अश्वेत की हत्या पर भारत की ‘चुप्पी’

Edited By ,Updated: 09 Jun, 2020 10:26 AM

usa george floyd police

अमरीका के एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के विरोध में कितने जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। अमरीका में ऐसी उथल-पुथल तो उसके गृहयुद्ध के समय ही मची थी लेकिन इस बार तो कनाडा से लेकर जापान के दर्जनों देशों में रंगभेद के खिलाफ आवाजें गूंज रही हैं।

अमरीका के एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के विरोध में कितने जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। अमरीका में ऐसी उथल-पुथल तो उसके गृहयुद्ध के समय ही मची थी लेकिन इस बार तो कनाडा से लेकर जापान के दर्जनों देशों में रंगभेद के खिलाफ आवाजें गूंज रही हैं। ब्रिटेन और यूरोपीय देश, जो कि मूलत: गोरों के देश हैं, वहां भी इतने बड़े-बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं, जितने कि अमरीका में भी नहीं हो रहे हैं। अमरीका और यूरोपीय देशों के राष्ट्रपतियों की सभाओं में जहां दो-चार हजार आदमी जुटाना मुश्किल होता है, वहां 20-30 हजार लोग इन रंगभेदी प्रदर्शनों में स्वत: शामिल हो रहे हैं। इन देशों में भी भारत की तरह तालाबंदी है और कोरोना का संकट कहीं ज्यादा है, फिर भी पुलिस और फौज भी लोगों को रोक नहीं पा रही है लेकिन भारत, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहां तो उस अश्वेत की नृशंस हत्या पर जूं भी नहीं रेंग रही है। 

हम लोग क्या इतने स्वार्थी और पत्थरदिल लोग हैं? वर्तमान सरकार हमारी जनता के इन कुंभकर्णी खर्राटों से खुश होगी, वरना कोरोना के इन बिगड़ते दिनों में एक नया पत्थर उसके गले में लटक जाता।  भारत की जनता के दिल में भी दर्द जरूर है लेकिन कोरोना ने उसके दिल में मौत का डर इतना गहरा जमा दिया है कि वह हत्प्रभ हो गई है। अमरीका के गोरे लोग मांग कर रहे हैं कि वहां के पुलिस वालों पर राज्य सरकारें पैसा खर्च करना बंद करें, क्योंकि गोरे पुलिस वाले काले लोगों पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हैं। 

यदि पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ कोई भी आवाज उठाता है तो पुलिस यूनियनें उस पर टूट पड़ती हैं। डोनाल्ड ट्रम्प भी बार-बार पुलिस और फौज के इस्तेमाल की धमकी दे रहे हैं। उनका रक्षा मंत्रालय भी उनके साथ नहीं है। उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता और कार्यकत्र्ता उनके विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं लेकिन नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव में ट्रम्प की कोशिश है कि इस मुद्दे पर अमरीका के बहुसंख्यक गोरों के वोट वे अपने पक्ष में पटा लें। कोरोना के मामले में उनका बड़बोलापन तो उन्हें भारी पड़ ही रहा है, देखें यह रंगभेद क्या रंग दिखाता है? अमरीका की आंतरिक राजनीति में भारत न उलझे लेकिन रंगभेद पर उसकी चुप्पी आश्चर्यजनक है। dr.vaidik@gmail.com 
 

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