Edited By Tanuja,Updated: 15 Dec, 2025 02:16 PM

सिडनी के बॉन्डी बीच हमले में 16 लोगों की मौत के बाद हमलावर नवीद को लेकर नए सोशल मीडिया दावे सामने आए हैं—जिसमें उसके पाकिस्तानी मूल और इस्लामाबाद की एक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई का आरोप शामिल है। हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियों ने अब तक इन दावों की...
International Desk: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच में हुई भीषण गोलीबारी के मामले में अब तक 16 लोगों की मौत और करीब 42 लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि की गई है। इस हमले ने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी चिंता पैदा कर दी है। सभी घायलों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है और पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस बीच, हमले के आरोपी नावेद को लेकर सोशल मीडिया पर नए और गंभीर दावे सामने आए हैं। कुछ पोस्ट्स और वायरल मैसेजों में दावा किया जा रहा है कि नवीद पाकिस्तानी मूल का था और उसने इस्लामाबाद स्थित हमदर्द यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। इन पोस्ट्स में उसे “आतंकी” करार देते हुए कहा जा रहा है कि उसने यहूदियों और आम ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को निशाना बनाया।
हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई पुलिस, न्यू साउथ वेल्स सरकार या किसी भी आधिकारिक जांच एजेंसी ने अब तक न तो हमलावर के पाकिस्तानी मूल की पुष्टि की है और न ही उसकी किसी विदेशी यूनिवर्सिटी या अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से पढ़ाई/जुड़ाव को सत्यापित किया है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जांच अभी जारी है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी।इससे पहले, नवीद की मां वेरेना ने मीडिया से बातचीत में दावा किया था कि उसका बेटा पेशे से राजमिस्त्री था और हाल के दिनों में बेरोजगार चल रहा था। वेरेना ने कहा कि उसके बेटे के पास कोई हथियार नहीं था... लेकिन उसके पति के पास छह हथियार थे और वे सब साथ रहते थे। सिडनी में अल-मुराद इंस्टीट्यूट, जहाँ नवीद अकरम ने कुरान की पढ़ाई की थी, उसे बंद कर देना चाहिए... मुझे लगता है कि वहाँ के कोर्स अच्छे नहीं होंगे!
उन्होंने यह भी कहा कि घटना वाले दिन नवीद और उसका पिता यह कहकर घर से निकले थे कि वे मछली पकड़ने जा रहे हैं। बाद में सामने आई हिंसा ने पूरे परिवार को स्तब्ध कर दिया।सोशल मीडिया पर यह सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि यदि आरोपी पहले से पुलिस की निगरानी में था, तो हथियारों तक उसकी पहुंच कैसे रही। वहीं, पुलिस ने अपील की है कि अफवाहें न फैलाएं, जांच को प्रभावित न करें और केवल आधिकारिक अपडेट पर भरोसा करें। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में दावा, तथ्य और जांच के बीच फर्क बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि गलत सूचना सामुदायिक तनाव और नफरत को और बढ़ा सकती है। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को कानून के तहत सख्त सजा दी जाएगी, लेकिन उससे पहले सच्चाई को सबूतों के आधार पर सामने लाया जाएगा।