दक्षिण अफ्रीका में हिंसा और लूटमार भारतीयों पर हमले

Edited By ,Updated: 17 Jul, 2021 03:56 AM

violence and looting attacks on indians in south africa

विभिन्न अफ्रीकी देशों युगांडा, केन्या, दक्षिण अफ्रीका आदि में बड़ी सं या में भारतीय रहते हैं। उनके वहां अरबों रुपए के कारोबार हैं और उन्होंने इन देशों को अपने देश की तरह अपना लिया है। केन्या जहां 5

विभिन्न अफ्रीकी देशों युगांडा, केन्या, दक्षिण अफ्रीका आदि में बड़ी सं या में भारतीय रहते हैं। उनके वहां अरबों रुपए के कारोबार हैं और उन्होंने इन देशों को अपने देश की तरह अपना लिया है। केन्या जहां 50 के दशक में मेरी बहन स्वराज लता रहती थीं, हमारे जीजा श्री सुनीति कुमार जी का पैट्रोल प प और अन्य कारोबार था। पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी अक्सर उन्हें पत्र लिख कर कहा करते कि विदेशों में चाहे लाख सुख हों परंतु अपना देश तो अपना ही होता है इसलिए आप लोग भारत आ जाओ। अंतत: वे 1964 में अमृतसर आ गए। केन्या भारतीयों से व्यवहार के मामले में बढिय़ा रहा परंतु इसके विपरीत कम से कम 2 अफ्रीकी देशों युगांडा और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को समय-समय पर काफी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। 

पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में एशियाई मूल के लोगों की जिंदगी शानदार थी। युगांडा की कुल जनसंख्या में मात्र एक प्रतिशत होने के बावजूद देश की लगभग 20 प्रतिशत स पत्ति इन लोगों के पास थी परंतु 1970 के दशक में युगांडा के बेरहम तानाशाह इदी अमीन ने एकाएक एशियाइयों को देश छोड़ कर जाने का फरमान सुना दिया जिससे एक लाख के लगभग एशियाइयों को पलायन करके इंगलैंड तथा दूसरे देशों में जाना पड़ा। जहां तक दक्षिण अफ्रीका का संबंध है इसके साथ भारत के संबंधों की शुरुआत देश के आजाद होने से पूर्व महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान ही हो गई थी, जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले सेठ अब्दुल्ला ने एक मुकद्दमा लडऩे के लिए वहां बुलाया। 

गांधी जी समुद्री जहाज से डरबन शहर पहुंचे और वहां से 7 जून, 1893 को प्रीटोरिया जाने के लिए ट्रेन में सवार हुए। उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद ‘पीटरमारिटजबर्ग’ स्टेशन पर अंग्रेज टिकट चैकर ने उन्हें तीसरे दर्जे के डिब्बे में जाने को कहा और गांधी जी के इंकार करने पर उसने उन्हें स्टेशन पर उतार दिया। कड़कड़ाती ठंड में गांधी जी ने वह रात स्टेशन के वेटिंग रूम में गुजारी। 

इसी घटना से गांधी जी के भीतर अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष करने का संकल्प जागा और उन्होंने वहां रंगभेद की नीति के विरुद्ध 6 नवंबर, 1913 को निकाले गए ‘द ग्रेट मार्च’ का नेतृत्व किया। फिर 9 जनवरी, 1915 को भारत लौटने के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और उनके इसी संकल्प को बाद में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्टï्रपति नेल्सन मंडेला ने अपने देश में आगे बढ़ाया। परंतु आज दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को स्थानीय लोगों के कोप का निशाना बनना पड़ रहा है। वहां के पूर्व राष्टï्रपति जैकब जुमा को भ्रष्टïाचार के आरोपों में जेल भेजने के बाद देश में दंगे भड़क उठे हैं। 

जैकब जुमा पर राष्ट्रपति पद का दुरुपयोग करते हुए 260,000 करोड़ रुपए के भ्रष्ट्राचार के मामले में लंबे समय से अदालत में पेश न होकर अदालत की अवमानना करने का आरोप है। इसमें भारत के 3 गुप्ता बंधु अतुल, अजय और राजेश संलिप्त हैं। जैकब जुमा के समर्थकों ने उन्हें राजनीतिक रूप से शिकार बनाने का आरोप लगाया है। सेना की तैनाती के बावजूद देश में भीषण हिंसा और आगजनी शुरू हो गई है जिसमें अभी तक 212 लोगों की मौत हो चुकी है, सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं तथा 3000 से ज्यादा लोगों को गिर तार किया जा चुका है। 

इन उपद्रवों में भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है और उपद्रवी उनकी दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को लूट रहे हैं जिससे कम से कम 10,400 करोड़ रुपए की स पत्ति नष्ट्र हुई है। हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में 10,000 सैनिक तैनात किए गए हैं। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि भारतीय समुदाय के लोगों ने भी आत्मरक्षा के लिए हथियार आदि खरीदने शुरू कर दिए हैं। डरबन, सोवेटो, जोहान्सबर्ग में भी हालात खराब हो रहे हैं। पूरे देश में खाद्य संकट पैदा हो गया है। राष्टï्रपति सिरिल रामाफोसा ने वर्तमान हिंसा को देश में 1994 के बाद की सबसे बड़ी ङ्क्षहसा बताया है जब वहां रंगभेद के विरुद्ध भारी हिंसक प्रदर्शन किए गए थे। 

इसी घटनाक्रम के चलते देश में हालात इस कदर बिगड़ते जा रहे हैं कि वहां कोरोना से बचाव के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान भी ठप्प हो गया है तथा देश गृह युद्ध के कगार पर पहुंच गया है तथा जूलु राजा मिसुजूलु काजवेलेथीनी ने अपने प्रांत क्वाजुलू-नटाल के लोगों से भारतीय मूल के लोगों के साथ शांति से रहने और उन्हें गले लगाने की अपील की है। दक्षिण अफ्रीका में लगभग 16 लाख भारतीय रहते हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर भारत में उनके परिजन चिंतित हैं। अत: भारत सरकार को तुरंत अफ्रीका के विदेश मंत्रालय के साथ बातचीत करके भारतीय मूल के लोगों की सुरक्षा यकीनी बनानी चाहिए।-विजय कुमार 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!