—विजय कुमार 

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